SHIVPURI में भगवान राम को 16 साल से वनवास, दुकान में ताले में बंद-अभी भी प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार

Bhopal Samachar
सोनू सेन अमोला। त्रेता युग में भगवान राम को 14 साल का वनवास हुआ था। त्रेतायुग में भगवान वन गए तो वन गए थे,राम से मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाए। भगवान राम की जन्मभूमि वाले देश में भगवान राम को टेंट में रहना पड़ा और राम भक्तों की लंबी लड़ाई के बाद रामलला बड़ी ही धूमधाम से अपने नए घर में विराजमान 22 जनवरी को होंगे,पूरे देश में इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही है।

लेकिन राम के देश में जगह जगह राम को वनवास झेलना पड रहा है शिवपुरी में पिछले 16़ वर्षो से राम को वनवास मिला हुआ है शिव की पुरी में भगवान राम का परिवार एक दुकान में पिछले 16 साल के कैद है,और उन्हें भी अपने नए घर की वापसी का इंतजार है। भगवान राम के नए घर का पैसा कलेक्ट्रेट की एक शाखा ने रोक रखा है।

हम बात कर रहे पुराने अमोला गांव की,यह गांव मडीखेडा की डूब क्षेत्र में आ गया था। गांव खाली कराया गया,ग्रामीणों को शिवपुरी झांसी पर स्थित सिरसौद के पास नया अमोला बसाकर प्रशासन ने दिया था,लेकिन पुराने अमोला गांव के बीचो बीच भगवान राम का मंदिर था। मंदिर के नाम पर मुआवजा तो दिया गया वह कलेक्ट्रेट की कोषालय शाखा में पिछले 16 साल से जमा है लेकिन नया मंदिर बनाने की प्रक्रिया शुरू नही हो सकी,ग्रामीणों का कहना है कि कई बार आवेदन दिए लेकिन सुनवाई नही हुई है।

ग्रामीणों ने बताया कि मडीखेडा के पानी के कारण अमोला गांव में पानी भरने लगा इस कारण भरते पानी से मंदिर गिरने लगा तो लोगों ने रीति रिवाज से भगवान की मूर्तियों ग्राम पंचायत की हाट बाजार में बनी दुकान में रख दी थी तभी से वो उन्ही दुकानों में रखी है

कलेक्टर कोष में जमा है करीब 27 लाख रु

विस्थापित ग्राम में मंदिर और मंदिर के अधीन लगी जमीन का मुआवजा भी जल संसाधन विभाग ने कलेक्ट्रेट में जमा कर रखा है इस संदर्भ कई बार विस्थापित लोगों द्वारा आवेदन भी किया गया कि हमें अपने मंदिरों का पैसा मिले जिससे वह अपने भगवानों को रीति रिवाज से विराजमान करें

पुजारियों से किया गया वादा भी अधूरा

विस्थापन के समय मंदिरों की जमीन भी हुआ करती थी जिस जमीन से मंदिरों के पुजारी अपना घर के परिजनों का जीवन यापन किया करते थे जमीन का मुआवजा तो जमा हो गया था और शासन ने पुजारी को हर माह मानदेय देने की आश्वासन दिया था जो आज दिनांक तक सिर्फ वादा ही रहा

अकेले राम मंदिर का मुआवजा 5 लाख रु

अमोल ग्राम का राजमंदिर का मुआवजा ही 5 लाख 37 हजार 5 सौ 74 रू है और दुर्गा माता मंदिर का मुआवजा करीब 5 लाख रु हुआ था और भी मंदिर थे जिनका कुल मुआवजा की राशि 27 लाख के आस पास थी अगर यह राशि मिल गई होती तो अभी तक भगवान अपने मंदिर में विराजमान होते

पुजारी बोले सेवा से वंचित है भगवान

मंदिर के पुजारी ने विजय शर्मा ने बताया कि मंदिर कितना पुराना है सही जानकारी नही है लेकिन हमारे परिवार की पांचवी पीढ़ी पूजा पाठ कर रही है। मंदिर स्टेट टाईम से भी पूर्व का है। पंचायत की दुकान में रखे राम परिवार को कपड़े से लपेट कर रखा हैं भगवान को ऐसे ही 16 साल हो गए है। हम प्रतिदिन दुकान की शटर खोलकर केवल अगरबत्ती दीपक लगा आते है।

पुजारी ने बताया कि शासन ने दो जगह मंदिर के लिए आरक्षित की है। अब नया मंदिर बन जाए और राम परिवार की प्राण प्रतिष्ठा हो जाए तो विधिवत सेवा पूजा अर्चना शुरू हो सकती है। जब पुराने अमोला के मंदिर में राम दरबार था उस समय सुबह 5 बजे ही भगवान का स्नान और बाल भोग लग जाया करता था। सुबह आरती हो जाती थी,शाम को भव्य आरती होती थी कुल मिलाकर भगवान की विधि विधान से पूजा होती थी। भगवान को कपडे में देखकर बहुत कष्ट होता है।

क्या बोले लोग
हमारे मंदिरों का बहुत आ पैसा कलेक्टर के कोष में जमा है बार बार आवेदन देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है अच्छा होता कि पैसा मिल जाता तो अयोध्या के साथ हम भी भगवान को बैठाते
शिशुपाल सिंह चौहान अमोला ग्रामीण

में 2003 में सरपंच था और मेरे समय ही विस्थापन का अनुबंध हुआ था जब बताया गया था कि पैसा कलेक्टर कोष में जमा होगा और कमेटी बना कर पैसा निकलेगा
देवीलाल आर्य पूर्व सरपंच अमोला 2003

पैसा तो जमा है कलेक्टर कोष में कितना है ये मुझे याद नहीं हैं क्योंकि बहुत दिन हो गए है पैसा मंदिरों का है मिलना चाहिए। दीपक गुर्जर पूर्व सरपंच अमोला 2006