शिवपुरी। कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी के वैज्ञानिकों डॉ. एम.के. भार्गव, जे.सी.गुप्ता एवं डॉ.पुष्पेन्द्र सिंह द्वारा रावे छात्रों के साथ गतदिवस ग्राम नौहरी बछौरा में रहने वाले कृषक नंदकिशोर धाकड़ एवं इनके आसपास के क्षेत्र में टमाटर फसल में आ रही समस्या का निरीक्षण किया गया।
खेत में निरीक्षण के दौरान टमाटर फसल की समस्या को देखा एवं कृषक नंदकिशोर धाकड़ एवं दिलीप धाकड़ के साथ वहां उपस्थित जनों से बातचीत करते हुए अभी तक के टमाटर में डाली गई दवा एवं किए गए उपायों पर चर्चा करते हुए उनके द्वारा बतलाई गई विधि को समझा।
निरीक्षण के दौरान टमाटर में दवाओं का बहुतायत प्रयोग एवं अवशेष प्रभाव निकले बिना पुनः दवाओं का प्रयोग करना तथा बिना अनुशंसाओं के भी बहुत सारी दवाओं का प्रयोग किसान द्वारा किया जाना बतलाया गया। खेत में टमाटर के फल में फल छेदक कीट की इल्लियों की अवस्था एवं उनसे हुए टमाटर के क्षतिग्रस्त फलों को देखा और किसान को यथास्थिति गिरे हुए टमाटर एवं ढेरों को हटाते हुए मिट्टी में दबाने या अन्यत्र कहीं जलाकर नष्ट करने के लिए समझाइश दी। जिससे आगामी कीट एवं व्याधि का प्रकोप न बढ़े। कीटों की संख्या बहुतायत में न तैयार हो साथ ही हानिकारक फफूंद के कवकजाल में भी वृद्धि न हो सके।
अधिक क्षति वाली फसल को हटाकर अन्य फसल लगाने का परामर्श तथा शेष बची फसल पर नीम आधारित दवाओं का छिड़काव, गंधप्रास (फेरोमेनट्रेप) का प्रयोग के साथ परामर्श अनुसार पर्यावरण हितैषी कीटनाशक जिसमें इमामेक्टिन बेंजोएट का छिड़काव करने के लिए सलाह दी गई।
भविष्य में एवं आगामी टमाटर लगाने वाले किसानों को भी सलाह दी जाती है कि टमाटर फसल वाली खेती में गुणवत्तायुक्त उत्पादन के साथ कीट एवं रोग नाशकों का प्रयोग परामर्श अनुसार करने तथा समन्वित प्रबंधन के उपाय करें। जिससे फसल चक्र अपनाते हुए खेत में हेर-फेर कर टमाटर को उगायें।
टमाटर लगाने से एक सप्ताह पूर्व गेंदा की पौध इस प्रकार लगाएं कि टमाटर की 16 कतार के बाद 01 कतार गेंदा रोपित करते हुए खेत के चारों ओर 02 लाइनों में मक्का फसल की बुवाई करें। जिससे टमाटर में कीट एवं रोग नियंत्रण में भूमिगत एवं भूमि के ऊपर भी लाभकारी परिणाम मिलेंगे एवं कीट एवं रोग नाशकों की व्यय पर भी कमी होगी।
अलग-अलग कीटों जैसे फल छेदक तथा तम्बाकू की सूडी के लिए फेरोमेनट्रेप प्रति बीघा में 02 लगायें जो इल्लियों के वंश वृ़िद्ध के नियंत्रण में लाभकारी रहेगी। येलो स्टिक कार्ड (पीला चिपचिपा गत्ता) बीच-बीच में खेतों में लगायें जिससे रसचूसक कीट जैसे एफिड, जेसिड, सफेद मक्खी, माइट इत्यादि का नियंत्रण हो सकेगा। आवश्यकता पड़ने पर कृषि, उद्यानिकी एवं कृषि वैज्ञानिकांे से परामर्श कर कम तीव्रता वाले कृषि रसायनों का प्रयोग पहले करें। आवश्यकता पड़ने पर अधिक तीव्रता वाले रसायनों को परामर्श के उपरांत ही डालें। जिससे फसल में कीट एवं दवाओं के प्रति प्रतिरोधी क्षमता पैदा न हो सके।
इसी क्रम में ग्राम दिनारा के कृषक महेन्द्र सिंह यादव द्वारा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी करैरा के माध्यम से सरसों फसल में आ रही समस्या के लक्षणों को वाट्सएप के माध्यम से सरसों के पत्तों का फोटो मार्गदर्शन के लिए भेजा गया। इसी क्रम में सभी सरसों उत्पादन वाले किसानों को भी सलाह दी जाती है कि वर्तमान मौसम में बादल छाये हुए हैं।
मौसम में नमीं अथवा आर्द्रता अधिक होने से रोग एवं कीटों की समस्या हो सकती है। भेजने गए फोटो में अल्टरनेरिया ब्लाइट के लक्षण प्रतीत हो रहे हैं साथ ही ऐसी दशा में व्हाइट रस्ट रोग भी आ सकता है। किसान भाई सरसों फसल में मैटालेक्जिल अथवा मेन्कोजेब दवा 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के मान से घोल बनाकर 15 लीटर क्षमता वाले 5 से 6 पंप प्रति बीघा में छिड़काव करें। अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र पर विशेषज्ञ अथवा वैज्ञानिकों से संपर्क किया जा सकता है।