SHIVPURI NEWS - नरवर मे इको फ्रेंडली गणेश मुर्तियो का निर्माण, कलर भी फूलों से बनाए जा रहे है:शहर में आएंगे

Bhopal Samachar
जय नारायण शर्मा शिवपुरी। नरवर में गणेश उत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, मूर्तिकार भी गणपति बप्पा की प्रतिमा को आकार देने में जुटे हुए हैं। इस बार गणेश चतुर्थी 19 सितंबर से शुरू हो रही हैं,विघ्नहर्ता की प्रतिमाओं की बुकिंग समितियों ने अभी से कराना शुरू कर दी हैं। मूर्तिकारों ने छोटे छोटे गणेश जी की मूर्तियों का निर्माण शुरू कर दिया हैं।

नरवर में कला केंद्र नई कॉलोनी के सामने रहने वाले मूर्तिकार परशुराम प्रजापति ने बताया कि इस वर्ष महंगाई का असर गणेशजी की मूर्ति पर भी पडा है। यहां मिट्टी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं मूर्ति निर्माण में सहायक अन्य सामग्री के दाम में भी बडने के कारण गणेश जी की प्रतिमाओ की कीमत इस साल बढ़ गई है।

इस बार गणेश चतुर्थी के लिए हमने 8 इंच से 5 फिर तक की 4 हजार मूर्तियां बना चुके हैं और अभी ऑर्डर के हिसाब से भी मूर्तियां बनाई जा रही हैं। हमारे यहां थोक में मूर्तियां मिलती हैं और शिवपुरी शहर में बड़े बड़े व्यापारी भी हमारे यहां से ही मूर्तियां ले जाते हैं।

टोटली मिट्टी की बनाई जाती हैं हमारे यहां मूर्तियां

मूर्तिकार परशुराम प्रजापति ने बताया कि हमारे यहां सभी मूर्तियां मिट्टी से बनाई जाती हैं और इसके लिए हमें भी काफी मेहनत करनी पड़ती हैं, और मिट्टी की 1 से 2 फिट की मूर्ति बनाने में कम से कम 8 से 10 दिन लगते और और पीओपी की मूर्ति 1 दिन में 4 से 5 मूर्तियां बना सकते हैं, पीओपी हार्ड होता हैं। पानी में गलने में बड़ी दिक्कत आती हैं।

मिट्टी की मूर्ति को हम तुलसी के पेड़ या गमले में रखकर भी हम विसर्जन कर सकते हैं, और हम मिट्टी की मूर्ति में किसी भी प्रकार का केमिकल नहीं मिलाते है। इनको रगंने वाले कलर भी फूलों से बनाये जाते हैं, ताकि विसर्जन के बाद तालाब और नदी का पानी दूषित न हो। सारे कलर वाटर प्रूफ होते हैं। हम मूर्ति बनाने में लाल मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं। जो कि हम बाहर से लेकर आते हैं, हमारे यहां लोकल की मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाता,इसलिए हमारे यहां मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती हैं। और हमारी मूर्तियां पूरे शहर में जाती हैं, हम 25 सालों से मूर्तियां बनाते आ रहे हैं।

इस बार हमने बढ़ती महंगाई के चलते मूर्ति की रेट भी थोड़ी सी बड़ा दी हैं हम थोक में मूर्तियां बेचते हैं, तो एक मूर्ति पर 5 या 10 रुपये हमने रेट बढ़ाई है। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से काफी सारी दिक्कतें मूर्तिकारों को आई थी। इसी कारण हमने थोड़ी सी रेट बढ़ा दी हैं।

सनातन धर्म में सभी शुभ और मंगलकारी कार्यों में सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। दरअसल भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के कार्य निर्विघ्न सफल होते हैं। क्योंकि भगवान गणेश को विघ्न विनाशक देव माना जाता है।

भगवान गणेश की मूर्ति से जुड़े नियम

जब भी भगवान गणेश की प्रतिमा घर पर लाएं तो सबसे पहले उनके सूंड़ पर ध्यान दें। वास्तु अनुसार दाहिनी तरफ सूंड वाले भगवान गणेश को सिद्धिविनायक कहा जाता है। वहीं बाईं तरफ सूंड़ वाले गणेश जी को वक्रतुंड कहा जाता है।

अगर आप घर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, तो ध्यान रखें कि मूर्ति वक्रतुंड गणेश जी की हो। अर्थात गणेश जी की ऐसी प्रतिमा लें जिसमें उनकी सूंड बाईं तरफ हो, क्योंकि इनकी पूजा में नियम कम होते हैं।

वक्रतुंड गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि मंदिर की अपेक्षा घर में देवी-देवताओं की पूजा के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करना कुछ मुश्किल होता है। इसलिए बाईं तरफ सूंड वाले गणपति की प्रतिमा घर में रखना श्रेष्ठ माना जाता है।

दाहिने ओर सूंड़ वाले सिद्धिविनायक गणेश जी की प्रतिमा खासतौर से मंदिरों में स्थापित की जाती है।