SHIVPURI NEWS - मूल मुद्दे से भटक गया शिवपुरी विधानसभा का चुनाव

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी विधानसभा का चुनाव अब अपने मूल मुद्दे से भटक गया है। भाजपा ने कमल निशान और विकास की बात को छोड़कर नया जुमला पकड़ लिया है वह है भय और आंतक। भाजपा का पूरा फोकस कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह की कार्यप्रणाली पर कर दिया है। भाजपा अपने होर्डिंग पर भी लिख रही है कि भय और आतंक के खिलाफ भाजपा के वोट किजिए।

ऐसे में बुधवार को कांग्रेस प्रत्याशी को अपने व्यक्तिगत वचन पत्र में लिखना पड़ा कि असामाजिक तत्वों का कोई संरक्षण नहीं किया जाएगा। पिछोर सीट से छह बार विधायक चुने गए कांग्रेस नेता केपी सिंह को इस बार अचानक शिवपुरी से प्रत्याशी बनाया गया। अपने नाम की घोषणा के बाद से ही केसी सिंह मीडिया के सामने आने से कतराते रहे। फोन कॉल उठाना तो दूर आमने-सामने भी जवाब देने से भी बचते रहे। उन्होंने नामांकन दाखिल करने वाले दिन भी मीडिया से दूरी रखी।

जब नामांकन फॉमों का परीक्षण हो गया तब नवंबर की सुबह कांग्रेस प्रत्याशी ने प्रेसवार्ता बुलाई और अपना वचन पत्र पढ़कर सुनाया जिसमें तीसरे बिंदु पर स्पष्ट लिखा है कि "क्षेत्र में किसी प्रकार के असामाजिक तत्वों को कभी भी किसी प्रकार का कोई संरक्षण या किसी के गलत कार्यों का सहयोग का काम कभी मेरे द्वारा नहीं किया जाएगा। इसे भाजपा के बैनर में लिखे भय आतंक खत्म करने की बात का जवाब माना जा रहा है। हालांकि पत्रकारों के सवाल पर केपी सिंह ने कहा कि मेरा वचन पत्र तो पहले ही छप गया था,हालाकि यह बात सत्य है कि केपी सिंह ने अपना वचन पत्र चुनाव की घोषण होते ही प्रकाशित कर दिया था।

कुल मिलाकर लिखने का सीधा सा अर्थ है कि शिवपुरी के मूल मुद्दे विकास इस भय और आतंक के नए जुमले में पिछड़ गया है। इस चुनाव में शिवपुरी की अधूरी पड़ी योजनाओं के विषय में कोई बात नही कर रहा है। शिवपुरी की सिंध जलावर्धन योजना,सीवर प्रोजेक्ट और शिवपुरी की खुदी पड़ी सडको की कोई बात नही कर रहा है। हालांकि जनता भी भाजपा के नए जुमले का अपने अपने हिसाब से परिभाषित कर रही है।

जनता यह भी स्वीकार कर रही है कि सिंधिया राजघराने के सदस्यों को छोड कर केपी सिंह जैसे कद का नेता शिवपुरी जिले में नही है। वही जनमानस ने देवेंद्र जैन की कार्यप्रणाली को भी देख लिया है। इस भय और आतंक के जुमले के कारण जनता किसी भी प्रत्याशी से विकास की बात नही कर रही है। भाजपा से हिसाब नहीं मिल पा रही है। यह भाजपा को अच्छी तरह से पता है कि अगर शिवपुरी के विकास की बात करेंगे और योजनाओं की बात चलेगी तो उसके नंबर कम आऐगें। भाजपा ने जनता ने नस पकडी है,माखन और मुन्ना की पसंद शिवपुरी में भय और आतंक का मंत्र जारी है

उधर कांग्रेस भी इस मुद्दे पर सिर्फ हटो और बचो की स्थिती में आ गई है,कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह ने अपनी पत्रकार वार्ता में सबसे पहले शब्द यह बोले थे कि किसी व्यक्ति विशेष की बात नही करना। भय और आतंक वाले जुमले पर केपी सिंह सिर्फ इतने ही बोले की यह उनकी सोच है,अब यह जनता को तय करना है कि वह वोट भाजपा को करेगी की कांग्रेस को। भाजपा का यह भय और आतंक का जुमला भाजपा को भारी पड़ेगा या जीत की ओर ले जाएगा,या फिर कांग्रेस का इस मुद्दे पर साइलेंट होना जीत का मंत्र बनेगा या हार का यह भविष्य की गर्त में