SHIVPURI NEWS- तिलक विवाद पर स्कूल प्रबंधन ने कहा धर्म संगत बात रखी गई थी, शिकायतकर्ता पूर्वाग्रह से ग्रसित थे

Bhopal Samachar
शिवपुरी। बीते गुरुवार को शहर के गुरु नानक हायर सेकेंडरी स्कूल पर आरोप लगे थे कि वह बच्चों को तिलक लगाकर स्कूल आने और कलाई में कलावा पहनने पर रोक लगा रहा है। इसको लेकर हिन्दूवादी संगठनों ने जिला अधिकारी को आपत्ति दर्ज कराते हुए शिकायत भी की थी। इस विवाद में स्कूल प्रबंधन ने अपना स्टेटमेंट जारी कर कहा है कि स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को तिलक लगाकर रोकने को नही कहा,बल्कि तिलक के विषय में धर्म संगत और कलावे पर वैज्ञानिक तथ्य रखे गए थे।

गुरु नानक स्कूल प्रबंधन ने कहा कि विद्यालय में माता-पिता, अभिभावक एवं बच्चों की विभिन्न प्रकार की समस्याओं के समाधान हेतु एवं बच्चों की प्रोग्रेस हेतु आते रहते हैं। विद्यालय प्रबंधन एवं टीचर्स पूर्ण जिम्मेदारी के साथ हर संभव प्रयास करते हैं कि विद्यार्थी के बेहतर भविष्य हेतु माता-पिता एवं बच्चे के साथ संवाद कर समस्याओं का उचित हल निकाला जाए।

ऐसे ही कुछ मामले जब विद्यालय प्रबंधन एवं टीचर्स के संज्ञान में आए जैसे कि बच्चों द्वारा विद्यालय में कीमती घड़ियां, मोबाइल, सोने की चेन, अंगूठियां, बड़े-बड़े कड़े, टू व्हीलर्स पर बिना हेलमेट के आना, बहुत बड़े साइज का टीका लगा कर आना, ढेर सारे धागे जैसे फ्रेंडशिप बैंड इत्यादि बांध कर आना, तो बच्चों को इस बात के लिए उचित सलाह दी गई कि जिससे उनके साथ रास्ते में आते जाते समय कोई अप्रिय घटना घटित ना हो और लगभग सभी स्कूलों में इस तरह की सलाह बच्चों को दी जाती है।

ऐसी ही एक बात को लेकर कुछ अभिभावक गुरुवार, दिनांक 10 अगस्त 2023 को विद्यालय आए जिनके बच्चे बहुत बड़ा बड़ा तिलक लगाते हैं तो उन अभिभावकों को भी यह बताया गया कि पसीने से खराब होकर तिलक का चंदन कपड़ों एवं जमीन पर ना गिरे एवं तिलक का अपमान ना हो इसलिए यह धर्म सम्मत सलाह दी गई कि छोटा तिलक लगाकर आएं।

विद्यालय जब खुद अपने कार्यक्रमों में अभिभावकों एवं अतिथियों का हमारी संस्कृति अनुसार तिलक लगाकर स्वागत करता हैं तो विद्यालय को बच्चों के तिलक लगाने से क्या आपत्ति होगी? लेकिन एक समान यूनिफॉर्म हो बच्चों का पर्सनालिटी डेवलपमेंट हो और कुछ बच्चे बाकी बच्चों से अलग न लगे इस वजह से छोटा तिलक लगाने की केबल सलाह दी गई और साथ में यह भी कहा गया कि अगर आप इस बात से असंतुष्ट हैं तो आप पूर्व की भांति बड़ा तिलक लगाकर बच्चों को विद्यालय भेज सकते हैं विद्यालय को कोई आपत्ति नहीं है और अगर उनको विद्यालय की इस बात का बुरा लगा हो तो विद्यालय इसके लिए उनसे क्षमा मांगता है। इससे अभिभावक संतुष्ट होकर अपने-अपने घर चले गए।

रही धागों की बात (फ्रेंडशिप बैंड इत्यादि) तो तीन चार महीने तक विभिन्न प्रकार के धागे बांधे क्या उचित है? उनको यह सलाह दी गई कि एक या दो धागे बांधकर आएं क्योंकि ये धांगे पहने- पहने वॉशरूम, अस्पताल, भोजन करना या किसी ऐसी जगह पर जाते हैं तो लंबे समय में उसपर कीटाणु एवं जीवाणु पनप सकते हैं।

जो कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं फिर भी विद्यालय द्वारा यह कहा गया की अगर आप इस सलाह से भी असंतुष्ट हैं तो पहले की भांति चाहे जितने धांगे पहनाकर बच्चों को स्कूल भेज सकते हैं और अगर अभिभावकों को इस बात का भी बुरा महसूस हुआ है तो विद्यालय इसके लिए भी क्षमा मांगता है। इस बात पर भी अभिभावक संतुष्ट होकर घर चले गए।

विद्यालय एक महत्वपूर्ण बात अभिभावक, बच्चों एवं प्रशासन के समक्ष रखना चाहता है कि विद्यालय में प्रतिदिन कई वर्षों से सरस्वती वंदना का गायन होता है और ओम का उच्चारण करवाया जाता है, गायत्री मंत्र का जाप करवाया जाता है, गणेश वंदना कराई जाती है एवं सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया जाता है, तो ऐसे में विद्यालय किसी भी बच्चे को उसके धार्मिक रीति-रिवाज का पालन करने से ना ही पूर्व में कभी रोका गया है और ना ही रोका जाता है और ना ही भविष्य में रोका जावेगा।