शिवपुरी। इस बार के विधानसभा में प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार का तौर तरीका बदला है। प्रत्याशी जनसंपर्क के अतिरिक्त सोशल पर सक्रिय है,सोशल पर अपनी इमेज बनाने के लिए पूरी टीम को हायर किया हुआ है,कारण स्पष्ट दिखाई देता है कि इस बार शिवपुरी विधानसभा चुनाव का भविष्य यूथ तय करेगा और निर्वाचन के आंकड़ों के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक वोटर 19 साल से लेकर 40 साल तक है और यूथ इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहता है।
अगर नेताओं की सोशल अकाउंट की बात करे तो हजारो में फ्लोअर है और इन अकाउंट पर लगातार पोस्ट आ रही है कि लेकिन लाइक नहीं मिल रहे है। मान लीजिए किसी को नेता को 50 हजार से अधिक लोग फोलो करते है लेकिन उसकी पोस्ट पर मात्र कुछ सैकड़ा से अधिक लाइक और शेयर की बात कर दर्जन भर नही है। इस बार चुनाव में माननीय के अकाउंट केा मैनेज करने के लिए कई पीआर कंपनियां सक्रिय हुई है और यह कंपनियों को लाइक फ्लो का लालच दिखाकर चूना लगा रही है और प्रत्याशियों का भारी नुकसान करा रही है।
अब हम शिवपुरी जिले के पांच विधानसभा की बात करे तो सबसे अधिक फॉलोअर्स भाजपा प्रत्याशी सुरेश राठखेडा के है सुरेश राठखेडा 106 हजार फॉलोअर्स है लेकिन सुरेश राठखेडा के अकाउंट से कोई भी पोस्ट पर 200 से अधिक लाइक नही है अगर शेयर की बात करे तो दर्जनभर से अधिक नहीं है। जब 106 हजार माननीय को फॉलो कर रहे है ओर फलोअर्स जब ही आता है जब माननीय को पसंद करता हो लेकिन माननीय का फलोअर्स माननीय की पोस्ट को लाइक नही कर रहा है,सवाल बडा है।
इसी प्रकार कांग्रेस प्रत्याशी कैलाश कुशवाह के फलोअर्स 100 हजार है,शिवपुरी विधानसभा के भाजपा के प्रत्याशी देवेन्द्र जैन के 87 हजार और करैरा विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी रमेश खटीक के मात्र 5500 फलोअर्स है। इसी प्रकार केपी सिंह के 49 हजार,महेन्द्र सिंह यादव 137 हजार बैजनाथ सिंह यादव के 34 हजार,प्रागीलाल जाटव 10 हजार,प्रीतम लोधी 44 हजार ओर अरविंद लोधी 5.9 हज़ार है।
माननीयों का चुनाव हारने का सबसे बडा कौन बनेगा यह
चुनाव लड रहे प्रत्याशी यह समझ कर बैठे है कि उनके इतनी बडी संख्या में फलोअर्स है लोग उन्हें पसंद कर रहे है इसलिए वह अब वह पिछले कई महीनों से सीधा संवाद करने में ज्यादा उत्सुक नहीं है। इसका सीधा उदाहरण सुरेश राठखेडा के साथ हुए घटनाक्रम से मिल रहा है अगर माननीय ग्रामीणों से सीधा संवाद करते तो गांव में विरोध नहीं देखने को मिलता,जो भी मांग और नाराजगी थी वह सीधे संवाद से दूर हो सकती थी,ऐसा कई प्रत्याशियों के साथ हुआ कि जनता की बात सीधे उनके पास पहुंच नहीं है।
स्वयं हैंडल नहीं कर रहे अकाउंट
माननीय के अकाउंट स्वयं माननीय हैंडल नहीं कर रहे है इसके लिए पीआर कंपनी हायर की गई है। माननीयों को आंखों पर एक झूठ का पर्दा इस कंपनी ने पहनाया है फैक फॉलोअर्स खरीदे गए है इस कारण ही पोस्ट पर लाइक कुछ सो की संख्या में मिल रहे है। जनता अगर माननीय के खिलाफ पोस्ट पर खिलाफ कमेंट करती है तो यह कंपनियां बड़ी ही चतुराई से कमेंट हटा देती है,इस कारण कमेंट करने वाला ज्यादा नाराज हो जाता है कि हमारी सुनी नहीं गई और कमेंट को डिलीट कर दिया गया।
यह होता है कंपनी का सत्य काम
मप्र में जो पीआर कंपनियां काम कर रही है जो वास्तव में अपने अकाउंट होल्डर का धरातल पर काम करती है वह सर्वे करती है कि किस क्षेत्र में क्या हालत है विरोध है जनता नाराज है क्यों है तो वास्तविक स्थिती से अवगत कराती है,जिससे माननीय स्वयं जाकर नाराजगी को दूर कर सके। कोई नेगेटिव कमेंट करता है तो कमेंट करने वाले व्यक्ति से संपर्क कर उसकी नाराजगी का कारण पता करती है,लेकिन शिवपुरी के माननीय को उनकी पीआर कंपनी ठग रही है। केवल फर्जी फॉलोअर्स बताकर सीना फूला रही है सीधे शब्दों में लिखा जाए तो पीठ में नहीं सीने में छुरा घोपने का काम कर रही है।
देवेन्द्र जैन और महेंद्र को होना पड़ा था शर्मिंदा पीआर कंपनी के कारण
शिवपुरी में सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि कोलारस से भाजपा प्रत्याशी महेंद्र यादव और कोलारस के कांग्रेस प्रत्याशी बैजनाथ यादव की एक ही कंपनी पीआर का काम देख रही है। इसलिए महेंद्र यादव की एकांउट से बैजनाथ यादव की पोस्ट शेयर हो गई थी। वही देवेन्द्र जैन इस बार चुनाव में दो बार कांग्रेस प्रत्याशी कैलाश प्रत्याशी का चुनाव प्रचार करते देखे गए थे। शिवपुरी में एक ही पीआर कंपनी लगभग सभी प्रत्याशियों का काम देख रही है वही शिवपुरी के कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह का अकाउंट उनके विश्वसनीय ही देख रहे है।
बताया जा रहा है कि यह कंपनी प्रत्याशियों को आईडिया भी दे रही है,अपने प्लान को इस प्रकार से बताती है कि प्रत्याशी झांसे में आ जाता है,इसका उदाहरण शिवपुरी विधानसभा में देखने को मिला है,इस पीआर कंपनी ने केपी सिंह को दबंग छबि का नेता निरूपित किया है,यह दांव भाजपा को शिवपुरी में उल्टा पड़ गया।