SHIVPURI NEWS - खबर मतदान केंद्र से,आधे से अधिक मतदान केन्द्रों पर नही बिजली, पीने को पानी नही

Bhopal Samachar
शिवपुरी। प्रदेश भर में चुनावी समर की तैयारियां एक ओर जहां राजनीतिक दलों ने शुरू कर दी है, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारियों ने भी चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। लेकिन जिन मतदान केंद्रों पर इस चुनावी रण का फैसला होना है, वहां पर न तो बिजली है और न ही पानी का कोई प्रबंध ऐसे में इन मतदान केंद्रों पर आखिर चुनाव कैसे संपन्न कराए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि पिछले चुनावों में शासन ने स्कूलों में बनाए जाने वाले मतदान केंद्रों पर विद्युत की व्यवस्था कराने के लिए स्कूलों को बजट उपलब्ध करवाया था। उक्त बजट से स्कूलों में विद्युत कनेक्शन करवाए गए ताकि मतदान केंद्र विद्युत विहीन न रहें। इन विद्युत कनेक्शनों से मतदान केंद्र चुनाव के बाद तक रोशन रहे, लेकिन समय के साथ किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

परिणाम स्वरूप सैकड़ों स्कूलों में विद्युत लाइन तथाकथित आपराधिक प्रवृति के लोगों द्वारा चोरी कर ली गई। कई जगह बिजली कंपनी बिल भरे न होने की वजह से विद्युत कनेक्शन काट दिए गए हैं। ऐसे में आज एक बार फिर चुनावी बेला से ठीक पहले सैंकड़ों मतदान केंद्र विद्युत विहीन हैं।

इसके अलावा ऐसे स्कूल जहां पर मतदान केंद्र बनाए जाते हैं, वहां पर पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ट्यूबवेल और हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। पीएचई ने इन्हें सही करने की दिशा में कोई पहल नहीं की है। ऐसे में यहां स्कूल के स्टाफ सहित यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अपने घर से पानी लेकर आना पड़ता है।

बिजली कंपनी ने पुराने बिलों की रखी मांग

इस संबंध में जब कुछ शिक्षकों से बात की गई तो उन्होंने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि स्कूल का बिजली का बिल भरने के लिए शासन स्तर से कोई अलग से बजट उपलब्ध नहीं कराया गया। कंटनजेंसी की राशि इतनी अधिक नहीं है जिससे बिजली के बिल भरे जा सकें।

ऐसे में समय के साथ विद्युत बिल बहुत अधिक हो जाने पर बिजली कंपनी द्वारा विद्युत कनेक्शन काट दिए गए। इसके बाद विद्युत कनेक्शन को जुड़वाने के लिए प्रयास भी किए गए, लेकिन बिजली कंपनी द्वारा पुराने बिलों को जमा करने का हवाला दिया और बिजली कनेक्शन नहीं किए गए।

विभाग पर नहीं कोई डाटा

यहां बताना होगा कि चुनाव के दौरान लगभग 90 फीसदी मतदान केंद्र स्कूलों में बनाए जाते हैं। मतदान होने में सिर्फ एक माह शेष बचा है, परंतु अभी तक विभाग के पास यह डाटा नहीं है कि कितने स्कूलों में विद्युत व्यवस्था और कितने स्कूलों में पेयजल व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अगर प्रशासन विद्युत व्यवस्था कराने के लिए कोई प्रयास भी करता है तो सबसे पहले तो यह तय करना होगा कि किन स्कूलों में विद्युत कनेक्शन नहीं हैं? इसके बाद इसका सर्वे करवाना पड़ेगा कि उक्त मतदान केंद्रों तक विद्युत कनेक्शन पहुंचाने के लिए कितनी दूर स्थित विद्युत पोल से तार खींच कर लाना होगा ? विद्युत कनेक्शन के लिए बजट कहां से आएगा आदि ।