शिवपुरी। शिवपुरी जिले में 1 जनवरी से रजिस्ट्री और नामांतरण कराने में संपदा 2.0 लागू हो जाएगा,इससे जिले में नामांतरण प्रक्रिया में सुविधा मिलेगी और तहसील कार्यालय और पटवारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे,वही प्लाट ओर भूखंड की नामांतरण प्रक्रिया में पटवारी की नाजायज मांग रिश्वत भी नही देनी होगी,इस प्रक्रिया के तहत आपको 10 दिन के अंदर आपके पास आपके द्वारा खरीदी गई जमीन या प्लाट का नामांतरण रजिस्ट्री के दस दिन बाद स्वत:ही आ जाऐगा। इससे जनमानस को पटवारी और तहसील के भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगी।
अभी तक यह देखने में आया है कि अगर आपने प्लाट या जमीन खरीदी है तो तहसील में नामांतरण के लिए पटवारी के चक्कर लगाने पड़ते थे मुंह मांगी रिश्वत देनी होती थी,लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यह नियम 1 जनवरी 2024 से शिवपुरी में लागू होगा इससे पूर्व के नामांतरण की प्रक्रिया पहले जैसी ही होगी।
पहले 12 जिलों में लागू था, अब शिवपुरी में भी
सबसे पहले सीहोर और दतिया 2 जिले 2 साल से इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल थे, लेकिन बाद में 12 और जिले शामिल हुए। अब आगामी 1 जनवरी 2024 से संपदा 2.0 का यह पायलट प्रोजेक्ट शिवपुरी जिला सहित पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगा।
अब समझे क्या है संपदा 2.0
1 जनवरी 2024 से प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने में संपदा 2.0 लागू हो जाएगा। इससे लोगों को कई फायदे मिलेंगे। अब भवन अथवा भूखंड की रजिस्ट्री कराते समय ही रेवेन्यू केस मानीटरिंग सिस्टम (आरसीएमएस) के जरिए भवन अथवा भूखंड स्वामी का नामांतरण फार्म भी भर दिया जाएगा। इसके बाद यह नामांतरण फार्म सीधे साइबर तहसील कार्यालय में चला जाएगा।
वहां से संबंधित व्यक्ति को बिना अलग से आवेदन किए ही 10 दिनों में नामांतरण पत्र मिल जाएगा। इस वर्जन में खास बात यह है कि यदि किसी व्यक्ति ने अपने पूरे रकबे की रजिस्ट्री कराई है तो तहसील में जाकर अलग से नामांतरण प्रक्रिया पूरी नहीं करनी पड़ेगी। पुरानी रजिस्ट्री के मामलों में नामांतरण को लेकर पहले जैसी प्रक्रिया जारी रहेगी।
रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री की प्रक्रिया के समय ही अब संबंधित भवन, भूखंड स्वामी के नामांतरण का आवेदन फॉर्म भरा जाएगा। इसमें आवेदक का नाम, उसका पूरा पता, मोबाइल नंबर, प्रॉपर्टी की अपडेट जानकारी दर्ज की जाएगी। इसके बाद रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी होते ही ऑटोमेटिक वह नामांतरण फार्म साइबर तहसील कार्यालय में पहुंच जाएगा।
ऐसे समझिए क्यों लागू हो रहा नया सिस्टम
2015 से पहले तक प्रापर्टी की रजिस्ट्री स्टांप पेपर पर मैन्युअल तरीके से होती थी। इसमें किसी भूखंड या मकान की तीनों साइड की फोटो और चतुर्दशी सीमाओं का मैप लगता था। इसके बाद 2015 से अभी तक ई-स्टांप पर रजिस्ट्री होती है। इसके बाद नए साल से जीआईएस टेगिंग के आधार पर प्रॉपर्टी की नई फोटो कैप्चर होने लगेगी।
उसी आधार पर सर्विस प्रोवाइडर रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज तैयार करेंगे। इस सिस्टम से प्रापर्टी की लोकेशन की गलत जानकारी देकर छुपाया नहीं जा सकेगा। नए सिस्टम में पक्षकार को रजिस्ट्रार ऑफिस आने की जरूरत नहीं होगी। नया दस्तावेज आधार से लिंक होगा। पक्षकार के पास घर बैठे ओटीपी नंबर आएगा, उसी से वेरीफिकेशन हो जाएगा।
शहर, ग्रामीण क्षेत्र की प्रापर्टी जीआईएस सिस्टम से चिंहित
संपदा-2.0 वर्जन को लागू करने से पहले विभाग ने शहर, रूरल इलाके की लोकेशन प्रापर्टी जीआईएस सिस्टम से चिह्नित की है। उसी को आधार मानकर नई रजिस्ट्री होगी। पक्षकार को 1000 वर्ग फीट के मकान अथवा भूखंड की रजिस्ट्री करवानी है। उसके 60 फीसदी और उससे ज्यादा निर्माण हो चुका है तो अधिक निर्माण की जानकारी छिपाई नहीं जा सकेगी। 2 हजार से अधिक लोकेशन को इसमें कैप्चर किया है।
रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण फार्म भरा होगा
रजिस्ट्री करते समय ही नामांतरण फार्म भी भरवा दिया जाएगा। नामांतरण पत्र जारी करने के लिए तहसील कार्यालय को अधिकृत किया गया है। हमारे यहां तैयारियां जारी है।
दुष्यंत दीक्षित, जिला पंजीयक
तहसील कार्यालय का वर्क लोड कम होगा
प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने वाले व्यक्ति को 10 दिन में नामांतरण पत्र मिल जाएगा। इससे तहसील कार्यालय का वर्क लोड भी कुछ कम हो जाएगा। सिद्धार्थ शर्मा, तहसीलदार शिवपुरी