SHIVPURI NEWS- केयर गिवर की ट्रेनिंग, एक टीबी रोगी पूरे जीवन काल में 10 लोगों को देता टीबी रोग

Bhopal Samachar
शिवपुरी। टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति की देखभाल के लिए विकासखंड स्तर पर पदस्थ बीपीएम,बीसीएम,बीईई,एसटीएलएस और एसटीएस को केयर गिवर मॉडयूल का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। प्रशिक्षण कई बैचों में आयोजित किया जा रहा है। इससे पूर्व यह मॉडयूल मध्य प्रदेश के दो जिले गुना और खंडवा में ही लागू था। इसका लक्ष्य टीबी रोग फैलने से रोकना है।

जिला क्षय अधिकारी एवं मास्टर ट्रेनर डॉ अलका त्रिवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी के मार्गदर्शन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पवन जैन के नेतृत्व में जिले में टीबी ग्रस्त रोगियों की देखभाल करने केयर गिवर मॉडयूल का प्रशिक्षण एक निजी होटल में विकासखंड स्तर पर पदस्थ कर्मचारियों को दिया जा रहा है। इनमें बीपीएम,बीसीएम,बीईई,एसटीएलएस और एसटीएस शामिल है।

डॉ त्रिवेदी ने बताया कि केयर गिवर उन व्यक्ति को कहा जाता है जो टीबी से ग्रस्त रोगियों की सेवा कर रहे हैं। इनमें परिवार के सदस्य या वालंटियर कोई भी हो सकते हैं। यह रोगी की सेवा के दौरान स्वयं उस रोग से ग्रसित न हो तथा परिवार के अन्य व्यक्तियों को भी इनफेक्शन से बचा सके इसके लिए निक्षय कार्यक्रम के अंतर्गत यह विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जिला स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कर्मचारी विकासखंड स्तर पर जाकर वहां के अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे और वह विभिन्न स्थानों पर निवास कर रहे टीबी रोगियों के केयर गिवर को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। विकासखंड के कर्मचारियों के कई बैच प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किए गए हैं।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पवन जैन भी निरीक्षण के लिए पहुँचे और उनके द्वारा प्रतिभागियों से चर्चा कर टीबी रोगियों को रोग से बचाने के गुर बताए तथा जाना कि प्रतिभागी किस प्रकार फील्ड में पहुंचकर दूसरे कर्मचारियों को प्रशिक्षण देंगे।

एक टीबी रोगी पूरे जीवन काल में 10 लोगों को देता टीबी रोग - डॉ हेमंत

टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में 10 लोगों को इस रोग से ग्रसित करता है, इसलिए उसकी देखभाल में विशेष सावधानियों की आवश्यकता है। जिससे देखभाल करने वाला स्वयं रोगी न हो। भारत सरकार ने वर्ष 2024 तक टीबी मुक्त भारत का संकल्प लिया है। यदि एक रोगी दूसरों को रोगी बनता रहेगा तो संकल्प कैसे पूरा होगा। इसलिए इस प्रशिक्षण का लक्ष्य रोगी से रोग फैलने की चेन को तोडना है।