SHIVPURI NEWS - करैरा के किन्नरों का विवाद-कलेक्ट्रेट के सभागार में किन्नरों के कानून के तहत ही निपटा

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी के करैरा और दिनारा क्षेत्र में किन्नरों के कार्य क्षेत्र को लेकर चल रहा विवाद इतना बढ़ गया है कि मंगलवार को किन्नरों के दोनों पक्ष कलेक्ट्रेट पहुंच गए। दोनों पक्षों में वहां बातचीत भी हुई, लेकिन मामला सुलझ नहीं सका,लेकिन दोनो पक्षो में बात हो गई,इस बातचीत के नतीजे से लगता है कि किन्नरों का विवाद कलेक्ट्रेट के कानून से नही किन्नरों के कानून के तहत ही यह विवाद निपट सकता है।

उल्लेखनीय है कि दिनारा के ग्राम जरगंवा निवासी मिथलेश किन्नर पिछले कुछ महीनों से दिनारा और करैरा क्षेत्र में कुछ पुरूषों के साथ गांव-गांव जाकर बधाई गाने और मांगने का काम कर रही है, जबकि वही गांव करैरा में पूर्व से काम कर रहे आंचल किन्नर और उसके साथी किन्नरों के भी हैं। इसी के चलते दोनों पक्षों में मारपीट, धमकी सहित तमाम विवाद हुआ।

इसी के चलते पिछले मंगलवार को दिनारा क्षेत्र में काम कर रही मिथलेश किन्नर ने कलेक्ट्रेट पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई। इस मंगलवार को करैरा के किन्नरों के साथ झांसी, दतिया, सागर, बड़ौनी सहित तमाम जगह के किन्नर कलेक्ट्रेट पहुंचे और अधिकारियों को अपने पक्ष की तरफ से शिकायत दर्ज करवाई। कलेक्ट्रेट परिसर में मिथलेश किन्नर के साथ आए किन्नर जब कलेक्ट्रेट सभागार में बैठे हुए थे तो उनकी पहचान के लिए अन्य किन्नर अंदर गए और उनके फोटो आदि खींच लिए।

करैरा के आंचल किन्नर के पक्ष में पहुंचे किन्नरों के गुरु चांदनी किन्नर सहित अन्य लोगों का कहना था कि इस विवाद का समाधान कलेक्ट्रेट के कानून से नहीं हो पाएगा। उनके अनुसार किन्नर समाज का अपना कानून होता है और विवाद का निपटारा उसी कानून से होगा। इस दौरान किन्नरों के दोनों पक्षों की कलेक्ट्रेट सभागार में बैठकर पंचायत हुई, इस पंचायत में दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी।
अलग-अलग जगह से आए किन्नर समाज के गुरुओं ने मिथलेश किन्नर को यह समझाने का प्रयास किया कि दिनारा क्षेत्र उसका नहीं है, वह यहां पर नहीं मांग खा सकता है। वह गुरु के पास जाकर इलाके की मांग करे।

जहां गुरु है, वहीं मांगने का अधिकार

किन्नरों का कहना था कि किन्नर समाज के नियम के अनुसार जिस किन्नर का जहां पर गुरु होता है, वह उसी इलाके में मांग खा सकता है। इसके अलावा वह अपने गुरु से ही इलाके की मांग कर सकता है। किन्नरों के अनुसार मिथलेश मुरार के आशा नायक का चेला है। ऐसे में मिथलेश मुरार क्षेत्र में ही जाकर आशा से इलाके की मांग कर सकता है। वहीं मांग खा सकता है, लेकिन मिथलेश किन्नर समाज के नियम के विरुद्ध जरगवां में अपने परिवार के पास आकर रहना चाहता है और यहीं के गांवों में मांगना चाहता है। अलग-अलग जगहों से आए किन्नर गुरुओं ने मिथलेश को एक स्वर में कह दिया कि वह दिनारा में मांग खा नहीं पाएगा। अगर वह अपने परिवार के साथ रहना चाहता है, तो आराम से रहे।

मिथलेश के साथ आए किन्नर वापस जाने राजी

यहां बताना होगा कि आज जनसुनवाई में मिथलेश किन्नर अपने साथ तीन किन्नरों और अपने परिवार व गांव के लोगों को लेकर पहुंचा था। मिथलेश के साथ आए किन्नरों से जब किन्नर समाज के गुरुओं ने बात की तो वह तीनों अपने-अपने घर वापिस लौटने के लिए तैयार हो गए। सेंवढ़ा की आकांक्षा किन्नर, अनीता किन्नर व सुमन ने किन्नर समाज के युवाओं के समक्ष स्वीकार किया कि मिथलेश किन्नर ने उन्हें घूमने के बहाने यहां बुलाया था।

इस दौरान वह उन्हें बस्ती में भी ले गया और उगाही भी करवाई । समाज के लोगों के सामने तीनों लोगों ने स्वीकार किया कि वह यहां से लौटकर वापस अपने-अपने क्षेत्र में चले जाएंगे। उन्हें इस विवाद की कोई जानकारी नहीं थी ।

ग्वालियर से क्यों भाग कर आया मिथलेश किन्नर

कलेक्ट्रेट परिसर में किन्नरों के बीच हुई बातचीत के दौरान यह बात सामने आई कि ग्वालियर में उसके साथी उसे मारते पीटते हैं, इसलिए वह अपने गांव वापस आ गया। यहां पर आकर उसने मांगना शुरू किया तो यहां भी उसके साथ वही हुआ । इसी के चलते उसे कानून की शरण में आना पड़ा। किन्नर समाज के लोगों ने उसे समझाइश दी कि इस संबंध में उसे अपने गुरु के पास जाना चाहिए।