पिछोर। खबर शिवपुरी जिले के पिछोर अनुविभाग के भौंती थाना सीमा में हुए एक हत्या के मामले को लेकर आ रही है कि कांग्रेसी पोलिंग एजेंट की हत्या के मामले को लेकर परिजनों ने भौंती थाने का घेराव करते हुए चक्का जाम कर दिया है। परिजन भौंती थाना प्रभारी और एक आरक्षक को सस्पेंड कराने की मांग को लेकर अड़े है। मौके पर पिछोर एसडीओपी मौजूद है परिजनों को समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि लेकिन परिजन अपनी जिद पर अड़े है।
17 तारीख को गायब हुआ था मृतक
विधानसभा चुनाव के मतदान दिवस 17 नवंबर को महोबा गांव का रहने वाला 38 साल का कृष्णपाल पुत्र गंधर्व सिंह चौहान 17 नवंबर को कांग्रेस पार्टी की ओर से पोलिंग एजेंट बना था। हालांकि मतदान के बाद वह लापता हो गया। इसकी शिकायत परिजनों ने भौंती थाना में दर्ज कराते हुए गांव के गजराज उर्फ गज्जू पुत्र हरनाम कुशवाह पर संदेह जाहिर किया।
10 दिन बाद पहुंची पुलिस लाश के पास
पुलिस को जब गुमशुदा व्यक्ति का कोई सुराग नहीं मिला, तो उसकी सीडीआर निकलवा कर मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने संदेह होने पर गजराज उर्फ गज्जू पुत्र हरनाम कुशवाह और उसकी पत्नी धनवंती को बुलाकर पूछताछ की। पूछताछ में दंपति ने अपना गुनाह स्वीकार करते हुए सारी बात पुलिस को बता दी। पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि मृतक के गजराज की पत्नी के साथ अवैध संबंध थे,इसलिए उसे करंट लगाकर उसकी हत्या कर दी,फिर उसके पैर में पत्थर बांधकर लाश कुएं में फेंक दी। दोनों आरोपियों की निशानदेही पर ने आरोपियों के खेत पर बने कुएं से कृष्णपाल का शव बरामद कर लिया है।
चार दिन तक घर में बंद करके रखा था कृष्णपाल को
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 17 नवंबर को मतदान के बाद कृष्णपाल को गजराज की पत्नी ने फोन लगाकर अपने घर बुलाया था। उसके बाद कृष्णपाल के साथ मारपीट की और उसे बंधक बनाकर रखा। परिजनों को कहना है कि जब पुलिस का मामला शांत हो गया उसके बाद उसे करंट लगाकर मौत के घाट उतार दिया। अगर पुलिस सही समय पर कार्रवाई करती तो आज कृष्णपाल जिंदा होता। इस कारण परिजन भौंती थाना पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाना प्रभारी को सस्पेंड करने की जिद पर अड़े है।
जब तक कार्यवाही नहीं,लाश लेने नही जाएँगे
बताया जा रहा है कि परिजनों ने अभी तक कृष्णपाल के शव का अंतिम संस्कार नही किया है। खबर लिखे जाने तक शव पिछोर के सरकारी अस्पताल में रखा है,वही पिछोर एसडीओपी प्रशांत शर्मा मौके पर पहुंच गए है और परिजनों को समझाने का प्रयास कर रहे है। एसडीओपी ने परिजनों से कहा कि अभी आचार संहिता प्रभावी है कोई भी कार्यवाही केवल चुनाव आयोग ही कर सकता है। आचार संहिता के खत्म होने के बाद का आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन परिजन अपनी जिद पर अड़े है।
17 तारीख को गायब हुआ था मृतक
विधानसभा चुनाव के मतदान दिवस 17 नवंबर को महोबा गांव का रहने वाला 38 साल का कृष्णपाल पुत्र गंधर्व सिंह चौहान 17 नवंबर को कांग्रेस पार्टी की ओर से पोलिंग एजेंट बना था। हालांकि मतदान के बाद वह लापता हो गया। इसकी शिकायत परिजनों ने भौंती थाना में दर्ज कराते हुए गांव के गजराज उर्फ गज्जू पुत्र हरनाम कुशवाह पर संदेह जाहिर किया।
10 दिन बाद पहुंची पुलिस लाश के पास
पुलिस को जब गुमशुदा व्यक्ति का कोई सुराग नहीं मिला, तो उसकी सीडीआर निकलवा कर मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने संदेह होने पर गजराज उर्फ गज्जू पुत्र हरनाम कुशवाह और उसकी पत्नी धनवंती को बुलाकर पूछताछ की। पूछताछ में दंपति ने अपना गुनाह स्वीकार करते हुए सारी बात पुलिस को बता दी। पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि मृतक के गजराज की पत्नी के साथ अवैध संबंध थे,इसलिए उसे करंट लगाकर उसकी हत्या कर दी,फिर उसके पैर में पत्थर बांधकर लाश कुएं में फेंक दी। दोनों आरोपियों की निशानदेही पर ने आरोपियों के खेत पर बने कुएं से कृष्णपाल का शव बरामद कर लिया है।
चार दिन तक घर में बंद करके रखा था कृष्णपाल को
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 17 नवंबर को मतदान के बाद कृष्णपाल को गजराज की पत्नी ने फोन लगाकर अपने घर बुलाया था। उसके बाद कृष्णपाल के साथ मारपीट की और उसे बंधक बनाकर रखा। परिजनों को कहना है कि जब पुलिस का मामला शांत हो गया उसके बाद उसे करंट लगाकर मौत के घाट उतार दिया। अगर पुलिस सही समय पर कार्रवाई करती तो आज कृष्णपाल जिंदा होता। इस कारण परिजन भौंती थाना पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाना प्रभारी को सस्पेंड करने की जिद पर अड़े है।
जब तक कार्यवाही नहीं,लाश लेने नही जाएँगे
बताया जा रहा है कि परिजनों ने अभी तक कृष्णपाल के शव का अंतिम संस्कार नही किया है। खबर लिखे जाने तक शव पिछोर के सरकारी अस्पताल में रखा है,वही पिछोर एसडीओपी प्रशांत शर्मा मौके पर पहुंच गए है और परिजनों को समझाने का प्रयास कर रहे है। एसडीओपी ने परिजनों से कहा कि अभी आचार संहिता प्रभावी है कोई भी कार्यवाही केवल चुनाव आयोग ही कर सकता है। आचार संहिता के खत्म होने के बाद का आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन परिजन अपनी जिद पर अड़े है।