सिरसौद में पड़ोसी गांवों से आता हैं बारिश का पानी, इसीलिए बन जाते है बाढ़ जैसे हालात-ग्रामीणों का लाखों का नुकसान

Bhopal Samachar
शिवपुरी। खबर शिवपुरी जिले के सिरसौद गांव से मिल रही हैं जहां बारिश के मौसम में हालात खराब हो जाते है। बरसात मे आने से ग्रामीणों को काफी नुकसान हो जाता है। और गांव में जलभराव हो जाता हैं। प्रशासन इसके लिए कोई समाधान करने को तैयार नहीं हैं बताया गया है कि ग्राम पंचायत प्रशासन के सामने कई बार समस्या बता चुकी हैं लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

पड़ोसी गांव का पानी भी बहकर आ जाता हैं गांव में

ग्रामीणों का कहना हैं कि कुछ घंटों की तेज बारिश के बाद गांव में बाढ़ के हालात बन जाते है। बताया जाता हैं कि बारिश होने के बाद सिरसौद गांव में पड़ोसी गांव मारोरा और खोरगार गांव से बहकर आने वाले पानी से सिरसौद में बाढ़ जैसे हालात बन जाते है।

कुछ दिन पहले ही गांव में अचानक घुसे पानी के तेज बहाव में बहने से ग्रामीणों ने महिला को बचाया था। ऐसे हालात से यह गांव सालों से जूझता हुआ आ रहा है। हर बार ग्रामीणों के घरों में पानी भर जाता है। इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन प्रशासन इसका समाधान ढूंढने में असफल साबित रहा है।

तालाब की पार टूटी, बिजली के खंभों पर लात रख स्कूल जाते हैं बच्चे

जलभराव की स्थिति से निपटने के लिए ग्रामीणों ने तिगरी सड़क के पास बने सालों पुराने वाटरशेड के तालाब की पार में पानी की निकासी के लिए पाइप डाले थे, लेकिन कुछ दिन पहले गांव में बारिश के बाद घुसे पानी ने तालाब की पार और पाइपों को उखाड़ फेंका था।

बता दें कि तालाब की पार से होते हुए कुछ परिवार सहित कई किसान अपने खेत और घर जाते थे, लेकिन तालाब की पार टूट जाने के बाद आने जाने के लिए ग्रामीणों ने बिजली के सीमेंट के खंभे डाल रखे है। इस पोल के सहारे लोग आना-जाना करने को मजबूर हैं। यह बात पंचायत सचिव के संज्ञान में डाली गई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

गांव के सरपंच विपिन शर्मा का कहना है कि सालों से ग्रामीण परेशान है। इस गांव में बड़े नाले का पक्का निर्माण होगा, तब कही जाकर ग्रामीणों को जलभराव की स्थति से निजात मिलेगी। इसके लिए बड़ा बजट लगेगा। वह समस्या के समाधान के लिए प्रयास कर रहे हैं। गांव के रोजगार सहायक दीपक शर्मा का कहना है कि फिलहाल गांव में जेसीबी से नाली खुदवाकर समस्या से निपटने का प्रयास किया गया है।

जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि वह इंजीनियर को भेजकर मौके का मुआयना करवाएंगे। इसके लिए क्या वैकल्पिक उपाय हो सकते हैं। वह किए जाएंगे।