शिवपुरी। शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क मे खुले में टाइगर है। शहर के लोगों को और लोगों से टाइगर सुरक्षित रखने के लिए 14 करोड़ रुपए की लागत से एक दीवार का निर्माण किया जाएगा इसकी लंबाई 13.6 किमी है और उसकी उंचाई 11 फीट ऊंची होगी। इसका निर्माण मेडिकल कॉलेज के पीछे से झांसी रोड तक किया जाऐगा।
टाइगर अभी जंगल छोड़कर शहर भ्रमण पर न आ जाए। हालांकि यह हालात तब बनेंगे, जब दो और टाइगर लाकर सेलिंग क्लब के आसपास छोड़े जाएंगे। इस बाउंड्री का जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा।
गौरतलब है कि शिवपुरी माधव नेशनल पार्क में 5 टाइगर लाए जाने हैं। इनमें से तीन टाइगर मार्च 2023 में लाए जा चुके हैं, जबकि दो अन्य टाइगर भी लोकसभा चुनाव से पहले लाने के प्रयास में पार्क प्रबंधन जुटा हुआ है। अभी जो तीन टाइगर लाए गए, उनकी शरणस्थली बलारपुर जंगल में बनने के बाद अब न केवल माधव नेशनल पार्क नया टूरिस्ट जोन निर्मित कर रहा है, बल्कि वहां से टाइगरों के बलारपुर गांव तक आने के बीच में नदी की रुकावट है। इन टाइगरों के शहर की तरफ आने की आशंका कम है, क्योंकि उनके लिए जंगल में दूसरी ओर झांसी रोड वाला एरिया है।
सैलिंग क्लब वाले टाइगरों से रहेगी आशंका
माधव नेशनल पार्क में दो और टाइगर लाए जाने हैं, जिन्हें सैलिंग क्लब के पास बाड़े बनाकर रखा जाएगा। बाद में जब टाइगरों को खुले जंगल में आजाद करेंगे तो वो बाड़ों के आसपास के जंगल में ही अपना ठिकाना बनाएंगे। चूंकि इन टाइगरों से शहरी सीमा अधिक दूर नहीं रहेगी तथा वो करौंदी, ठकुरपुरा व मेडिकल कॉलेज पार्क सीमा के नजदीक ही रहेंगे। ऐसे में टाइगरों के शहर में आने की आशंका बनी रहेगी। यही वजह है कि जो 13.6 किमी की बाउंड्री बनाई जाएगी, उसमें यह पूरा एरिया कवर किया जाएगा।
इंसानों पर अटैक नहीं करता टाइगर
नए साल से टाइगरों को दिखाने के लिए सैलानियों को ले जाने के लिए जो वाहन चलाए जाएंगे, वो खुली जिप्सी या अन्य ऐसे ओपन वाहन हो सकते हैं। जिसमें सैलानी टाइगर को खुली गाड़ी में बैठकर बिना कांच या सुरक्षा कवच के सीधे खुली आंखों से देख सकेंगे। अभी तक ऐसी कोई भी घटना नहीं हुई है, जिसमें टाइगर ने सैलानियों पर कोई अटैक किया हो। बल्कि प्रदेश में कुछ टाइगर रिजर्व ऐसे हैं, जिनके आसपास खेतों में लोग काम करते हैं, तथा शाम को जिन रास्तों से इंसान अपने घरों को जाते हैं, वहां से रात में टाइगर भी गुजरते हैं।
जब बढ़ेंगे टाइगर तो होगी आवाजाही
पहले छोड़े गए तीन टाइगरों से वंश वृद्धि का इंतजार कर रहे पार्क प्रबंधन का कहना है कि जो दो टाइगर (नर-मादा) बाद में लाए जाएंगे, उनकी भी जब आबादी बढ़ेगी तो टाइगरों के इलाके भी अधिक हो जाएंगे। ऐसे में जिन टाइगरों के ठिकाने शहरी क्षेत्र के आसपास होंगे,वहां पर सुरक्षा के इंतजाम बाद में भी करने पड़ेंगे। क्योंकि रात-बिरात टाइगर यदि किसी रिहायशी इलाके में पहुंचा और उसे देखकर यदि किसी इंसान ने डरकर अपने बचाव में कोई अटैक टाइगर पर किया तो पलटवार का खतरा रहेगा।