SHIVPURI NEWS - कोलारस रेंजर कृतिका शुक्ला सहित वनकर्मी सस्पेंड, दुखी फॉरेस्ट गार्ड ने किया सुसाइड का प्रयास

Bhopal Samachar
शिवपुरी। खबर वन विभाग से मिल रही है कि कोलारस रेंज क्षेत्र में पदस्थ फॉरेस्ट गार्ड ने घर में फांसी लगाकर सुसाइड करने का प्रयास किया,परिजनो के सही समय पर देख लेने के कारण उसकी जान बच गई,बताया जा रहा है कि कूटरचित दस्तावेज के मामले में कोलारस रेंजर कृतिका शुक्ला सहित वनकर्मी को निलंबित किया गया है,अपने निलंबन से आहत होकर वनकर्मी ने आत्महत्या करने जैसा कदम उठा लिया। फारेस्ट गार्ड ने डीएफओ सुंधाशु यादव पर उसे प्रताड़ित करने और बर्खास्त करने की धमकी देकर पंचनामा पर जबरन हस्ताक्षर कराने का आरोप लगाए हैं।

वहीं रेंजर कृतिका शुक्ला ने भी डीएफओ पर प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं। रेंजर और वन रक्षक पर कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के मामले में यह निलंबन आदेश जारी किए गए हैं। जानकारी के मुताबिक, बीते 1 सितम्बर को टीला वीट प्रभारी दिनेश शर्मा और स्थाईकर्मी बद्री यादव के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किए गए।

आरोप है कि इन दोनों नोटिसों पर कूटरचित हस्ताक्षर किए गए थे। इस मामले में डीएफओ सुधाशु यादव ने जांच की थी और पाया गया था कि कूट रचित हस्ताक्षर से कारण बताओ नोटिस जारी हुए थे। इसे लेकर डीएफओ ने 3 सितंबर को कोलारस पहुंचे थे। जहां वन रक्षक सतेन्द्र खरे से पंचनामा लिया गया था।

वन रक्षक सतेन्द्र खरे का आरोप है कि इसी दौरान डीएफओ ने उसे बर्खास्त करने की धमकी देकर उससे पंचनामे पर जबरन हस्ताक्षर करा लिए। इसके बाद उसका सस्पेंशन ऑर्डर जारी कर दिया। इसके साथ ही रेंजर कृतिका शुक्ला का भी निलम्बन आदेश जारी हुआ और दोनों के निलंबन आदेश एसडीओ मनोज कुमार सिंह लेकर पहुंचे। जिससे व्यथित होकर वन रक्षक ने अपने सरकारी क्वार्टर पर फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया।

वहीं रेंजर कृतिका शुक्ला को निलम्बन आदेश की जानकारी लगी तो उन्होंने डीएफओ पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की है। रेंजर और वन आरक्षक का कहना है कि डीएफओ पिछले लंबे समय से उन्हें परेशान कर रहे हैं। साथ ही दबाव बनाकर उनसे कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करा कर उन्हें गलत तरीके से फंसा रहे हैं।

इस मामले में डीएफओ सुधांशु यादव का कहना है वन रक्षक सतेन्द्र खरे ने कूट रचित हस्ताक्षर कर कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। जिसमें इस पूरे मामले में जांच के बाद वन रक्षक और रेंजर की भूमिका सामने आई थी।

जिसमें वन रक्षक को मेरे ओर से निलंबन की कार्रवाई की गई। जबकि वरिष्ठ अधिकारियों ने रेंजर को निलंबित कर दिया। जिस कारण दोनों उन पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। रेंजर ने उन पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं वह निराधार और झूठे हैं।