शिवपुरी। शिवपुरी जिला न्यायालय के सेशन न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद सोनी ने बीते 19 दिसंबर को एक आदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कलेक्टर के भूत्य द्वारा दर्ज कराए गए मामले को निरस्त कर दिया। यह मामला चार साल पूर्व कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के दौरान सरकारी स्कूल के बच्चों की गणवेश में हुए घोटाले की शिकायत करने गए युवक पर इसलिए दर्ज कराया था, क्योंकि उसने तेज आवाज में अपनी बात कही थी। न्यायाधीश ने माना कि इसमें धारा 353 भादवि का मामला बनता ही नहीं है।
शिवपुरी के सोशल वर्कर अभिनंदन जैन के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ भृत्य रामेश्वर से मिल ने कोतवाली शिवपुरी में 12 फरवरी 2019 को एफआईआर कराई थी। जिसमें उल्लेख किया था कि जनसुनवाई में दोपहर 12 बजे अभिनंदन जैन पालक संघ के लैटर हेड में गणवेश वितरण में गड़बड़ी की शिकायत लेकर आए थे और तेज आवाज में वहां बात की थी, जिससे जनसुनवाई जैसी महत्वपूर्ण सेवा हुई थी। हालांकि उसके बाद भी जनसुनवाई आगे भी जारी रही थी।
पुलिस ने अभिनंदन के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा की धारा 353 भादवि के तहत प्रकरण दर्ज कर 19 अप्रैल 2023 में चालान न्यायालय में पेश किया। धारा 353 के आरोपी बने अभिनंदन जैन के वकील विवेक जैन ने सेशन न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद सोनी की अदालत में पुनरीक्षण आवेदन पेश किया, जिसमें यह आग्रह किया गया कि जिस धारा में मामला दर्ज किया गया, वो बनता ही नहीं है।
वकील ने लडा बिना पैसो के केस
सोशल वर्कर अभिनंदन जैन जनसुनवाई में जो शिकायत करने गए थे, वो उनकी व्यक्तिगत समस्या न होकर शासकीय स्कूल के बच्चों को गणवेश वितरण हुए घोटाले का मामला उठाया था। चूंकि यह जनहित का मुद्दा था, इसलिए एडवोकेट विवेक जैन ने अभिनंदन से कहा कि मैं आपका केस बिना किसी फीस के लडूंगा। पूरा मामला समझने के बाद विवेक ने यह भरोसा भी दिलाया था कि मैं आपको इस झूठे केस से बाहर निकाल लाऊंगा।