SHIVPURI NEWS - ​मेडिकल बोर्ड ने 45 कर्मचारी पकड़े, चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए बहाने बना रहे थे

Bhopal Samachar
शिवपुरी। विधानसभा चुनावो को संपन्न कराने के लिए शासकीय अधिकारियों से टेबिल से लेकर फील्ड वर्क बडी ही मुस्तैदी से करना पडता है। अब चुनावो का टाइम टेबिल भी घोषित हो चुका है,कर्मचारियों की चुनावी ड्यूटी लगाना शुरू हो गई है इसी क्रम में कुछ कर्मचारी अपनी मेडिकल हिस्ट्री पेश कर चुनाव की ड्यूटी से बचना चाहते है वही विभागीय लापरवाही के चलते ऐसे कर्मचारियों की ड्यूटी चुनावी कामो में लगा दी,जो ड्यूटी करने में अक्षम थे।

इसी क्रम में जिला पंचायत कार्यालय पेहरी रोड पर तीन दिन से लगातार बैठ रहे मेडिकल बोर्ड के समक्ष ऐसे लोग अपने मैडिकल दस्तावेज लेकर प्रस्तुत हुए जो चुनाव ड्यूटी करने में अक्षम में मेडिकल बोर्ड में शामिल विशेषज्ञ चिकित्सकों ने मरीज को दिव्यांग अथवा बीमारी के हिसाब से कर्मचारियों का कित्सकीय परीक्षण किया और उनके रिकॉर्ड को देखकर यह तय किया कि कौन कर्मचारी चुनाव ड्यूटी करने में सक्षम है और कौन कर्मचारी अक्षम तीन दिन के भीतर मेडिकल बोर्ड के सामने 136 कर्मचारियों ने आवेदन पेश किए। इन कर्मचारियों में से चिकित्सकों दल ने 78 कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी करने में अक्षम माना। मेडिकल बोर्ड के समक्ष चुनाव ड्यूटी में अक्षम होने का दावा पेश करने वाले 45 कर्मचारियों को दावे को खारिज कर उन्हें ड्यूटी के योग्य माना गया है

75 से 99 प्रतिशत विकलांग कर्मचारियों की लगाई चुनावी ड्यूटी

शिक्षा में विभागीय लापरवाही के कारण ऐस शिक्षकों की भी चुनाव में ड्यूटी लगा दी जो 75 से 99 प्रतिशत विकलांग है। ऐसे ही 75 से 99 प्रतिशत विकलांग अपनी चुनाव ड्यूटी कैंसिल कराने अपनी तीन पहिया गाडी से सहायक शिक्षक राजकुमार शर्मा एकीकृत माध्यमिक विद्यालय छावनी क्रमांक 1 में पदस्थ पहुंचे थे। शिक्षक ने बताया कि मै चल भी नही सकता हूं और मैं 75 वे 99 प्रतिशत विकलांग हूं और मेरी नौकरी भी इसी सर्टिफिकेट के आधार पर लगी है लेकिन मेरी चुनाव में अब ड्यूटी लगा दी है,अब में अपनी चुनावी ड्यूटी कैंसिल कराने आया हूं।

इसी प्रकार शिक्षक ज्योति रानी जैन जिन्है 3 माह पूर्व ब्रेन हेमरेज हुआ था अब वह अनकॉसिंस है अपने ही परिजनों को पहचान नही सकती है बोल नही सकती है। उनका बेटा अतिवीर जैन अपने वाहन से डॉक्टरों के पैनल के पास पहुंचा है। बेटे ने बताया कि पिछले 3 माह से मेडिकल लीव पर है और कह नही सकते कि कब तक वह स्वस्थ होगी,फिलहाल तो वह अपनों को ही नही पहचान पा रही है।

इस प्रकार 60 प्रतिशत विकलांग शिक्षक ज्योति श्रीवास्तव मोहनी सागर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ है वह भी अपनी चुनाव की ड्यूटी कैंसिल कराने आई थी। इसी प्रकार मिथलेश शर्मा पीडब्लूडी की कर्मचारी है वह भी 70 प्रतिशत से अधिक विकलांग थी यह भी डॉक्टरों के पैनल के समक्ष उपस्थित हुुई थी। इसी प्रकार लगभग 25 शिक्षक ऐसे ही अपनी चुनावी ड्यूटी कैंसिल कराने पहुंचे थे।

इसी क्रम में सोनू रघुवंशी शिक्षक जो 70 प्रतिशत विकलांग थे उनकी भी ड्यूटी चुनाव मे लगा दी थी। कई सरकारी कर्मचारी ऐसे आए थे जिसका ऑपरेशन हुआ था और वह बैठ भी नही सकते थे। कई सरकारी कर्मचारी मेडिकल बोर्ड के समक्ष भर्ती हुए तो गंभीर रूप से इंर्जट थे और अपनी परिजनों के साथ गोदी में आए थे। कुल मिलाकर कहने का सीधा सा अर्थ है 136 कर्मचारियों मे से 78 कर्मचारी अपात्र पाए गए। यह सभी कर्मचारी 50 प्रतिशत से अधिक विकलांग थे या गंभीर रूप से अस्वस्थ। अगर इन कर्मचारियों का विभाग सावधानी पूर्वक अपने कर्मचारियों की लिस्ट निर्वाचन शाखा की और अग्रसर करते तो इन बीमार कर्मचारियों को परेशान नही होना पडता।