शिवपुरी। कृषि विज्ञान केंद्र, शिवपुरी द्वारा शिवपुरी जिले में विगत दिनों हुई वर्षा की स्थिति को देखते हुए रबी फसलों के लिए आवश्यक कृषि तकनीकी एवं समसामयिक कृषि परामर्श कृषकों के लिए दिए गए। विगत 3-4 दिसम्बर को जिले की विभिन्न तहसीलों में 3.5 मिमी. से 6.7 मिमी. तक हुई वर्षा की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कृषक बंधुओं को आवश्यक एडवाइजरी जारी की गई है।
जिसके तहत फसल के खेतों में जल का ठहराव/भराव न होने दें तथा कटाव कर अतिरिक्त जल निकासी करें। अधिक वर्षा की स्थिति में खेत से पानी की निकासी की व्यवस्था सुचारू करें। दलहनी फसलों चना, मटर, मसूर एवं धनिया इत्यादि की फसलों में अधिक समय तक जल का ठहराव न होने दें। गेहूं की फसल में सिंचाई न करें। वर्तमान वर्षा से फसल को दो सिंचाई के बराबर लाभ की स्थिति होगी।
जहां गेहूं की बुबाई किए 25-30 दिन हो गए हैं वहां वर्षा ठहरते ही शेष नत्रजन की मात्रा यूरिया की टॉप ड्रेसिंग या जल विलय रूप में भुरकाव या छिड़काव कर पूर्ति करें। रबी की देर से बोई जाने वाली फसल जो धान के बाद खेत खाली हुए हैं वहां 20-25 प्रतिशत बीज दर बढ़ाते हुए गेहूं की बुबाई का कार्य बतर आने पर पूर्ण करें।
रबी में देर से बोई जाने वाली अन्य फसलों के अलावा रबी प्याज के लिए भी इस वर्षा नमी का लाभ लें तथा बतर आने पर मुख्य खेत की तैयारी कर प्याज की पौध का रोपण के लिए खेत तैयार करें। प्राकृतिक रूप से मिला वर्षा का जल फसलों के लिए फायदेमंद होगा तथा समान रूप से फसलों को मिलकर प्राकृतिक रूप से वायुमंडलीय नत्रजन को भी उपलब्ध कराने में सहयोगी होगा।
इस वर्षा जल से भूमिगत जल में वृद्धि के साथ-साथ फसलों के लिए दोहन किए जा रहे भूमिगत जल में भी लाभ होगा। अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी के वैज्ञानिकों/ विशेषज्ञों से परामर्श लें।