शिवपुरी। विशेष न्यायाधीश रामविलास गुप्ता की कोर्ट में यह साबित हो गया कि इंस्पेक्टर गोपाल चौबे द्वारा कुलदीप ढाबा के संचालक कुलदीप सिंह के खिलाफ मादक पदार्थों की तस्करी का जो मामला 2018 में दर्ज किया गया था, वह निराधार और झूठा था। विरोधी के कमरे से अफीम और डोडा चूरा बरामद किया और मुकदमा कुलदीप सिंह के खिलाफ दर्ज किया। सिर्फ इतना ही नहीं मामले की विवेचना भी गलत की। इन्वेस्टिगेशन के दौरान भी कमरे के मालिक के बयान तक नहीं लिए।
कहानी- जो पुलिस ने कोर्ट को बताई थी
अभियोजना के अनुसार सतनवाड़ा थाना प्रभारी गोपाल चौबे को 13 अगस्त 2018 को मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुलदीप ढाबा का संचालक कुलदीप सिंह अवैध रूप से डोंडा एवं अफीम अपने ढाबे पर बेचने के लिए संग्रह किए हुए हैं। उक्त सूचना पर पुलिस ने ढाबे पर छापामार कार्रवाई की और होटल के पीछे खेतों में बने एक कमरे से 1क्विंटल 57 किलो डोडा चूरा और 210 ग्राम अफीम बरामद की।
आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धाराओं में प्रकरण कायम कर विवेचना की गई। जांच में दावा किया गया कि जो अफीम और डोडा चूरा बरामद हुआ है वह कुलदीप सिंह के कमरे से मिला है इसलिए कुलदीप सिंह तस्करी का दोषी है। न्यायालय में चालान पेश करके कुलदीप सिंह को सजा निर्धारित करने का निवेदन किया गया।
एडवोकेट विजय सिंह ने मामले की परतें खोल दी
न्यायालय में कुलदीप सिंह के अधिवक्ता विजय तिवारी ने एक के बाद एक ऐसे कई साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिस ने साबित कर दिया कि पुलिस ने कुलदीप सिंह को परेशान करने के लिए उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था। बताया कि पुलिस ने जिस कमरे से मादक पदार्थ जब्त किया है वह कमरा न तो कुलदीप की आधिपत्य की जमीन पर बना हुआ है और न ही कुलदीप का है। उक्त कमरा राजकुमार सूद की जमीन पर बना है और उसी का गोदाम है।
राजकुमार और कुलदीप के बीच में जमीनी विवाद के कारण पिछले कई वर्षों से रंजिश चली आ रही है। गांव वालों के बयान में भी यही कहानी सामने आई। पुलिस न्यायालय में अपनी कहानी को सही साबित नहीं कर पाई। पुलिस ने न तो राजकुमार सूद के कोई बयान मामले में लिए और न ही उसे प्रकरण में आरोपी बनाया। न्यायाधीश ने इसी आधार पर आरोपित ढाबा संचालक को बरी कर दिया।