भोपाल। मप्र के 60 सीनियर जज ने जिला जज के चार पदों पर चुने जाने परीक्षा दी, लेकिन सफलता शिवपुरी के महावीर नगर निवासी एकमात्र सीनियर जज राजेश जैन को मिली। वर्तमान में वह उज्जैन में पदस्थ है और आगामी 15 दिनों में वह जिला जज के पद पर पदोन्नत हो जाएंगे।
दरअसल जिला जज बनने के लिए लिखित परीक्षा के साथ-साथ जुडिशरी कार्यकाल के दौरान के जजमेंट अनुभव का मूल्यांकन भी होता है। यही वजह है कि लिखित परीक्षा में राजेश जैन के 107 नंबर आए, हालांकि इस लिखित परीक्षा में एक और महिला जज प्रीति को भी सफलता मिली, लेकिन जो जजमेंट बैच मार्क था उसके आधार पर चार पदों में से महज एकमात्र पद पर मध्य प्रदेश से जिला जज के लिए राजेश जैन का चयन हुआ।
इस संदर्भ में जब सीनियर जज राजेश जैन से बात हुई तो उनका कहना था कि लिखित परीक्षा में 100 नंबर लाना अनिवार्य होता है। उनके 107 अंक आए। वह जिला जज बनने के लिए 2019 से तैयारी कर रहे थे। उस दौरान स्टेबिलिटी के आधार पर उनका चयन हो गया था, लेकिन कोरोना लग जाने के चलते वह प्रमोट नहीं हो सके। इसके बाद विभाग ने परीक्षा आयोजित की।
जिसमें चार पदों के लिए 78 लोगों ने फॉर्म भरे और इनमें से 60 लोगों ने परीक्षा दी और फाइनल परीक्षा परिणाम के आधार पर उन्हें जिला जज बनने में सफलता मिल गई। क्योंकि उनके अंक 157 आए। जिसमें उनके अनुभव और डिसीजन के नंबर भी शामिल है।
गोविंद गोशाला बनाम धनंजय सिंह केस, बना सफलता का आधार
उज्जैन पदस्थापना से पहले राजेश जैन की पदस्थापना दतिया में रही। जहां उन्होंने गोविंद गोशाला बनाम धनंजय सिंह केस में एक बड़ा निर्णय दिया था। जिसमें धनंजय सिंह ने 10 बीघा जमीन शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुविधा के लिए दान की थी, केस लग जाने की वजह से उन्होंने निर्णय दिया कि हवाई पट्टी के लिए जो जगह दी गई है वह भी लोकहित कार्य है।
जिसमें जगह का आवंटन किया जा सकता है। इस पर हाईकोर्ट में भी रिट लगी और फिर सुप्रीम कोर्ट तक भी मामला गया, लेकिन उनके द्वारा दिए गए निर्णय को मान्यता मिली। इस वजह से माना जा रहा है कि उनके जजमेंट अंक भी जुडिशरी प्रबंधन द्वारा दिए गए।