SHIVPURI NEWS- बाघ दिवस, उम्मीद से है हमारी लेडी टाइगर, दुआ करो की तारा पेटू जैसी कहानी फिर माधव नेशनल पार्क में दोहराई जाए

Bhopal Samachar
शिवपुरी। आज अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस है,हमारे लिए खास इसलिए भी है अब हमारे माधव नेशनल पार्क में भी 3 दशक बाद बाघों की वापसी हुई। हमारे पड़ोसी जिले के कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट शुरू हुआ है लेकिन यहां से अप्रिय खबरें आती रहती है लेकिन शुक्र है हमारे नेशनल पार्क से अभी तक एक भी अप्रिय खबर नही आई बल्कि उम्मीद भरी खबर मिल रही है कि हमारी लेडी टाइगर प्रेग्नेंट है और अगस्त माह में हमें खुशखबरी मिल सकती हैं हम दुआ करते है कि फिर माधव नेशनल पार्क में तारा पेटू जैसी कहानी का दोहराई जाए।

तारा पेटू की कहानी पर चर्चा करने से पहले खबर यह भी है कि बाघ दिवस के एक दिन पूर्व शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क प्रबंधन ने पार्क में उपस्थित तीनो टाइगर की फोटो रिलीज की है ओर उम्मीद भी जताई के लेडी टाइगर अगस्त माह में खुशखबरी दे सकती है पार्क प्रबंधन ने दावा किया है कि तीनो टाइगर माधव नेशनल पार्क के रच बस गए है।

जनसंख्या में इजाफा करने के लिए तारा पेटू जेसी स्टोरी बने

हम स्टोरी के नायक और नायिका से पहले आपका परिचय कराते हैं। इस स्टोरी के नायक थे माधव नेशनल पार्क शिवपुरी के एक शेर जिसका नाम था पेटू,वही इस लव स्टोरी की नायिका हैं इस पार्क में रहने वाले शेरनी तारा। तत्कालीन मीडिया की खबरों में यह लव स्टोरी के तौर पर कभी प्रकाशित नही की गई थी लेकिन घटनात्मक प्रकाशित की गई थी।

साल तो सही याद नही हैं लेकिन लगभग 20 से अधिक साल पहले जब माधव नेशनल पार्क में शेर भी हुआ करते थे। इन्ही एक शेर और शेरनी के जोडे का नाम था तारा और पेटू। बताया जाता हैं कि शायद विश्व के इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि इस जोडे की नसबंदी प्रशासन को करानी पड़ी थी। कारण था उनकी प्रजनन क्षमता अधिक थी, इस जोड़े के कई बच्चे हुए।

प्रजनन क्षमता के कारण माधव नेशनल पार्क ने इस जोड़े अलग करने का प्लान बनाया। शेरनी तारा के रहने के लिए एक वाडा बनाया गया। जिसके चारों ओर गहरे गड्ढे खोदे गए उसमें आरसीसी के पिलर बनाए गए और चारो ओर से लोहे का मजबूत जाल से उसे कवर किया गया उसे में शेरनी को बंद कर दिया गया।

वही पेटू ज्यादा ही आक्रामक था उसके रहने के लिए जमीन को खोदा गया लगभग 20 फुट गहरी खाई बनाई गई और इस खाई के उपर मजबूत लोहे के तारो का जाल बनाया गया,गहरी खोदी गई खाई की जमीन से तारो के जाल की उंचाई लगभग 40 फुट होगी।

तारा और पेटू की प्रेम कहानी में माधव नेशनल पार्क प्रबंधन जब विलेन बन गया तो अपने प्रेमी से जुदा हुई तारा ने खाना छोड दिया और उधर पेटू उदास न होकर हिंसक होने लगा किसी भी तरह वह अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए तारो के जाल का पार करने का प्रयास करता रहता था। वन्य प्राणी विशेषज्ञ हैं उनके अनुसार कि एक शेर कभी भी 30 फीट से अधिक ऊंची छलांग नही लगा सकता हैं इस कारण ही पेटू को जिस जगह रखा गया उसको पार करने के लिए उसे 40 फुट उंचाई क्रॉश करनी थी।

बताया जाता रहा हैं कि एक सुबह पार्क प्रबंधन को सूचना मिली कि पेटू तारा के बाडे में आ गया। यह खबर मीडिया की सुर्खिया बनी। लोग अपने अपने व्यू दे रहे थे कि पेटू ने अपना वाडा ऐसे पार किया होगा,लेकिन यह संभव भी नही था कि कोई भी शेर 40 फुट उंची छलाग लगा ले। प्रबंधन आज भी क्लीयर नही कर सका हैं कि पेटू ने 40 फुट उंची छलांग कैसे लगाई होगी और वह किस तरह से अपनी प्रेमिका के पास पहुंचा।

इसके बाद पार्क प्रबंधन फिर पेटू को तारा से अलग करते हुए उसे पुन:वापस उसकी वाडे में भेज दिया। तारा ने अपने प्रेमी के विछोह में खाने का त्याग कर दिया। किसी भी स्थिति में वह कुछ भी खाने को तैयार नही थी,उधर पेटू ने गुस्से में आकर वाडे में लगे लोहे के पिलरो को पूरा का पूरा हिलाकर रख दिया और तोड़फोड़ करने लगा।

प्रबंधन ने सोचा कि तारा भूखी न मर जाए और पेटू हिसंक होकर अपने आप को नुकसान न पहुंचाए तो पुन:दोनो को एक साथ कर दिया। यह प्रेमी कहानी उस समय मीडिया का सबसे पसंदीदा सब्जेक्ट था। बताया जाता है कि पेटू बीमार रहने लगा उचित ईलाज के लिए पेटू का ट्रांसफर जबलपुर के चिडियाघर मे कर दिया गया। फिर इस विछोह में तारा ने खाने का त्याग कर दिया और पेटू भी उदास रहने लगा और उसने जबलपुर चिडिया घर मे अपनी तारा की याद में प्राण त्याग दिए।