मैं शिवपुरी विधानसभा हूं-एक जननायक नेता के लिए भाजपा ने किया था अपने ही चुनाव चिन्ह के खिलाफ प्रचार

Bhopal Samachar
ललित मुदगल@ शिवपुरी। मप्र में चुनावी मोड पर है,या यू कह लो पूरे मप्र में चुनावी मौसम है इस चुनावी मौसम में हर कोई रंग रहा है चाहे वह राजनैतिक पार्टी हो,नेता हो-शासन हो और पब्लिक हो,लेकिन शिवपुरी विधानसभा का एक चुनाव की किस्से उम्रदराज लोग और नेताओं को रह रह कर याद आता है। यह चुनाव भारत का अभी तक का इकलौता ऐसा चुनाव था जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनाव चिन्ह के खिलाफ प्रचार कर निर्दलीय के लिए वोट मांगे थे।

शिवपुरी विधानसभा का सन 1990 का चुनाव की कहानी बड़ी रोचक है। इसमें दो बाते सबसे बड़ी खास थी कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अपनी ही पार्टी के घोषित प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार किया था और शिवपुरी की चार बार विधायक रह चुकी यशोधरा राजे सिंधिया की राजनीति में प्रवेश हुआ था,अपनी मां कैलाशवासी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के कहने पर वह शिवपुरी आई थी और निर्दलीय उम्मीदवार के लिए प्रचार किया और भारी बहुमत से विजयी बनाने में भूमिका अदा की थी।

हम बात कर रहे है 1990 के तीर कमान वाले चुनाव की। बताया जाता है कि शिवपुरी विधानसभा से भाजपा की जो लिस्ट जारी हुई थी उसमें प्रत्याशी घोषित हुए थे दो बार विधायक रह चुके सुशील बहादुर अष्ठाना। सुशील बहादुर अष्ठाना ने भाजपा के प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन निर्वाचन कार्यालय शिवपुरी में जमा कराया था।

ग्वालियर से बदला गया मेनडेट

स्व:श्री सुशील बहादुर अष्ठाना के पुत्र अनुराग अष्ठाना ने बताया कि पापा का भारतीय जनता पार्टी ने अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था,लेकिन मैंडेट संभागीय कार्यालय आ चुका था,भाजपा के संभागीय कार्यालय पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्व:श्री सुंदर लाल पटवा जी के साइन किए गए मैंडेट रखे थे। जिन पर नाम नही लिखा था उस पार्टी पर स्व:विनोद गर्ग के समर्थको ने नाम भरकर शिवपुरी पहुंचाया दिया गया था और पापा के विरोधियों ने यह मैंडेट विनोद गर्ग टोडू के हाथो में थमा दिया और विनोद गर्ग टोडू ने यह पार्टी का मैंडेट निर्वाचन कार्यालय में जमा करा दिया यह उस दिन हुआ जिस दिन फार्म वापस लेने का अंतिम दिन था। इस तरह से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी विनोद गर्ग टोडू हो गए।

तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री स्व:पटवा ने लिखा पत्र

बताया जाता है कि सुशील बहादुर अष्ठाना को चुनाव चिन्ह तीर कमान निर्वाचन ने जारी किया था। यह बात पूरे प्रदेश में फैल गई कि भाजपा का मेंडेट बदल दिया गया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुंदरलाल पटवा ने इस मामले को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त दिल्ली का पत्र लिखा था कि गलती बस शिवपुरी विधानसभा के प्रत्याशी का नाम मेडेंट पर गलत लिखा गया है,कृपया कर इस गलती को सुधार किया जाए।

लेकिन चुनाव आयोग नही माना-विनोद गर्ग ही रहे प्रत्याशी

बताया जाता है कि चुनाव आयोग ने अपना फैसला नही बदला और विनोद गर्ग टोडू ही भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी रहे। भोपाल से संदेश आया कि सुशील बहादुर अष्ठाना चुनाव लड़े उन्हें हम अपना प्रत्याशी घोषित करते है और समर्थन देते है।

उस समय इस चुनाव पर नजर रख रहे लोगो ने बताया कि प्रदेश कार्यालय से एक पत्र आया था उस पर स्पष्ट लिखा था कि शिवपुरी विधानसभा चुनाव में विनोद गर्ग टोडू हमारा अधिकृत प्रत्याशी नही है और सभी भाजपा के कार्यकर्ता अपना समर्थन तीर कमान को देते हुए प्रचार करे।

इसी चुनाव में हुई थी यशोधरा राजे सिंधिया की एंट्री

स्व:सुशील बहादुर अष्ठाना कैलाशवासी विजया राजे सिंधिया के करीबी थे। इसलिए राजमाता ने अपनी छोटी लाडली बेटी यशोधरा राजे सिंधिया को इस चुनाव में सुशील बहादुर अष्ठाना का प्रचार करने शिवपुरी भेजा था। यशोधरा राजे सिंधिया ने शिवपुरी विधानसभा में लगभग 10 दिन तक लगातार प्रचार किया था और जीत के साथ ही विदा हुई थी।

पब्लिक की गलतफहमी मिटाने राजमाता ने किया था रोड शो

इस चुनाव में प्रदेश के बड़े नेता सुंदरलाल पटवा,कैलाश जोशी ने जमकर तीर कमान के पक्ष में प्रचार किया था। वही राजमाता विजयाराजे ने सुबह 9 बजे छत्री से अपना रोड शो शुरू किया था। यह रोड शो बाजार के सभी मुख्य मार्गो से होता हुआ हवाई अड्डे पर जाकर समाप्त हुआ था। जिस प्रदेश में कमल को फूल को चुनाव जिताने लिए भाजपा जी जान लगा रही थी उसी कमल के फूल को शिवपुरी में हराने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से लेकर प्रदेश स्तर के नेता और शिवपुरी के नेता मेहनत कर रहे थे।

मुश्किल हो रहा था तीर कमान को घर घर पहुंचना

राजनीति के जानकारों का कहना था कि उस समय शिवपुरी शहर में फोन ही गिने चुने थे मोबाइल तक सोच नही था। प्रत्याशी के बदले जाने की बात और भाजपा के समर्थन तीर कमान पर होना शहर समक्ष रहा था लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आम मतदाता स्व:सुशील बहादुर अष्ठाना का निशान फूल को ही समझ रहे थे,लेकिन गांव में रहने वाले समझदार ग्रामीण स्व:ही घर से बाहर निकले और इस गणित को मतदाताओं को समझाने में सफल रहे कि इस बार सुशील बहादुर अष्ठाना का चुनाव चिन्ह कमल का फूल नही तीर कमान है।

सबकी मेहनत रंग लाई-तीर कमान विजयी हुआ

इस चुनाव के परिणाम भी रोचक आए थे। सुशील बहादुर अष्ठाना को लगभग 30 हजार वोट मिले थे। कांग्रेस के प्रत्याशी गणेश गौतम को 17 हजार के लगभग मत प्राप्त हुए थे,वही बसपा से इकरार पठान चुनाव लड़े थे और 8800 मत मिले थे। भाजपा का कमल का फूल अर्थात विनोद गर्ग टोडे चौथे स्थान पर रहे थे और लगभग 7 हजार वोट मिले थे।

इतिहास के पन्नों पर दर्ज है यह चुनाव

भाजपा के नेता सुशील बहादुर अष्ठाना शिवपुरी विधानसभा से 3 बार विधायक रहे थे। स्व:अष्ठाना शिवपुरी के जननायक नेता थे और अपनी स्वच्छ छवि के कारण वह सिंधिया राजघराने को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे थे। शिवपुरी के मीसाबंदी भाजपा के नेता श्री हरिहर शर्मा ने अपने लेख में उन्है रॉबिन हुड लिखा था। यह लेख स्व:अष्ठाना के जीवन चरित्र और गरीबों के प्रति संवेदनाओं को प्रकट करता था।