सुप्रीम कोर्ट ने कूनो पार्क मे चीतो पर जताई चिंता, 8 मौत यह कोई अच्छी तस्वीर नही है, पढिए पूरी खबर

Bhopal Samachar
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने कूनो नेशनल पार्क में चीतों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो लाए गए 40 प्रतिशत चीतों की मौत एक साल के अंदर हो गई है। यह कोई अच्छी तस्वीर नहीं है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि चीतों को सिर्फ एक जगह बसाना सही नहीं होगा। उन्हें किसी और अभयारण्य में भी बसाने की कोशिश की जानी चाहिए।

केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि तीन चीतों की मौत की वजह पर जांच जारी है। सरकार ने यह भी बताया कि एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया है। यह चीता प्रोजेक्ट की एक बड़ी कामयाबी है। कूनो के माहौल में चीते आराम से रह रहे हैं। एक चीते की मौत बीमारी से हुई। बाकी आपसी लड़ाई में घायल होकर मरे हैं । जस्टिस बीआर गवई, जेबी पार्दीवाला और प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा कि समस्या क्या है, उन्हें वहां का वातावरण रास नहीं आ रहा या कोई और समस्या है। बीस चीतों में से आठ की मौत हो चुकी है। पिछले हफ्ते दो की मौत हुई।

आप उन्हें किसी और अभयारण्य में भेजने पर क्यों विचार नहीं करते। इसे आप प्रतिष्ठा का सवाल क्यों बना रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि चीता प्रोजेक्ट देश के लिए एक अहम परियोजना है। नए अभयारण्य का चुनाव करते समय दलगत राजनीति से जुड़ी सोच का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किडनी की बीमारी से प्रभावित मादा चीता को भारत सरकार ने क्यों स्वीकार किया। जस्टिस गवाई ने कहा, 'लंबे अरसे बाद चीते भारत लाए गए। एक ही जगह में उन्हें रखने से सबको खतरा हो सकता है। इसलिए उन्हें किसी वैकल्पिक अभयारण्य में भी बसाने पर विचार होना चाहिए। यह अभयारण्य मध्य प्रदेश में हो सकता है, राजस्थान में या महाराष्ट्र में हो । '
इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 75 साल से चीते भारत में नहीं थे। इसलिए उनसे जुड़े विशेषज्ञों की कमी है। सरकार उनके संरक्षण के लिए अभी कई उपायों पर विचार कर रही है। इनमें उन्हें किसी दूसरे अभयारण्य में बसाने का विचार भी शामिल है। राजस्थान का मुकुंदरा नेशनल पार्क इसके लिए तैयार है।

इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी किसी दूसरे अभयारण्य पर विचार किया जा रहा है। कोर्ट ने अपनी तरफ से गठित तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति से कहा कि वह 15 दिन में नेशनल टास्क फोर्स को अपने सुझाव दें, ताकि उन पर विचार किया जा सके।

वन कर्मचारी बोला- चीतों को पर्याप्त भोजन नहीं

श्योपुर (नन्यू)। पालपुर पश्चिम रेंज में प्राइवेट चालक की नौकरी करने वाले सुनील ओझा ने चीतों को सड़ा मांस खिलाने का आरोप लगाया है। इसका एक वीडियो बहुप्रसारित हुआ है जिसमें चालक सुनील ओझा का कहना है कि वह 13 माह से नौकरी कर रहा था। चीतों को लिए मांस लाने की जिम्मेदारी उसकी थी। चीतों को कई दिनों तक रखा हुआ मांस खिलाया जाता था । वह भी पर्याप्त नहीं दिया गया। जंगल में छोड़ने के बाद उनकी कोई देखरेख नहीं गई। हालांकि डीएफओ पीके वर्मा का कहना है कि कूनो में ऐसे 100 कर्मचारी काम करते हैं, वे ऐसे किसी चालक को नहीं जानते। उसके आरोप भी गलत हैं ।