मोहन सिंह शिवपुरी। माधव नेशनल पार्क के आसपास के पांच गांवों को मिला कर जब से नेशनल पार्क कॉरिडोर बना है तब से लेकर अभी तक माधव नेशनल पार्क प्रबंधन इन पांच गांवों को खाली नही करा सका है। और गांव खाली कराए बिना ही यहां तीन टाईगर लाकर छोड दिये गये है।
जिससे ग्रामीणों के साथ साथ टाइगर की सुरक्षा को भी खतरा बना हुआ है। बिना मुआवजा के ग्रामीण किसी भी हाल में गांव खाली करने के लिए तैयार नहीं है ग्रामीणों ने नई गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा देने की मांग की थी जिसके लिए प्रशासन भी राजी हुआ लेकिन जब से कलेक्टर और एसडीएम बदले है,जब से मुआवजा वाले काम में कोई भी उन्नति नही हुई।
माधव नेशनल पार्क से सटे वह पांच गांव जो होने है खाली
माधव नेशनल पार्क से सटे लखनगवां, हरनगर, मामौनी, डोंगर, अर्जुनगवां वह गांव है जो की माधव नेशनल पार्क से सटे होने के कारण खाली होने है जिने पार्क प्रबंधक को खाली कराना है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार साल 2005 में इन गांवों के 90 प्रतिशत ग्रामीणों को मुआवजा दिया जा चुका है लेकिन 10 प्रतिशत ग्रामीण ऐसे है जिन्होंने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है। बताया जा रहा है कि इन लोगों में से कुछ लोग कोर्ट भी जा चुके है वहा से भी मामला कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
साल 2005 के सर्वे में इस लिए रह गये थे लोग मुआवजा से वंचित
ग्रामीणों को मुआवजा न मिलने के कारण में पता चला है कि कुछ लोगो ने अपने परिवारों के सदस्यों के आधार पर गणना नहीं कराई है जिसकी वजह से करीब 500 लोगों को मुआवजा नहीं मिला है। इसके अलावा 75 परिवार ने पुरानी गाइडलाइन से मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है उनमें से करीब 250 वयस्क सदस्यों को नई गार्ड लाइन से मुआवजा देना है अभी करीब 37 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि वितरण होनी है। वही कुछ ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने ग्राम सभा ही नही की है तो मुआवाज कहा कहा से देगी।
यह रहा ग्रामीणों का दर्द, जान की लगी रहती है हर समय बाजी
ग्रामीणों ने बताया कि पहले शासन की तरफ से बोला गया था कि पहले ग्रामीणों को विस्थापित किया जाएगा इसके बाद ही टाइगर लाएंगे लेकिन ऐसा नही हुआ और टाइगर भी आ गये है। इसके बाद बोला जा रहा था कि नई गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा वह भी अभी तक नही दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में टाइगर आ जाते है वह पहले एक गाये के बछड़े को भी उठाकर ले गये थे। प्रशासन की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
नई गाइडलाइन से मुआवाज ग्रामीणों ने रखी थी मांग प्रशासन हुआ था राजी
माधव नेशनल पार्क ने समीप लखनगवां, हरनगर, मामौनी, डोंगर, अर्जुनगवां गांव के ग्रामीणो ने साल 2022 में नई गाइडलाइन से मुआवजा देने की मांग की थी इसके बाद पार्क प्रबंधक भी मुआवजा देने के लिए राजी हो गया। तत्कालीन कलेक्टर के 17 जून 2022 के आदेश पर पांचों गांवों में ग्राम सभा कराई। पांचों गांवों में प्रस्ताव रखा था कि जिन्होंने बिल्कुल मुआवजा नहीं दिया है, उन्हें नई गाइड लाइन से मुआवजा दिया जाए।
वहीं ऐसे लोग जो साल 2005 में सर्वे से वंचित रह गए हैं, उन्हें भी नई गाइड लाइन से पैसा दिया जाए। साल 2004 की गाइड लाइन से पैसा दिया है, उन्हें साल 2008 तक के अंतराल का ब्याज दिया जाए। कुआ, पेड़ आदि छूटे हैं, उसका ब्याज सहित पैसा दिया जाए। सर्वे कराकर 10 अगस्त 2023 को सूची चस्पा कर दी। फिर 21 अगस्त 2023 को बैंक में खाते भी खुलवा दिए। सब कुछ प्रस्तावित हो गया लेकिन जैसे ही कलेक्टर व एसडीएम बदले, सब ठप हो गया। जबकि ग्रामीण बिना मुआवजा गांव खाली करने तैयार नहीं हैं।
जिससे ग्रामीणों के साथ साथ टाइगर की सुरक्षा को भी खतरा बना हुआ है। बिना मुआवजा के ग्रामीण किसी भी हाल में गांव खाली करने के लिए तैयार नहीं है ग्रामीणों ने नई गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा देने की मांग की थी जिसके लिए प्रशासन भी राजी हुआ लेकिन जब से कलेक्टर और एसडीएम बदले है,जब से मुआवजा वाले काम में कोई भी उन्नति नही हुई।
माधव नेशनल पार्क से सटे वह पांच गांव जो होने है खाली
माधव नेशनल पार्क से सटे लखनगवां, हरनगर, मामौनी, डोंगर, अर्जुनगवां वह गांव है जो की माधव नेशनल पार्क से सटे होने के कारण खाली होने है जिने पार्क प्रबंधक को खाली कराना है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार साल 2005 में इन गांवों के 90 प्रतिशत ग्रामीणों को मुआवजा दिया जा चुका है लेकिन 10 प्रतिशत ग्रामीण ऐसे है जिन्होंने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है। बताया जा रहा है कि इन लोगों में से कुछ लोग कोर्ट भी जा चुके है वहा से भी मामला कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
साल 2005 के सर्वे में इस लिए रह गये थे लोग मुआवजा से वंचित
ग्रामीणों को मुआवजा न मिलने के कारण में पता चला है कि कुछ लोगो ने अपने परिवारों के सदस्यों के आधार पर गणना नहीं कराई है जिसकी वजह से करीब 500 लोगों को मुआवजा नहीं मिला है। इसके अलावा 75 परिवार ने पुरानी गाइडलाइन से मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है उनमें से करीब 250 वयस्क सदस्यों को नई गार्ड लाइन से मुआवजा देना है अभी करीब 37 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि वितरण होनी है। वही कुछ ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने ग्राम सभा ही नही की है तो मुआवाज कहा कहा से देगी।
यह रहा ग्रामीणों का दर्द, जान की लगी रहती है हर समय बाजी
ग्रामीणों ने बताया कि पहले शासन की तरफ से बोला गया था कि पहले ग्रामीणों को विस्थापित किया जाएगा इसके बाद ही टाइगर लाएंगे लेकिन ऐसा नही हुआ और टाइगर भी आ गये है। इसके बाद बोला जा रहा था कि नई गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा वह भी अभी तक नही दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में टाइगर आ जाते है वह पहले एक गाये के बछड़े को भी उठाकर ले गये थे। प्रशासन की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
नई गाइडलाइन से मुआवाज ग्रामीणों ने रखी थी मांग प्रशासन हुआ था राजी
माधव नेशनल पार्क ने समीप लखनगवां, हरनगर, मामौनी, डोंगर, अर्जुनगवां गांव के ग्रामीणो ने साल 2022 में नई गाइडलाइन से मुआवजा देने की मांग की थी इसके बाद पार्क प्रबंधक भी मुआवजा देने के लिए राजी हो गया। तत्कालीन कलेक्टर के 17 जून 2022 के आदेश पर पांचों गांवों में ग्राम सभा कराई। पांचों गांवों में प्रस्ताव रखा था कि जिन्होंने बिल्कुल मुआवजा नहीं दिया है, उन्हें नई गाइड लाइन से मुआवजा दिया जाए।
वहीं ऐसे लोग जो साल 2005 में सर्वे से वंचित रह गए हैं, उन्हें भी नई गाइड लाइन से पैसा दिया जाए। साल 2004 की गाइड लाइन से पैसा दिया है, उन्हें साल 2008 तक के अंतराल का ब्याज दिया जाए। कुआ, पेड़ आदि छूटे हैं, उसका ब्याज सहित पैसा दिया जाए। सर्वे कराकर 10 अगस्त 2023 को सूची चस्पा कर दी। फिर 21 अगस्त 2023 को बैंक में खाते भी खुलवा दिए। सब कुछ प्रस्तावित हो गया लेकिन जैसे ही कलेक्टर व एसडीएम बदले, सब ठप हो गया। जबकि ग्रामीण बिना मुआवजा गांव खाली करने तैयार नहीं हैं।