KUNO में 12 दिनों से गायब मादा चीता निर्वा, टला नहीं शिकारी कीड़ो का खतरा

Bhopal Samachar
भोपाल। शिवपुरी श्योपुर जिले की सीमा पर स्थित कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन की मुसीबतें कम होने का नाम नही ले रही है। पिछले 12 दिनों से लापता हुई माता चीता निर्वा की लोकेशन ट्रेस नही हो रही है। वही कूनो नेशनल पार्क में फ्लाई लाव संक्रमण का खतरा टला नहीं है। कूनों में पिछले दिनों जिन छह चीतों की कॉलर आईडी हटाई गई है, उनके गले में भी घाव है।

इन सभी छह चीतों को क्वारंटाइन बाड़े में रखकर इलाज किया जा रहा है। चीता स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राजेश गोपाल का कहना है चीतों के गले में कॉलर आइडी से हुए घाव अब ठीक हो रहे हैं।

दो दिन पहले बुधवार को माद चीता धात्री की मौत भी फ्लाई लार्वा संक्रमण से कीड़े पड़ने से हुई है। इससे पहले 11 जुलाई को नर चीता तेजस और 14 जुलाई को नर चीता सूरज ने भी फ्लाई लाव संक्रमण से कीड़े पड़ने से दम तोड़ दिया था। हालांकि अब दावा किया जा रहा है कि कूनो के चिकित्सकों के साथ ही अफ्रीकी विशषज्ञों की देखरेख में चीतों का इलाज किया जा रहा है।

12 दिन बाद भी निर्वा की लोकेशन नहीं, अब बारिश बाधा

कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाकर बसए गए नौ चीतों की अब तक मौत हो चुकी है। कालर आइडी खराब होने से मादा चीता निर्वा की पिछले 12 दिनों से लोकेशन नहीं मिली है। कूनो पार्क प्रबंधन ने चार दलों को ट्रैकिंग के लिए लगाया है।

गुरुवार को कूनो के जंगल में मादा चीता निर्वा के पग मार्ग नजर आए थे, लेकिन बारिश होने से यह बेनतीजा रहे हैं। शुक्रवार को भी ड्रोन और जमीनी दल के जरिए निर्वा की तलाश की गई, लेकिन फिलहाल निर्वा की लोकेशन नहीं मिल रही है। शुक्रवार को दोपहर में बारिश होने से सर्चिंग रोकनी पड़ी है।

चुनौती स्वीकारेंगे तो सर्वोत्तम परिणाम संभव

कूनो पार्क प्रबंधन में चीतों की मौत ने चीता प्रोजेक्ट के प्रति चिंता बढ़ा दी है। वहीं नामीबिया की चीता कंजर्वेशन फंड ने अपनी चिकित्सक डा एना बास्तो का वीडियो मैसेज ट्वीट किया है। वीडियो में डा. एना बास्तो चीतों को भारत ले जाने की प्रक्रिया और चिकित्सा तैयारियों की रूपरेखा बता रही हैं।

चीता परियोजना कार्ययोजना में नहीं होगा बदलाव

कूनो नेशनल पार्क में चीतों की लगातार हो रही मौतों से परियोजना से जुड़े अधिकारी विचलित नहीं होंगे। चीता परियोजना के क्रियान्वयन कार्ययोजना (एक्शन प्लान) में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा।

कार्ययोजना में स्पष्ट है एक साल में 50 प्रतिशत चीते जिंदा बचते हैं तो परियोजना सफल मानी जाएगी। वन अधिकारियों का कहना है अगली सर्दी तक स्थिति में सुधार आएगा और यहां पैदा होने वाले शावक जब एक साल के हो जाएंगे तो परियोजना सफलता की ओर बढ़ेगी। इसलिए पहले से तय कार्ययोजना के अनुरूप ही चीता परियोजना पर काम होता रहेगा।

इनका कहना है
क्वारंटाइन बाड़े में छह चीतों का इलाज किया जा रहा है। इलाज से इनके गले में हुए घाव ठीक हो रहे हैं। अभी मादा चीता निर्वा बाड़े से बाहर है। बारिश में बाधा उत्पन्न होने से उसकी लोकेशन नहीं मिल पा रही है।
राजेश गोपाल, अध्यक्ष, चीता स्टीयरिंग कमेटी