शिवपुरी । राज्य सरकार द्वारा बाल संरक्षण से जुड़े संविदा कर्मचारियों को सरकारी द्वारा बनाई गई संविदा नीति का लाभ नहीं दिए जाने के कारण बाल संरक्षण से जुड़े संविदा कर्मचारी सोमवार से सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। बाल संरक्षण से जुड़े कर्मचारियों के 2 अक्टूबर तक सामूहिक अवकाश पर रहने के कारण इस दौरान चाइल्ड लाइन से जुड़ी सेवाओं के साथ-साथ जांच रिपोर्ट आदि कार्य प्रभावित होंगे।
बाल संरक्षण अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कुश मिश्र ने बताया कि बीते दिनों विभाग की प्रमुख सचिव और आयुक्त से भोपाल में मुलाकात कर संविदा नीति के लाभ के संबंध में चर्चा की। इस दौरान अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि आपको इस नीति का लाभ नहीं मिलेगा।
अधिकारियों के इस दोहरे बर्ताव से नाराज होकर प्रदेश भर में कार्यरत बाल संरक्षण कर्मचारी 25 सितंबर से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इस दौरान 26 सितंबर को फिर अधिकारियों के समक्ष अपनी मांगों को रखेंगे, मांगों का निराकरण नहीं होने पर 2 अक्टूबर को प्रदेश भर के कर्मचारी सामूहिक त्यागपत्र मुख्यमंत्री और विभागीय अधिकारियों को भेजेंगे।
कल्याण संघ के प्रदेश सचिव राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि 9 सालों से हम लोगों के वेतन में कोई बृद्धि नहीं की गई की । इसके अलावा वर्ष 2018 में बनी राज्य की संविदा नीति का लाभ भी उन्हें नहीं मिला। केंद्र सरकार ने मिशन वात्सल्य को नवीन वित्तीय मापदण्डों के साथ अप्रैल 2022 से लागू करने के निर्देशों के बाद भी अब तक इसका लाभ नहीं दिया।
उपेक्षा के चलते आधे कर्मचारियों ने छोड़ी नौकरी: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2009- 10 में बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए समेकित बाल संरक्षण योजना की शुरुआत की गई। जिसे अब "मिशन वात्सल्य" नाम दिया गया है। योजना का मूल उद्देश्य बच्चों की उनके अधिकारों तक पहुंच को सुगम बनाकर उन्हें विकास के लिए यथोचित सहयोग प्रदान करना तथा उनके लिए ऐसी संवेदनशील, समर्थन कारी और समकालिक ईको-व्यवस्था स्थापित करना है।
इन व्यवस्थाओं के लिए जिला स्तर एवं राज्य स्तर पर 667 संविदा अधिकारी- कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी लेकिन अत्यंत कम वेतन एवं लगातार उपेक्षा के चलते आधे कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी। वर्तमान में मिशन के अंतर्गत लगभग 340 कर्मचारी कार्यरत है।
बाल संरक्षण अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कुश मिश्र ने बताया कि बीते दिनों विभाग की प्रमुख सचिव और आयुक्त से भोपाल में मुलाकात कर संविदा नीति के लाभ के संबंध में चर्चा की। इस दौरान अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि आपको इस नीति का लाभ नहीं मिलेगा।
अधिकारियों के इस दोहरे बर्ताव से नाराज होकर प्रदेश भर में कार्यरत बाल संरक्षण कर्मचारी 25 सितंबर से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इस दौरान 26 सितंबर को फिर अधिकारियों के समक्ष अपनी मांगों को रखेंगे, मांगों का निराकरण नहीं होने पर 2 अक्टूबर को प्रदेश भर के कर्मचारी सामूहिक त्यागपत्र मुख्यमंत्री और विभागीय अधिकारियों को भेजेंगे।
कल्याण संघ के प्रदेश सचिव राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि 9 सालों से हम लोगों के वेतन में कोई बृद्धि नहीं की गई की । इसके अलावा वर्ष 2018 में बनी राज्य की संविदा नीति का लाभ भी उन्हें नहीं मिला। केंद्र सरकार ने मिशन वात्सल्य को नवीन वित्तीय मापदण्डों के साथ अप्रैल 2022 से लागू करने के निर्देशों के बाद भी अब तक इसका लाभ नहीं दिया।
उपेक्षा के चलते आधे कर्मचारियों ने छोड़ी नौकरी: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2009- 10 में बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए समेकित बाल संरक्षण योजना की शुरुआत की गई। जिसे अब "मिशन वात्सल्य" नाम दिया गया है। योजना का मूल उद्देश्य बच्चों की उनके अधिकारों तक पहुंच को सुगम बनाकर उन्हें विकास के लिए यथोचित सहयोग प्रदान करना तथा उनके लिए ऐसी संवेदनशील, समर्थन कारी और समकालिक ईको-व्यवस्था स्थापित करना है।
इन व्यवस्थाओं के लिए जिला स्तर एवं राज्य स्तर पर 667 संविदा अधिकारी- कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी लेकिन अत्यंत कम वेतन एवं लगातार उपेक्षा के चलते आधे कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी। वर्तमान में मिशन के अंतर्गत लगभग 340 कर्मचारी कार्यरत है।