SHIVPURI NEWS- बच्चों को न्यू लुक और स्मार्ट शिक्षा देने ​के​ लिए किया था सरकारी नौकरी का त्याग: शिक्षाविद शिवकुमार गौतम

Bhopal Samachar
शिवपुरी। जीतने वाले कुछ अलग चीज़े नहीं करते बस वो चीजों को अलग तरीके से करते हैं। ऐसा ही कुछ शिक्षा के क्षेत्र में किया शिवपुरी के किड्स गार्डन स्कूल के डारेक्टर शिक्षाविद शिवकुमार गौतम ने। शिवकुमार गौतम आज शहर में शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धि भरा नाम है। शिक्षक के रूप में एक सरकारी टीचर से अपना कैरियर शुरू करने वाले शिवकुमार गौतम ने नौकरी का त्याग किया,और शिवपुरी के बच्चों को एक नए तरीके से शिक्षा देने के लिए एक संस्थान का प्लान सन 2004 में किया और संस्थान का नाम रखा गया किड्स गार्डन स्कूल,अब यह स्कूल शिवपुरी जिले में एक ब्रांड के रूप पहचाना जाता है।

क्या था एक सरकारी नौकरी का त्याग करने का कारण,नए तरीके की शिक्षा का प्लान कैसे मन में आया,मॉडल शिक्षा और नैतिक शिक्षा जो एक दूसरे के विपरित है उनका केसे समागम किया और क्या संघर्ष रहे 50 बच्चों की स्ट्रेंथ से 1500 प्लस बच्चो तक की बच्चो की स्ट्रेंथ करने में—ऐसे ही कुछ सवालो के साथ शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने शिक्षाविद शिवकुमार गौतम से चर्चा की।

सरकारी शिक्षक पढाते थे लेकिन नई तकनीक के हम मालिक नही थे
शिक्षाविद शिवकुमार गौतम ने बताया कि मैं प्रशासनिक नौकरी करना चाहता था लेकिन पारिवारिक कारणों की वजह से 1997 में नवोदय विद्यालय अरुणाचल प्रदेश मे में पहली पोस्टिंग शिक्षक के रूप में हुई थी। वही से बच्चो को शिक्षा देने का कार्य शुरू हो गया,लेकिन सरकारी नौकरी थी वही शिक्षा पद्धति थी,हालांकि नवोदय विद्यालय की शिक्षा नीति देश के सर्वश्रेष्ठ विद्वान शिक्षक ही प्लान करते थे-बेहतर शिक्षा नीति होती थी,लेकिन जब हम सेमिनार में जाते थे तो एक नए लुक में शिक्षा नीति से परिचय होता था हम अपने सिलेबस से बाहर नही पढ़ा सकते थे इसलिए नौकरी को त्याग कर अपने ही शहर शिवपुरी में नई शिक्षा नीति-नई तकनीक,जिसमे हम कभी बदलाव कर सके,बच्चे को स्मार्ट शिक्षा के जीवन में नैतिक गुण विकसित करने के उद्देश्य से अपना ही स्कूल खोलने का मन बना,इसलिए सरकारी नौकरी से मोहभंग हुआ और मन में एक शिक्षा का प्राइवेट संस्थान खोलने का मन बनाया।


शिवपुरी सबसे पहला बैगलेस स्कूल प्ले ग्रुप के साथ यूरो किड्स के साथ शुरू
सन 2004 में शिवपुरी लिंक रोड पुराने बाईपास पर एक किराए की बिल्डिंग में शहर का प्रथम बैगलेस स्कूल प्ले ग्रुप,नर्सरी,एलकेजी और यूकेजी की क्लास के साथ यूरो किड्स की शिक्षा प्रणाली के साथ शुरू किया गया। बैग लैस स्कूल और प्लेग्रुप स्कूल शहर का प्रथम प्रयास था—और ब्रांड स्कूल चैन यूरो किड्स के साथ शुरू किया गया,एक नया फर्स्ट क्राय इन्टैलीटोट्स प्ले स्कूल इस वर्ष शिवपुरी विधायक और प्रदेश की कैबिनेट मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया के कर कमलो से शुरू हुआ है। इस स्कूल की शिक्षा प्रणाली विश्व स्तर की है।

कहते है कोशिश करने वालों की हार नही होती
नई रणनीति के साथ शुरू हुए किड्स गार्डन संस्थान अपने समकक्ष स्कूलों से कुछ ही सालों मे आगे हो गया,बेहतर टीचर चयन,स्मार्ट शिक्षा प्रणाली का समायोजन कर आज किड्स गार्डन स्कूल में 1500 से अधिक बच्चों की स्ट्रेंथ है और सीबीएसई पाठ्यक्रम का 12वीं क्लास तक का एक ब्रांड स्कूल है। प्रत्येक वर्ष किड्स गार्डन के 10वीं और 12वीं क्लास के बच्चे बेहतर परिणाम लाते हैं।

टारगेट तक पहुंचने के लिए जीवन में आंतरिक और बाहरी संघर्ष

शिक्षाविद शिवकुमार गौतम ने बताया कि अपने जीवन के टारगेट पूरे करने के लिए आंतरिक और बाहरी संघर्षो भरा रहा। जब स्कूल खोलने के लिए अर्थ की आवश्यकता थी जब जिनसे उम्मीद थी उन्होंने उपहास किया-जिनसे उम्मीद थी उन्होंने साथ नही दिया,लेकिन हार नही मानी जितने संसाधन थे उनसे बेहतर करने का प्रयास किया गया और धीरे धीरे रिजल्ट आना शुरू हो गए।

उसके बाद आंतरिक जीवन में पारिवारिक विध्वंस हुआ लेकिन धीरे धीरे सब अनकुल हो गया। जब भी संघर्ष आया तो उससे लडकर उतने ही मजबूत होकर निकले। अब इस वर्ष किडस गार्डन परिवार में एक और संस्थान का बढावा हुआ है। किडस गार्डन स्कूल में यूरो किड्स शिक्षा प्रणाली लेकर आए नए संस्थान में विश्व लेवल की शिक्षा तकनीक लेकर आए है।

अपनी सफलता को कैसे देखते है इस प्रश्न पर कहा सफलता का बनाए रखना एक चुनौती होती है,सफल तो आप हो सकते है लेकिन उसका बनाए रखना ही बडी सफलता होती है। कर्म पर विश्वास करते है की भाग्य पर इस पर कहा कि आप विश्वास करना कि मेरे हाथ में भाग्य रेखा ही नही है लेकिन कर्म प्रधान जीवन है इसलिए कर्म किया इसलिए ईश्वर ने सफल किया कहते है कि भाग्य पर भरोसा करने वालो को उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड देते है। जीवन में सफलता का एक ही मूल मंत्र है लंबे समय तक अपने टारगेट पर चलना-उससे विचलित ना होना और कठिन परिश्रम

अपनी सफलता के श्रेय के प्रश्न पर कहा कि सबसे पहले अपने आध्यात्मिक गुरू श्री श्री 1008 ईश्वरानंद ब्रह्मचारी उत्तम महाराज,आचार्य चाणक्य के सूत्र भी जीवन में उपयोग किए वही प्रेरणा स्त्रोत रहे स्वामी विवेकानंद के साथ साथ परम पूज्य गुरु जी सदा माधवराव सदाशिव गोलकर जी


शिक्षा अध्ययन कर रहे बच्चो को संदेश देते हुए कहा कि विद्यार्थी जीवन में एक ही काम एक लक्ष्य होना चाहिए वह बस शिक्षा अध्यनन। आप को जो भी बनना है जो भी टारगेट है वह शिक्षा ही आपको प्रदान कर सकती है। शिक्षा के साथ साथ अपने नैतिक मूल्यों में कभी भी मिलावट ना करे। बच्चे अगर अपने माता पिता और शिक्षक की गाइड लाइन पर चलते है तो यकीन मानिए कि वह जो करना चाहते है वह कर सकते है। इसलिए बच्चे अपने माता पिता और शिक्षक का आदेश को भगवान का आदेश माने।