शिवपुरी। देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इस दौरान कितने ही गुमनाम राष्ट्रभक्तों को उनके महानतम बलिदान के लिए सच्चा सम्मान दिया गया। लेकिन पहले स्वतंत्रता संग्राम के नायक बलिदानी तात्या टोपे अपनी ही बलिदान स्थली पर विकास की राह देख रहे हैं। पाठ्यक्रम में न तो उनके इतिहास को उचित स्थान मिला है और न ही उनकी समाधि स्थली को विकसित किया गया है।
उनके नाम पर यहां राष्ट्रीय संग्रहालय बनना था और इसके लिए पत्राचार भी हो गया था, लेकिन प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण संग्रहालय की नींव तक नहीं रखी जा सकी है। इसकी डीपीआर तक वर्षों से अटकी हुई है। इसे लेकर अब नितिन कुमार शर्मा अध्यक्ष आर्यवर्त सोशल फाउंडेशन ने एक चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री को शिकायत दर्ज कराई गई है। इसके लिए डिप्टी सेक्रेटरी अरुण कुमार को कंसर्न ऑफिसर बनाया गया है। संभवत अब तात्या की बलिदान स्थली को उचित न्याय मिल सकेगा।
सांसद को भी लिखा गया था पत्र
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद क्षेत्रीय सांसद को आर्यवर्त सोशल फाउंडेशन द्वारा पत्र लिखकर तात्या टोपे का राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की मांग की गई थी। इस पर सांसद ने केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल को पत्र लिया जिस पर कार्रवाई करते हुए संयुक्त सचिव संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ने प्रदेश के प्रमुख सचिव के साथ पत्राचार किया।
केंद्र सरकार ने चाहा कि शीघ्र ही डीपीआर तैयार कर प्रतिवेदन भेजा जाए। प्रशासनिक व्यस्तता को समझते हुए संस्था ने प्रतीक्षा की, लेकिन योजना ही अटक गई। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उल्लेख किया गया है कि यह परियोजना मानसिकता विशेष से प्रभावित हो रही है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा पूर्वाग्रह और राजनीतिक हितों के कारण यह उपेक्षित है। तात्या टोपे की बलिदान स्थली होने के बाद भी उनके नाम पर कम ही आयोजन होते हैं।
गौरव दिवस अमर बलिदानी तात्या के नाम को समर्पित नही
पहले शिवपुरी का गौरव दिवस भी तात्या के नाम पर मनाए जाने का प्रस्ताव था और इसे लेकर पूर्व कलेक्टर ने भी सहमति जताई थी, लेकिन गौरव दिवस तात्या को समर्पित नहीं हो सका। अब शिवपुरी का गौरव दिवस कब मन जाता है यह आमनज को पता तक नहीं चल पाता है ।
समाधि स्थल राष्ट्रीय स्मारक न बन सके, झूलाघर व व्यायाम पार्क का कार्य शुरू
प्रदेश सरकार द्वारा 70 लाख से अधिक राशि का बजट लगाकर समाधि पार्क के विकास की शुरुआत की थी। यह भी विसंगतियों से भरा रहा। संस्था द्वारा निम्न विसंगतियां बताई गई हैं। समाधि स्थल राष्ट्रीय स्मारक न बन सके इसके लिए बलिदान मेला भूमि प्रांगण में झूलाघर व व्यायाम पार्क बनाने पर कार्य शुरू कर दिया। पास में स्थित राजेश्वरी मंदिर व गुप्तेश्वर महादेव मंदिर को मेला प्रांगण भूमि से जोड़ा गया। यहां से सार्वजनिक मार्ग खोल दिया गया और नाला निर्माण कर दिया।
पांच दिन का मेला 2 दिन का:वह भी औपचारिकता
1975 से प्रतिवर्ष वीर तात्या के बलिदान दिवस पर शहीद मेले का आयोजन होता है। पूर्व में यह साप्ताहिक होता था जो 13 अप्रैल जलियांवाला बाग दिवस से 18 अप्रैल तात्या टोपे बलिदान दिवस तक मनाया जाता था। यह अब दो दिन का होकर मात्र औपचारिकता रह गया है।
इनका कहना है
पिछले 13 वर्षों से वीर तात्या टोपे की स्मृतियों को स्थूल रूप से जीवित रखने के लिए हम, प्रशासन व सैन्य संस्थाओं के साथ उनकी जन्म जयंती मनाते आए हैं। प्रशासन जिस डीपीआर को तैयार करने में असमर्थता प्रस्तुत कर रहा है उसमें सहयोग के लिए भी हमने एक दृश्य प्रस्तुत किया है। प्रधानमंत्री से मांग की है कि अगले वर्ष तात्या टोपे के 165वें बलिदान दिवस के पूर्व उनका संग्रहालय बन जाए ।
नितिन कुमार शर्मा, अध्यक्ष आर्यवर्त सोशल फाउंडेशन