शिवपुरी। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा आपसी सांठगांठ करके हितग्राहियों के हक की एक करोड़ से अधिक की राशि हड़पने का खामियाजा विभाग के अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों एवं कार्यकर्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। अधिकारियों द्वारा हड़पी गई राशि के कारण एनएचएम ने पिछोर के जिम्मेदारों की आइडी लाक कर दी गई है। इसी के चलते कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं मिला है और छह माह से प्रोत्साहन राशि का आहरण नहीं हो पा रहा है।
मीडिया ने अपनी खबरों से पिछोर में बीएमओ डा. संजीव सांडे और कंप्यूटर ऑपरेटर सह अकाउंटेंट फजल खान सहित आला स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा सांठगांठ कर पिछोर स्वास्थ्य केंद्र में एक करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले और गबन का राजफाश किया था।
मामले की प्रारंभिक जांच में ही कई खाते संदिग्ध पाए गए और गबन किया जाना प्रमाणित हो गया। इसके बाद सीएमएचओ कार्यालय ने जांच से हाथ खड़े कर दिए तो मामला एनएचएम ने संज्ञान में ले लिया। एनएचएम द्वारा मामले की जांच शुरू कर दी गई है। इसी के चलते एनएचएम कार्यालय ने अधिकारियों से समस्त रिकार्ड मांगे और उनकी आईडी लॉक कर दी।
पिछोर के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने ऑफिशियल ग्रुप पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित बीएमओ से अनुरोध करते हुए लिखा है कि हम सभी सीएचओ मानसिक एवं आर्थिक रूप से परेशान हैं। हमारा पिछले चार माह से वेतन और छह माह से प्रोत्साहन राशि आहरण नहीं किया गया है। हमारे वेतन का जल्द से जल्द निराकरण किया जाए ताकि हम अपने काम सुचारू रूप से कर सकें। अन्यथा हम पिछोर ब्लाक के सभी सीएचओ अपने काम बंद कर अपने हक के लिए भोपाल एमडी मेडम के यहां वेतन के लिए कलमबंद हड़ताल करेंगे, जिसकी समस्त जबाबदारी आपकी होगी।
गर्भस्थ शिशुओं सहित प्रसूताओं को नहीं मिल पा रहा पोषण
स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भावस्था के दौरान प्रसूताओं और गर्भस्थ शिशु के पोषण आहार के लिए प्रसूति सहायता के तहत 10 हजार 600 रुपये उपलब्ध करवाती है। पिछोर के अधिकारियों की आईडी लाक होने के कारण हजारों प्रसूताओं को इस राशि का भुगतान नहीं होने से पोषण नहीं मिल पा रहा है।
इसके अलावा जननी सुरक्षा योजना, कर्मचारियों के वेतन, आशा कार्यर्ताओं की प्रोत्साहन राशि, आशा सुपरवाइजरों की प्रोत्साहन राशि एनआरसी में भर्ती कुपोषित बच्चों की माताओं की क्षतिपूर्ति राशि, महिला नसबंदी की क्षतिपूर्ति राशि, परिवार नियोजन संबंधी योजनाओं की प्रोत्साहन राशि जनारोग्य केंद्रों के अनटाइड फंड, अल्टरनेट वैक्सीन डिलेवरी कार्यकर्ताओं का मानदेय सहित तमाम तरह के भुगतानों पर रोक लगी हुई है।
तो फिर एफआईआर में देरी क्यों
जिला स्तर पर की गई जांच में फजल खान और डा. संजीव सांडे को प्रथम दृष्टया ही सरकारी फंड का गबन करने का दोषी पाया गया है। एनएचएम ने भी जो एक साल के दस्तावेजों की जांच की है उसमें उक्त लोगों को दोषी पाया गया है। ऐसे में विचारणीय पहलू यह है कि उक्त लोगों पर एफआईआर करने में विभाग इतनी देर क्यों कर रहा है।
जबकि शिवपुरी में ही एसपी ऑफिस के कंप्यूटर आपरेटर द्वारा गबन, शिवपुरी जनपद में संबल घोटाला, करैरा नगर परिषद में पिछोर जनपद में और भी अन्य मामलों में हुआ। आरोप सिद्ध होते ही आरोपियों पर एफआइआर करवा कर उन्हें या तो निलंबित कर दिया गया या फिर उन्हें नौकरी से हटा दिया गया।
32 लाख जमा होने के बाद खुलेगी आईडी
सूत्र बताते हैं कि प्रारंभिक जांच में एनएचएम के एमडी ने फजल खान सहित डा संजीव सांडे व अन्य को गबन का दोषी माना है। प्रारंभिक जांच में 32 लाख रुपये की राशि के भुगतान की बात कही जा रही है। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि संबंधितों ने मौखिक रूप से यह स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने गबन किया है और किस्तों में यह राशि जमा करने की बात कही है, जबकि अधिकारियों का कहना है कि सबसे पहले तो यह पूरी राशि जमा की जाए तभी आईडी खोली जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।