शिवपुरी। गड़बड़ी रोकने और दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए परिवहन विभाग ने हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। लाइसेंस की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। लाइसेंस के लिए ऑनलाइन प्रमाण-पत्र बनवाना होगा। इसके लिए ड्राइविंग स्कूल में एक महीने में 16 घंटे गाड़ी चलानी होगी। इसके अलावा 14 घंटे की थ्योरी क्लास भी अटैंड करना होगी।
इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी होगी। ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग लेने वालों को हैवी लाइसेंस देने के पहले परिवहन विभाग द्वारा आवेदक के बारे में यह जानकारियां चेक की जाएंगी डॉक्यूमेंट समेत परफेक्ट प्रूफ न होने पर संबंधित आवेदक का लाइट मोटर व्हीकल्स (एलएमवी) के लिए बिना लाइसेंस लिए उसे सेंटर से ऐसा वाहन उपलब्ध हैवी में कन्वर्ट नहीं हो पाएगा।
अब तक हैवी लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदक के पास मौजूदा ड्राइविंग लाइसेंस सर्टिफिकेट देखा जाता था। लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है। बदलाव में जो आवेदक लाइसेंस बनवाना चाहता है, उसे ओटीपी के आधार पर ड्राइविंग विभाग से मान्यता प्राप्त करेगा और उसके बाद वह चाहेगा, तो स्कूल में एक महीने में 16 सेंटर पर वापस पहुंच सकेगा। वहां ट्रेनिंग लेना जरूरी होगी। इस पहुंचते ही उसके पास क्लोजर ओटीपी आएगा और वह परिवहन ड्राइविंग की ट्रेनिंग दौरान रिलीज हो सकेगा।
हैवी लाइसेंस के लिए 1 माह में 16 घंटे की ट्रेनिंग जरूरी होगी, जिसमें जीपीएस, व्हीकल लोकेशन डिवाइस लगी हो इसके बाद ही संबंधित ड्राइविंग स्कूल के सर्टिफिकेट को मान्य किया जाएगा। कई आवेदकों द्वारा अब तक जो अनुभव प्रमाण-पत्र आरटीओ में लगाए जा रहे थे, उनमें से कई में ट्रेनिंग संबंधी दस्तावेज का प्रूफ मांगने पर भी ऐसी ही शिकायतों के चलते सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट में अब नई व्यवस्था यह की गई है कि मांगने पर जो भी आवेदक डॉक्यूमेंट प्रूफ प्रस्तुत नहीं करेगा, उसे लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर एसके झा ने बताया दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हैवी लाइसेंस बनवाने के लिए नियमों को 1 अक्टूबर से लागू भी किया जा चुका है।