शिवपुरी। विधानसभा चुनाव का 17 नवंबर मतदान के बाद शांति ही शांति नजर आ रही है। प्रत्याशी और समर्थक इसी बात पर उलझे है कि कितनी वोटिंग हमारे पक्ष में हुई है और हार जीत का मंथन जारी है। इस मंथन के बीच चुनाव लड रहे प्रत्याशियो के सोशल अकाउंट पर भी कर्फ्यू जैसे हालत हो गए है। चुनाव के समय धडाधडा पोस्ट आने वाले अकाउंट पर मतदान के आभार की पोस्ट के बाद पूर्ण विराम लग गया है।
इस बार का विधानसभा चुनाव जमीन से सोशल पर लडा गया था। सभी प्रत्याशी धरातल पर उतरकर प्रचार प्रचार कर रहे थे वही सोशल पर भी लगातार पोस्ट भी कर रहे थे। या यू कह लो कि सोशल पर भी चुनाव प्रचार करने की होड थी आरोप प्रत्यारोपों को भी हवा सोशल से दी जा रही थी।
वहीं कुछ प्रत्याशियों ने इंटरनेट मीडिया पर अधिक भरोसा न जताते हुए पारंपरिक साधनों से ही चुनाव लड़ा। किसका तरीका कितना सटीक बैठा इसका फैसला तो जनता ने ईवीएम में कैद कर दिया है। बहरहाल, इंटरनेट मीडिया पर भी अब चुनावी शोर थम चुका है।
प्रत्याशियों के अकाउंट से प्रतिदिन कुछ घंटों के अंतराल पर ही नियमित पोस्ट हो रही थीं, लेकिन अब वहां सन्नाटा है। अधिकांश प्रत्याशियों ने मतदान के बाद आभार की पोस्ट डालने के बाद इंटरनेट मीडिया से दूरी बना ली है। कुछेक पोस्ट वर्ल्ड कप की जरूर साझा की गईं, लेकिन राजनीतिक पोस्ट दिखाई नहीं दीं। इसके पीछे कारण यह भी है कि अपने अकाउंट खुद प्रत्याशी हैंडल नहीं कर रहे थे। कई प्रत्याशियों को तो खुद इंटरनेट मीडिया का अधिक इस्तेमाल करना तक नहीं आता है।
इसके लिए उन्होंने बकायदा विशेषज्ञों की टीम लगाई थी जो अब रवाना हो चुकी है। यही कारण है कि अब यहां सन्नाटा है। वहीं एक आकलन के अनुसार इंटरनेट मीडिया पर कई प्रत्याशियों ने पांच लाख से भी अधिक राशि खर्च की है। यह राशि फॉलोअर खरीदने, कंटेंट बनाने और फिर उसे बहुत प्रसारित करने में खर्च की गई। लेकिन, इसकी मॉनिटरिंग नहीं हो पाई क्योंकि इसका कोई सिस्टम ही नहीं बन पाया।
व्यय और इनके इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर नजर रखने वाली टीम ने सिर्फ उन्हीं अकाउंट पर नजर रखी जिसका उल्लेख प्रत्याशी ने अपने फार्म में किया था। जबकि प्रचार के लिए उन्होंने दूसरी आईडी का इस्तेमाल किया। निगरानी के लिए टीम को लिंक दी गई थी जिससे वह जांच कर सकते थे कि किस प्रत्याशी ने कितनी पेड पोस्ट कीं, लेकिन जिन अकाउंटों का इस्तेमाल किया गया वह निगरानी में थी ही नहीं।
कैमरामैन से लेकर एडिटर तक रखे टीम में
इंटरनेट मीडिया पर कंटेंट बनाने के लिए प्रत्याशियों के साथ बकायदा डीएसएलआर कैमरों से लेस फोटोग्राफर, एक वीडियोग्राफर चलता था। इसके साथ टीम में एडिटर अलग से रखे जाते थे। हर प्रत्याशी के लिए आठ से 10 लोगों की टीम काम कर रही थी और टीम से करीब एक महीने तक काम किया। इन्हीं पर कई प्रत्याशियों ने चार से पांच लाख रुपये खर्च किया है।