SHIVPURI NEWS - पढिए दुधारू गायो वाली गौशाला में नई परिषद के गठन के बाद क्यों छाया मातम, जवाब दे नपाध्यक्ष

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी शहर के वार्ड क्रमांक 16 के लुधावली क्षेत्र में स्थित गौशाला में गोवंश की मौत का मामला गर्मा गया है। गौरक्षा और गाय पर राजनीति करने वाली भाजपा सरकार में गायो की मौत शर्मनाक विषय है। इससे पूर्व इस गौशाला को श्रीदारिकाधीश गो सेवा समिति इस गौशाला का संचालन करती थी,जब किसी भी ऐसी अनहोनी की खबर नही मिलती थी। समिति के संचालन के समय यह गौशाला आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर थी,लेकिन ऐसा क्या हुआ कि समिति ने इस गौशाला से दूरी बना ली। आइए इस मामले का एक्सरे करते है।

कोरोना की दूसरी लहर के बाद श्री द्वारकाधीश गोसेवा समिति ने इस गौशाला को गोद लिया था और इस गौशाला को संचालित करने की जिम्मेदारी अपने कंधो पर ली। समिति के सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमने यह जिम्मेदारी तत्कालीन कलेक्टर अक्षय कुमार के कहने पर ली थी और जब तक वह रहे उन्होने हमारा लगातार सहयोग किया था।

दयनीय हालत में थी जब यह गौशाला

समिति के सदस्य ने बताया कि जब यह गौशाला हमने अपने प्रबंधन में ली थी जब इस गौशाला की हालत दयनीय थी। गायो को कब चारा डाला जाता है कोई समय निर्धारित नही था,कितनी गाय है,कितने गोवंश बीमार है। इसका कोई हिसाब नही था। कुल मिलाकर भगवान भरोसे चल रही थी यह गौशाला।

सबसे पहले गोवंश की हेल्दी आहार की व्यवस्था

समिति ने कहा कि सबसे पहले हमने गोवंश को हैल्थी आहार की व्यवस्था की,गोवंश को प्रतिदिन समय में सानी दी जाती थी। इस सानी में हरी कुटी,पीना और नमक भूसे के साथ मिला कर दिया जाता था। समिति के 6 लेकर 8 सदस्य सुबह 6 बजे पहुच जाते थे और 9 बजे तक सानी-साफ सफाई की व्यवस्था और देखभाल कर लौट आते थे। वही शाम के समय 4 सदस्य जाते थे और 2 घंटे में अपना काम करके लौट आते थे। नगर पालिका के ड्यूटी कर्मचारी भी हमारे साथ होते थे।

गोवंश के लिए बनवाया गया था आईसीयू वार्ड

गौशाला में आई सडक दुर्घटनाओ में घायल गोवंश के लिए आईसीयू वार्ड बनवाया गया था। इसमें 5 पलंग,ड्रिप चढाने के स्टेंड और गोशाला की बीमार गायों के लिए दवाई की व्यवस्था-पंखो की व्यवस्था और प्रतिदिन डॉक्टरों द्वारा घायल और बीमार गाय का स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की गई थी।

निर्माण कार्यो में प्रगति,यशोधरा राजे ने स्वीकृत किया था 10 लाख का बजट

समिति ने अपने स्वयं खर्च पर गौशाला में टीन शेड,लाईट फिटिंग और पंखों की व्यवस्था की थी। गौशाला के गेट बनवाए गए। वही समिति के सदस्यों ने शिवपुरी विधायक और कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से आग्रह किया था कि गौशाला में भूसा घर बनबाना है इसलिए बजट की व्यवस्था की जाए। तत्काल 10 लाख रुपए से एक हॉल के लिए 10 लाख की राशि की स्वीकृति मिली थी और उससे भूसा रखने के लिए हॉल का निर्माण हुआ था।

परिणाम सुखद आने लगे थे 30 गाय दुधारू हो गई

गोवंश को समय पर चारा-पानी,स्वास्थ्य परीक्षण और साफ सफाई नियमित होने के डेढ़ साल के अंदर परिणाम सुखद आने लगे थे। गौशाला में 30 गाय दुधारू हो गई थी। दूध देने लगी थी। गौशाला में 30 बछड़ा भी उछल कूद करने लगे थे। यह दूध अस्पताल में बच्चों के वार्ड और शहर के प्रभु जी के आश्रम में जाने लगा था। अब वर्तमान में इन गायों का किसी को जानकारी नही है। इन गायो को किसने बेचा यह भी एक जांच का विषय है।

श्री द्वारकाधीश गो सेवा समिति ने खर्च किए 35 लाख

समिति के सदस्यों ने बताया कि गोशाला में निर्माण,हरा चारा,मेडिसिन पर डेढ साल में 30 से 35 लाख रुपए खर्च किए थे। यह सब जन सहयोग से आता था समिति के सदस्यों ने 10 हजार प्रति सदस्य ने एक साल के सदस्य बनाए थे। इसके अतिरिक्त शहर के 100 व्यापारी जो 100 रूपए से लेकर 1000 रुपए प्रतिमाह गौ सेवा के लिए सहयोग राशि देते थे। पैसे की कभी कभी नही आई थी। गोसेवा के लिए।

प्रतिदिन 8 क्विंटल भूसा लगता था और ढाई क्विंटल हरा चारा

समिति के सदस्यों ने बताया कि गौशाला में प्रतिदिन 8 क्विंटल भूसा लगता था यह भूसा नगर पालिका शिवपुरी प्रदाय कराती थी। इसके अतिरिक्त ढाई क्विंटल हरा कुटी चारा,नमक भी गौशाला में प्रतिदिन आता था। कुटी काटने के लिए मशीनें भी गौशाला में लगाई गई थी। आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ रही थी। समिति की योजना थी गोमूत्र और गोबर से पूजा का सामान बनाने के लिए किसी समूह को आगे प्रेरित करेंगे।

लेकिन नई परिषद के बाद बिगड़ते चले गए हलात

समिति ने दबी जुबान में बताया कि नई परिषद के बाद नगर पालिका का दखल अधिक बढ गया। जो कर्मचारी तैनात थे उन्हें धीरे धीरे हटा दिया गया या बदल दिया गया। नए आए कर्मचारियों का व्यवहार सही नही था। बाजार से आवारा सांड गौशाला में लाकर छोड दिए गए जो गोवंश को घायल कर रहे थे-समस्याओं का समाधान नही हो रहा था। वही नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा के पति संजय शर्मा समिति के सदस्यों से व्यवहार सही नही था। अवस्थाओ से समिति के सदस्य से लड लेती लेकिन समिति के सदस्य अपने आत्मसम्मान से नही लड़ पा रहे थे,इस कारण समिति ने इस गौशाला से अपनी दूरी बना ली,और इसके यह परिणाम हमे दिख रहे है।

अब सवाल नईदुनिया की प्रकाशित खबर से भी उठता है

नई दुनिया ने पांच कॉलम की खबर इस मामले मे प्रकाशित की है। नई दुनिया ने प्रकाशित किया है कि नगर पालिका अध्यक्ष किसी से फोन पर बातचीत करते हुए यह कह रही है कि महाराज साहब ने उनसे कहा है कि वह गौशाला की व्यवस्था समिति को सौंप रही है, इसलिए उन्होंने पिछले 15 दिन से गौशाला में आना ही छोड दिया है। फोन पर वह यह भी कह रही है कि मुझे जो जिम्मेदारी मिलती है मैं उन्हें ही निभाती हूं और मुझसे जो जिम्मेदारिया छिन ली जाती है उनको में नही निभाती।

अब सवाल यह उठते है

क्या नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा के कार्यक्षेत्र से बाहर थी यह गौशाला।
क्या नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा ने यह जानने का प्रयास किया पूर्व में सेवा कर रही समिति ने इस गौशाला से दूरी क्यों बनाई,वही समिति के लोगों से बातचीत की। उनसे मिलने का प्रयास किया।
इस घटना के 15 दिन पहले जब नगर पालिका अध्यक्ष जब गौशाला जाती थी जब वहां की व्यवस्था दुरुस्त थी।
क्या 15 दिन में ही यह हालत बिगडे है।
कौन से नियम से 15 दिन में यह गौशाला नगर पालिका अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो गई।
कुल मिलाकर फोन पर वह अपनी लापरवाही का ठीकरा किसी दूसरे पर फोडने का प्रयास कर रही थी।
गायों की मौत के जिम्मेदार लोगों की मौत की उनकी नजर में क्या सजा होती है।
इन सब सवालों के जवाब नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा दे सकती है शिवपुरी समाचार उन्है स शब्द प्रकाशित करने का वचन देता है।।