शिवपुरी। शिवपुरी जिले में पहली बार पेंशनर्स ने टिकट की मांग कर दी है। मुख्य राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों को सौंपे आवेदन में पेंशनर संघ ने लिखा है कि हमारी संख्या 30 हजार है, और एक परिवार में पांच सदस्य हैं, ऐसे में हम अकेले डेढ़ लाख हैं। यदि हमें टिकट दिया जाता है तो हम न केवल जनता की समस्या का समाधान करेंगे। वरन पेंशनर्स की बात विधानसभा में रखने वाला प्रतिनिधि हम में से ही होगा। पेंशनर्स एसोसिएशन के जिला
अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने भाजपा और कांग्रेस के जिला अध्यक्षों को बुधवार को दिए पत्र में कहा है कि 17 नवंबर को होने जा रहे मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों के चुनाव में शिवपुरी विधानसभा सीट के लिए क्षेत्र में निवासरत किसी पेंशनर को विधायक का टिकट दें। अध्यक्ष अशोक सक्सेना के अनुसार विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची में लगभग 2 लाख 30 हजार मतदाता है।
जिनमें से लगभग 1 लाख 20 हजार पुरुष एवं 1 लाख 10 हजार महिलाएं हैं। वर्ष 2018 में हुए चुनाव पर यदि नजर डाली जाए तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से विजयी प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया को लगभग 82000 वोट प्राप्त हुए। पराजित प्रत्याशी सिद्धार्थ लड़ा को लगभग 57000 वोट प्राप्त हुए।
इस प्रकार से यशोधरा राजे पार्टियों के प्रत्याशियों को करीब 20000 मत प्राप्त हुए थे। इस बार भी यदि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच सीधा मुकाबला होता है और उसमें यदि 70% के आसपास तक मतदान होता है तो हम पेंशनर्स मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक बैठेगी। इसलिए किसी पेंशनर्स को आप टिकट देते हैं तो उस पार्टी को भी जीत हासिल होगी, दूसरा पेंशनर्स की समस्याओं को विधानसभा स्तर पर कोई भी राजनीतिक दल नहीं उठता है, और उनके प्रतिनिधि यदि विधानसभा में पहुंचेगा तो उनकी समस्याओं का भी समाधान होगा।
शिक्षक संवर्ग और अन्य विभागों में 20 हजार कर्मचारी
अशोक श्रीवास्तव ने बताया जिले में केवल शिक्षक संवर्ग के 10000 से अधिक सेवारत अधिकारी कर्मचारी हैं, और लगभग इतने ही अन्य विभागों जैसे राजस्व, स्वास्थ्य, सिंचाई, वन, कृषि, विद्युत, बैंक, आइटीबीपी, सीआरपीएफ के साथ अन्य बहुत से विभागों के कर्मचारी के की संख्या जोड़ने पर वह भी करीब 10000 से ऊपर हो जाती है। 6730 अधिकारी कर्मचारी पेंशनर्स केवल मध्य प्रदेश शासन के हैं। उनके परिवारों का आंकड़ा जोड़ ले तो हम डेढ़ लाख के करीब होते हैं। इसलिए पेंशनर्स को इस बार शिवपुरी विधानसभा से अवसर दिया जाए ताकि वह अपने मुद्दों को विधानसभा में रख सकें और लोगों की समस्या का भी निराकरण कर सकें।