SHIVPURI NEWS- नरवर के किले पर किया वनविभाग ने कब्जा, अब विरासत जंगल राज के हाथो में, निर्माण कार्य रोका

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी का वनविभाग ने विकास का अवरूद्ध करने का ट्रेंड बना लिया है। शिवपुरी की कई महत्वपूर्ण योजनाओ में अपने नियमो का टांग अडा दी थी। शिवपुरी की मडीखेडा जलावर्धन योजना बडी ही मुश्किल से क्रियान्वयन में पुन:आई। शिवपुरी के पर्यटक स्थल भदैया कुंड पर भी वनविभाग ने अपना दावा जता दिया है अब खबर मिल रही है कि ऐतिहासिक नरवर के किले पर भी वनविभाग ने अपना हक जता दिया और अपनी फितरत के अनुरूप विकास कार्य मे बाधा उत्पन्न कर दी। अब इस पचडे का सुलझाने के लिए कलेक्टर माथा पच्ची कर रहे है।

जैसा कि विदित है कि नरवर के किले का पिछले कई वर्षो से पुरातत्व विभाग देखरेख कर रहा है। नरवर के किले का एक ऐताहिसक इतिहास है। अनेक कई प्राचीन प्रेम कथाओ को अपने आंचल में समेटे नरवर के दुर्ग पर अब जंगल वाले विभाग ने अपना हक जता दिया है। राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध ढोला मारू की प्रेम कथा का नायक नरवर के राजा नल का पुत्र है।

भारत के कई हिन्दी राज्यो में पूजी जाने वाली लोढी माता का मुख्य मंदिर भी नरवर कस्बे में है लोडी माता की उत्पत्ति की कथा भी नरवर किले से जुडी है नरवर किले का उल्लेख महाभारत में राजा नल की राजधानी के रूप में किया गया है। इसे पहले नलपुर भी कहा जाता था। 12वीं शताब्दी से कछवाहा, परिहार व तोमर शासको के अलावा काफी समय तक इस पर मुगलों का भी कब्जा रहा।

18-19वीं शताब्दी में मराठा शासकों ने इसे अपना हिस्सा बनाया। नरवर का किला कछवाहा शासकों ने बनवाया था। नल-दमयंती एवं मानसिंह तोमर व मृगनयनी की प्रेमकथा भी इस किले से जुड़ी हैं। 12 कोस यानि 36 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले इस किले की अभी तक तो पुरातत्व विभाग देखरेख कर रहा था, लेकिन अब इस पर वन विभाग ने अपना कब्जा बता दिया।

ऐसे सामने आया वन विभाग का दावा

अभी तक नरवर किले तक जाने का कोई बेहतर रास्ता न होने की वजह से नगर परिषद नरवर ने इस एतिहासिक किले तक सैलानियों को आसानी तक पहुंचाने के लिए सड़क बनाने का प्रस्ताव बनाया। इसी बीच उक्त • सड़क मार्ग की जगह सहित किले पर वन विभाग ने अपना दावा कर दिया, तथा सड़क निर्माण से पहले फोरेस्ट की परमीशन आवश्यक कर दी। तब यह पता चला कि नरवर किला तो वन विभाग का है, जिसे पुरातत्व विभाग अपना मान रहा था।

नरवर किला आर्कियोलॉजी का

नरवर किला तो हमारे आर्कियोलॉजी विभाग का ही है, उस पर वन विभाग कैसे दावा कर सकता है। उसके आसपास की जमीन यदि वन विभाग की हो तो पता नहीं। हम अपने रीजनल ऑफिस में पता करवाते हैं कि वन विभाग कोई अड़चन तो पैदा नहीं कर रहा।
संतोष नामदेव, असि. इंजीनियर, आर्कियोलॉजी भोपाल

किला तो बरसों से अर्कियोलॉजी का

नरवर का ऐतिहासिक किला तो बरसों से आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट का है तथा वो ही उसका रख-रखाव करते आ रहे हैं। वो तो सड़क सहित अन्य कार्यों के प्रस्ताव बनाए, तब वन विभाग ने अपना दावा किया। अब यह मामला जिला कलेक्टर के समक्ष है।
पदमा माहेश्वरी, अध्यक्ष नगर परिषद नरवर

हमारा है किला

नरवर का किला वन विभाग के पास अभी नहीं आया, बल्कि वो तो पहले से ही है। उसमें से कुछ जगह स्टेट आर्कियोलॉजी को दिया हुआ है, जिसमें वो कुछ काम करते रहते हैं। वैसे किला हमारे वन विभाग की भूमि में है।
सुधांशु यादव, डीएफओ शिवपुरी

कलेक्टर अब कर रहे है माथा पच्ची

नरवर किला ऐतिहासिक है तथा टूरिज्म के लिए भी बहुत अच्छा है। उक्त जमीन को वन विभाग अपना बता रहा है, तथा हमने पुराने अभिलेख भी मंगवाए तो उसमें फोरेस्ट शो कर रहा है। फिर भी हमने कुछ और दस्तावेज मंगवाए हैं, उसके बाद ही इसमें कोई निर्णय हो पाएगा।
रविंद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर शिवपुरी