शिवपुरी। गत दिवस स्वर्णिम नगर होटल स्टार गोल्ड के पास स्थित नवनिर्मित प्री स्कूल का का भव्य शुभारंभ खेल एवं युवा कल्याण तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने किया इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए सिंधिया ने कहा कि मुझे सुखद आश्चर्य है कि शिवपुरी शहर में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कंपनी फस्ट्र क्राय के प्री स्कूल की शाखा एक शानदार और विश्व स्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित भवन में शुरू हो रही है।
मुझे पूरा विश्वास है कि ये स्कूल फस्ट्र क्राय के मार्गदर्शन में शिक्षा और गुणवत्ता की पहचान बनेगा। श्रीमति सिंधिया ने कहा कि वातानुकूलित माहौल और साफ स्वच्छ वातावरण में उच्च कोटि की सुविधाओं से युक्त स्कूल देखकर सुखद आश्चर्य हो रहा है। शिवपुरी शिक्षा के क्षेत्र में लगातार विकसित हो रहा है। फर्स्ट क्राय इन्टैलीटोट्स प्री स्कूल शिवपुरी शहर की आशाओं पर खरा उतरकर शिवपुरी की पहचान बनेगा ऐसा मेरा विश्वास है। शिक्षा और गुणवत्ता की पहचान बनेगा ।
मंत्री राजे स्कूल के उदघाटन के समय लगभग 1 घंटे स्कूल परिसर में रही,इस दौरान स्कूल के प्रत्येक क्लास में जाकर फर्स्ट क्राय इन्टैलीटोट्स स्कूल की शिक्षा तकनीक के विषय में स्कूल की सेंटर डायरेक्टर रूपाली गौतम से जानकारी ली,क्लास मे रखे बच्चों के खिलौने जो एक टीचर की भूमिका अदा करेंगे वह कैसे इसके विषय में जानकारी ली,इस सेंटर डायरेक्टर रूपाली गौतम ने बताया कि फर्स्ट क्राय इन्टैलीटोट्स स्कूल की शिक्षा टेक्निक सब स्कूलों से अलग है यह टेक्निक लाखो बच्चों पर अध्ययन करने के बाद इस स्कूल की शिक्षा पद्धति को साकार रूप मिला है। अभी तक यह होता आया है कि रटना और रटाना,लेकिन यहां ऐसा नही होगा शिक्षा प्रैक्टिकल करके दी जाऐगी।
हमारे स्कूल की अनुभवात्मक शिक्षण पद्धति का उद्देश्य जिज्ञासा पैदा करना है और सीखने का विस्तार करता है। उदाहरण के लिए, हम सिर्फ किताब में बताए गए फोटो से खेत के जानवरों के विषय में बात नही करेंगे बल्कि टॉय रूपी जीवित जानवरों के साथ एक खेत पार्टी जैसा क्लास रूम मे आयोजन करेंगे, जिससे बच्चों को वास्तविकता देखने को मिलेगी,जिससे बच्चे अधिक सीखते है। स्कूल की शिक्षण पद्धति का यह सूत्र है कि बच्चो की मस्तिष्क असीमित पावर होती है,सीखने की क्षमता खोजने की क्षमता जिज्ञासा पैदा करना ही प्रमुख है। शिक्षा रटना और रटाना नही होता है जिज्ञासा पैदा करना होता है अगर जिज्ञासा है तो बच्चे अपने आप स्वतः शिक्षा की ओर प्रेरित होगें।