शिवपुरी। भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश की सूची जारी होते ही शिवपुरी विधानसभा की तस्वीर क्लीयर हो गई। भाजपा ने पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन ने शिवपुरी विधानसभा का 30 साल पहले 1993 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और इसमें जीत दर्ज की थी।
वही केपी सिंह ने अपना पहला चुनाव पिछोर विधानसभा से 1993 का चुनाव लडा था इसके बाद लगातार चुनाव लडे। कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह 6 विधानसभा चुनाव लड चुके है और अभी तक हारा नही है। शिवपुरी का चुनाव किस करवट बैठेगा यह तो समय ही बताऐगा।
देवेंद्र जैन भाजपा के टिकट पर वर्ष 1993 में शिवपुरी विधानसभा चुनाव लड़े, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के सांवल दास गुप्ता को हरा कर विधायक की कुर्सी हासिल की और यहीं से उनका राजनैतिक जीवन का सफर शुरू हुआ। इसके बाद वे संगठन में विभिन्न पदों पर रहे। शिवपुरी विधायक बनने के बाद वर्ष 2004 में शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में देवेंद्र जैन को फिर से भाजपा ने टिकट दिया। लेकिन वे इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी जगमोहन सिंह सेंगर से चुनाव हार गए थे। नपाध्यक्ष का चुनाव हारने के बाद देवेंद्र जैन ने अपना स्थान शिवपुरी से बदलकर कोलारस विधानसभा क्षेत्र को चुना।
वर्ष 2008 में कोलारस विधानसभा से भाजपा की ओर से देवेंद्र जैन को तथा कांग्रेस से रामसिंह यादव को टिकट दिया गया। चुनाव परिणाम के दौरान विवाद की स्थिति बनी थी और आखिरकार लगभग 200 वोटों से देवेंद्र जैन को विजयी घोषित किया गया था।
तत्पश्चात 2013 में पुन: देवेंद्र जैन ने कोलारस से दावेदारी जताई तो रामसिंह यादव के हाथों उन्हें 25 हजार वोटों से बड़ी हार का सामना करना पड़ा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजनीति में लंबी पारी खेल चुके देवेंद्र जैन अपने प्रतिद्वंदी छह बार के कांग्रेस पिछोर विधायक केपी सिंह को कितनी चुनौती दे पाते हैं।
वही कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह ने का यह 7वां विधानसभा का चुनाव है,इससे पूर्व केपी सिंह ने 6 चुनाव लड़ा है और एक भी चुनाव हारा नही है। वही अगर शिवपुरी विधानसभा की बात की जाए तो 1993 से उपचुनाव को छोड दिया जाए तो भाजपा का ही शिवपुरी विधानसभा सीट पर कब्जा रहा है। 1998 से यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लड़ा था। उसके बाद यह सीट भाजपा के कब्जे में रही है। एक बार उपचुनाव में डेढ़ साल के लिए के कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में वीरेंद्र रघुवंशी शिवपुरी के विधायक रहे है।
कुल मिलाकर कहने का सीधा सा अर्थ है दोनों ही नेताओं ने अपना पहला चुनाव 1993 मे लडा है। केपी सिंह का चुनावी स्कोर 6-0 है वही देवेन्द्र जैन का चुनावी स्कारे विधानसभा से देखे तो 4-2 है,अगर नगर पालिका का चुनाव भी मिला दिया जाये तो स्कोर 5-2 है। देवेन्द्र जैन पिछले 30 से भाजपा के अभेद किले का चौकीदार प्रत्याशी के रूप में खडा किया है वही केपी सिंह कांग्रेस के अपराजित योद्धा है जिन्हें कांग्रेस ने भाजपा के किले को जीतने इस रण में भेजा है।