शिवपुरी। मतदान के 3 दिन बाद भी थम नहीं रही है चुनावी चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही है,हर जुबान पर अपना एक एग्जिट पोल है,अपने अपने आंकडे है और हार जीत का कारण भी स्पष्ट नहीं है,किस प्रत्याशी ने चुनाव में क्या क्या गलती की है और किस प्रत्याशी को पार्टी ने टिकट ही गलत दिया है ऐसे कई विश्लेषण लोग अपने अपने हिसाब से एक दूसरे का परोस रहे है।
शिवपुरी विधानसभा को लेकर हर रोज स्थिति बदल रही है। शहर के माधव चौक, अस्पताल चौराहे या हाजी सन्नू मार्केट में पान की दुकान हो, यहां खड़े होने वाले लोग बाजार और ग्रामीण क्षेत्र से प्रत्याशियों को मिलने वाले वोट के आंकड़ों को जोड़ रहे हैं। इस जोड़- तोड़ में कभी कांग्रेस का पलड़ा भारी होता है तो कभी भाजपा का विधायक बन जाता है।
ऐसा पहली बार हुआ है जब मतदान के तीन दिन बाद भी मतदाताओं का स्पष्ट रुझान सामने नहीं आ सका। वहीं पिछोर विधानसभा में भी स्थिति इसलिए असमंजस में है,क्योंकि इस बार दोनों ही प्रत्याशी एक ही जाति के हैं,वोटर सबसे अधिक हैं। मीडिया ने जब पिछोर से भाजपा प्रत्याशी प्रीतम लोधी से पूछा कि चुनाव परिणाम क्या रहने वाला है?, तो उनका कहना था कि जो स्थिति शिवपुरी में भाजपा प्रत्याशी की रहेगी, वही हमारी होगी।
पोहरी विधानसभा में आंकड़े इसलिए गड़बड़ा रहे हैं, क्योंकि मतदान से पूर्व रात को जिसने जितना अधिक बंटोना बांटा, वो रातोंरात मतदान में बढ़त पकड़ गया। चूंकि यहां मुकाबला त्रिकोणीय है और एक प्रत्याशी के समर्थकों ने मतदान से पूर्व वाली रात में सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में यही निगरानी रखी कि कौन माल लेकर आ रहा है।
इसी निगरानी का नतीजा है कि कहीं प्रत्याशी के परिजन पिटे तो कहीं गाड़ियों में तोडफ़ोड़ हुई। कोलारस विधानसभा में भी मामला नेट टू नेट फंसा हुआ है, इसलिए प्रत्याशी भी अपने समर्थकों पर उतना ही भरोसा कर पा रहे हैं।
करैरा विधानसभा में भी जहां भाजपा के असंतुष्टों ने कांग्रेस प्रत्याशी का साथ दिया, तो वहीं एक वर्ग विशेष के विरुद्ध अन्य समाजों ने एकजुट होकर मतदान किया है। इसलिए यहां पर भी चुनाव परिणाम की तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो पाई।