शिवपुरी। सोमवार सुबह से शहर समेत जिले के मौसम में बदलाव दिखा। मौसम में ठंडक तो रविवार रात 8 बजे ही बढ़ गई थी लेकिन सोमवार सुबह कोहरे का असर रहा। इसके बाद धूप नहीं खिलने से मौसम में सुधार हुआ। अंचल में वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) और चक्रवात की वजह से डब्ल्यू डी सिस्टम (नमी ज्यादा) होने से सोमवार को अंचल में रबी सीजन का पहला मावठ गिरा।
बारिश ज्यादा नहीं हुई लेकिन सुबह बूंदाबांदी जरूर रही जिसकी वजह से मौसम में नमी देखी गई, और ठंडक भी बढ़ गई। तापमान में भी 1.01 डिग्री की गिरावट देखी गई। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमके भार्गव की मानें तो यह मौसम फसलों के लिए लाभप्रद है, लेकिन अधिक बारिश हुई तो इससे बड़ा नुकसान भी हो सकता है।
फिलहाल जिले में जो 28 नवंबर तक का मौसम अनुमान है उसके अनुसार जिले में 10 एमएम बारिश गिरने की संभावना बताई गई है। कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक विजय प्रताप सिंह कुशवाहा ने रबी सीजन के पहले मावठे को फसलों के लिए फायदेमंद बताया। क्योंकि अभी फसल हाइट पर है। कृषि विभाग की मानें तो वर्तमान में जिले में रबी फसलों की बुवाई का कार्य 70 फीसदी हो चुका है। यह बारिश फसलों के लिए लाभकारी साबित होगी। शहर समेत जिलेभर में बारिश के बाद मौसम सुहाना हो गया।
इसलिए आया मौसम में बदलाव
कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक विजय प्रताप सिंह कुशवाहा ने बताया ईरान, अफगानिस्तान के आसपास वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव होकर चक्रवाती घेरा और अन्य सिस्टम भी एक्टिव हैं। इस कारण पूरे प्रदेश में मौसम में बदलाव आया है, खासकर मालवा अंचल में, पश्चिमी विक्षोभ का यह असर 28 नवंबर तक रहेगा।
बारिश के साथ तेज हवा चलेगी। फिलहाल रबी सीजन में सिंचाई का दौर चल रहा है। इस बारिश से किसानों को कुछ राहत मिली है। इसके अलावा जिलेभर में लो वोल्टेज की समस्या आ रही है। इसके चलते किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भावनाओं के अनुरूप बारिश होने से वोल्टेज की खपत में भी कमी आएगी।
विभाग ने जारी की एडवाइजरी
चना, सरसों, टमाटर जो रबी की फसल मानी जाती है, उन्हें इस मावठ से लाभ हुआ है और आगामी दो दिन के मौसम से और लाभ होने की संभावना है। गेहूं की फसल में जहां पलेवा नहीं लगा है, वहां इस मावठ के गिर जाने से फसल का एक पानी बच जाएगा।
चने में इल्ली रोग नहीं लगेगी, क्योंकि मावठ से ठंडक बढ़ेगी और किसी भी तरह की कीट रोग नियंत्रण की फसलों में संभावना नहीं रहेगी। कृषि वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि यदि कहीं इल्ली का प्रकोप देखें तो फेरोमेंट्रप लगवा दें, या फिर टी टाइप लगवा लें। ताकि इल्ली प्रकोप से बचा जा सके।