विवेक यादव दिनारा। त्योहार और उसके बाद चुनाव ने लंबे समय से दफ्तरों और सरकारी पूरी सिस्टम को उलझा कर रखा था इसके चलते सरकारी दफ्तरों में रूटीन के काम बुरी तरह से प्रभावित हो गए थे। अधिकांश कर्मचारियों की चुनाव के विभिन्न कार्यों में ड्यूटी लगा दी गई थी, जिसके चलते वे अपने रोजाना के काम नहीं कर पा रहे थे सोमवार को अधिकारी और कर्मचारी लंबे समय बाद दफ्तरों में पहुंचे और रूटीन के काम शुरू किए सबसे ज्यादा काम राजस्व विभाग में पेंडिंग हो गए थे।
इसके अलावा सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है। कई स्कूल नियमित नहीं खुल पाए। वहीं अधिकांश पोलिंग बूथ स्कूलों में ही बनाए गए थे, जिसके चलते पढ़ाई का काम लगभग ठप हो गया था। जानकारी के अनुसार जिले में चुनाव के लिए 10 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई थी जो अलग-अलग तरह
से चुनावी काम में ड्यूटी कर रहे थे।
निर्वाचन के लिए अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी करीब एक महीने से बुला लिया गया था, जो चुनावी काम कर रहे थे। इसके चलते न तो वे ऑफिस में पहुंच रहे थे और न ही अपना रुटीन काम कर रहे थे। सोमवार को वे लोग ऑफिस पहुंचे और रुटीन का काम शुरू किया। हालांकि पेंडिंग काम ज्यादा होने के कारण कुछ खास नहीं हो पाया।
इधर स्कूलों में जरूर शिक्षक और बच्चों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। लेकिन न तो दफ्तर ज्यादा दिन ठीक से चल पाएंगे और न ही स्कूल, क्योंकि अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी मतगणना में लगेगी। प्रशासन के अनुसार 24 तारीख से मतगणना की तैयारियां शुरू हो जाएंगी मतगणना कर्मचारियों को दो-बार प्रशिक्षण देना होगा। इसके बाद वे मतगणना करेंगे बताया जा रहा है कि 3 दिसंबर तक सरकारी
दफ्तरों की स्थिति ऐसे ही चलेगी।
राजस्व के का काम सबसे ज्यादा प्रभावित हुए अफसरों के अनुसार राजस्व में नामांतरण से लेकर बंटान, ईडब्ल्यूएस समेत अन्य तरह के काम होते हैं पटवारी से लेकर तहसीलदार, एसडीएम और एडीएम तक की चुनाव में ड्यूटी रही तहसीलदार से लेकर एसडीएम और एडीएम 21 अक्टूबर से ही लगातार चुनावी ड्यूटी में लगे रहने के कारण कोर्ट नहीं लग पाए। राजस्व के ही करेरा 50 से 100 लोगों के ज्यादा काम अटके हुए हैं।
इसके अलावा सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है। कई स्कूल नियमित नहीं खुल पाए। वहीं अधिकांश पोलिंग बूथ स्कूलों में ही बनाए गए थे, जिसके चलते पढ़ाई का काम लगभग ठप हो गया था। जानकारी के अनुसार जिले में चुनाव के लिए 10 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई थी जो अलग-अलग तरह
से चुनावी काम में ड्यूटी कर रहे थे।
निर्वाचन के लिए अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी करीब एक महीने से बुला लिया गया था, जो चुनावी काम कर रहे थे। इसके चलते न तो वे ऑफिस में पहुंच रहे थे और न ही अपना रुटीन काम कर रहे थे। सोमवार को वे लोग ऑफिस पहुंचे और रुटीन का काम शुरू किया। हालांकि पेंडिंग काम ज्यादा होने के कारण कुछ खास नहीं हो पाया।
इधर स्कूलों में जरूर शिक्षक और बच्चों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। लेकिन न तो दफ्तर ज्यादा दिन ठीक से चल पाएंगे और न ही स्कूल, क्योंकि अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी मतगणना में लगेगी। प्रशासन के अनुसार 24 तारीख से मतगणना की तैयारियां शुरू हो जाएंगी मतगणना कर्मचारियों को दो-बार प्रशिक्षण देना होगा। इसके बाद वे मतगणना करेंगे बताया जा रहा है कि 3 दिसंबर तक सरकारी
दफ्तरों की स्थिति ऐसे ही चलेगी।
राजस्व के का काम सबसे ज्यादा प्रभावित हुए अफसरों के अनुसार राजस्व में नामांतरण से लेकर बंटान, ईडब्ल्यूएस समेत अन्य तरह के काम होते हैं पटवारी से लेकर तहसीलदार, एसडीएम और एडीएम तक की चुनाव में ड्यूटी रही तहसीलदार से लेकर एसडीएम और एडीएम 21 अक्टूबर से ही लगातार चुनावी ड्यूटी में लगे रहने के कारण कोर्ट नहीं लग पाए। राजस्व के ही करेरा 50 से 100 लोगों के ज्यादा काम अटके हुए हैं।