शिवपुरी। शिवपुरी शहर सिंधिया शासकों द्वारा बनवाई गई खूबसूरत और जटिल संगमरमर की छतरियों के लिए मशहूर है। इस शहर में पहले 18 तालाब हुआ करते थे लेकिन अब लगभग 4 ही शेष है। यह शहर समुद्र तल से करीब 478 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। यह एक घने जंगलो वाला शहर है,जो कभी शाही शिकार का मैदान हुआ करता था।
शहर में जल स्रोत बढ़ाने के लिए शहर के तालाबों पर खर्च करने के लिए लाखों रुपये मंजूर होते है लेकिन ना तो तालाब का कोई मेन्टीनेश होता और ना ही इन तालाबों की ओर कोई अधिकारी ध्यान देता है। शहर में पहले 18 तालाब हुआ करते थे जिनमें से 14 तालाब खत्म हो चुके है। क्यूंकि भू-माफियाओं ने इन तालाबों पर कब्जा कर लिया। अब बचे चार तालाब पर भी भू माफियाओं की नजरे बनी हुई है,और वह इन चार तालावो को भी खत्म करना चाहते है।
मनियर में मौजूद तालाब के ऊपरी हिस्से में अब खेती की जा रही है। और इस समय उसमे सरसों की फसल खड़ी हुई है। अब यह पता नहीं है कि यह जमीन प्रशासन से लीज पर ली गई है या फिर अवैध रूप से खेती की जा रही है..?
मनियर के वार्ड क्रमांक 13 में स्थित मनियर के तालाब में ऊपरी हिस्से में अब खेती की जा रही है साथ ही तालाब में मौजूद पानी से फसल की सिंचाई भी की जा रही है जिससे फसल की पैदावार अच्छी हो सके। तालाब के क्षेत्रफल की बात करे तो यह पुराने रिकॉर्ड के अनुसार करीब 2.5 वर्ग किलोमीटर का है।
जिसमें लगभग 6 मीटर जल भराब की क्षमता है। 1982 में यह तालाब नगरपालिका को ट्रांसफर किया गया था। जिसके बाद इस तालाब का मेंटेनेंस किया गया और फिर सनू 2005 से 2007 तक इस तालाब में पानी भरा रहा था इस तालाब के आस पास के एरिया में पक्के मकान भी बन चुके है।
सवाल यह की मनियर तालाब पर हो किस आधार पर खेती की जा रही है.?
मनियर तालाब की कुछ जमीन पर तो लोगों ने कब्जा कर पक्के मकान का निर्माण कर लिया है लेकिन अब बची हुई तालाब की जमीन पर भी खेती की जा रही है इस संबंध में कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नही है।
इस तालाब के मेंटेनेंस के लिए भी प्रशासन की तरफ से लाखो रुपये की राशी आती है लेकिन अब पिछले तीन चार सालों से इसका मेंटेनेंस भी नही किया गया है। इसकी वजह से तालाब में अब पानी का भराव भी नहीं हो पा रहा है स्थिति यह है कि अब तालाब में पानी भी नहीं है। और इसकी पार पर लोगों ने अवैध कब्जा कर निर्माण करा लिया है।
तालाब से चल रहा अवैध मुरम का उत्खनन
इस तालाब से कई वर्षो से अवैध लाल मुरम का कारोबार किया जा रहा है जो कि प्रशासन कि मिलीभगत हो सकती है क्योंकि इस तालाब से रेत का अवैध उत्खनन करते समय एक ट्रैक्टर ट्रॉली को खनिज विभाग ने लगभग 15 दिनों पहले पकडा था लेकिन अब वह फिर से अवैध रूप से लाल मुरम का कारोबार कर रहा है।
यह से एक ट्रैक्टर ट्रॉली का हिसाब लगाया जाए तो एक दिन में लगभग 12 ट्राली मुरम आराम से खोद कर बेच दी जाती है। एक ट्रॉली 1200 रुपये में बेची जाती है तो 12 ट्रॉलियों का 14,400 रुपये हो गया जिसमें से 300 रुपये प्रति ट्रॉली लेवर को दी जाती है इनको घटा दिया जाए तो एक दिन की कमाई 10,800 रुपये होती है। इस तरह एक महा का लगभग 3,24,000 हजार रुपये होता है।
यह होती है परेशानी
तालाब की पार व उसके उन रास्तों पर घर मकान बना लिए गए है जहां से उसमें से पानी की निकासी की जाती थी अब तालाब के ओवरफ्लो हो जाने पर पानी की निकासी का रास्ता भी नहीं बचता है। तालाब के भरते पर उन घरों को भी खतरा होता है जो उसकी पार के नीचे बने है साथ ही उसकी पार पर बने हुए है। इस मामले को लेकर जब नगर पालिका शिवपुरी के सीएमओ केशव सगर से बातचीत करने का प्रयास किया तो वह बोले की में अभी भोपाल में मीटिंग में हूं,संबंध में बाद में चर्चा करते है।