शिवपुरी। चार महीने 20 दिन पहले 29 जून को आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर देवशयनी एकादशी मनाई गई थी। इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करने चले गए थे। तबसे, शुभ संस्कारों पर रोक लगी हुई है। अब 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने की परंपरा निभाई जाएगी।
इस दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराने की परंपरा घर-घर में निभाई जाएगी। तुलसी विवाह के साथ ही विवाह मुहूर्तों की शुरुआत हो जाएगी। विवाह की शहनाइयां बजने लगेंगी। रेवती नक्षत्र गुरुवार को 5 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रहा है। इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
मंशापूर्ण मंदिर के पं. लक्ष्मीकांत शर्मा के अनुसार गोधूलि लग्न शाम 5.30 से 6.30 बजे का है। वैसे पूजा रेवती नक्षत्र शुरू होने के बाद कभी भी की जा सकती है, लेकिन गोधूलि लग्न को बहुत शुभ माना जाता है। पं. लक्ष्मीकांत शर्मा के अनुसार इस बार निर्णय सागर पंचांग के अनुसार बड़े मुहूर्त कम हैं। 15 दिसंबर से खरमास शुरू हो जाएगा और 15 जनवरी तक एक महीने के लिए वैवाहिक कार्यक्रमों पर रोक रहेगी।
इस बार नवंबर में चार, दिसंबर में दो, जनवरी में छह, फरवरी में चार,मार्च में पांच, अप्रैल में चार और जुलाई में दो बड़े शुभ मुहूर्त हैं। 28 अप्रैल से 5 जुलाई तक शुक्र अस्त हो जाएगा और इस दौरान वैवाहिक कार्यक्रम नहीं होते हैं। इसी तरह 7 मई से 31 मई तक गुरु अस्त रहेगा और फिर इस दौरान भी विवाह नहीं होंगे। इस तरह गुरु-शुक्र के अस्त होने से दो महीने तक विवाह के मुहूर्त नहीं रहेंगे।