शिवपुरी। शिवपुरी में पर्यटन बढ़ाने के लिए शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में टाइगरो को बीते मार्च माह में लाया गया है। वर्तमान समय में तीनो टाइगर खुले जंगल में घूम रहे है। बांधवगढ़ वाली बाघिन और सतपुड़ा से लाए गए बाघ ने अपना परिवार बना लिया है। दोनो बाघ साथ साथ ही रहते है। वही पन्ना वाली बाघिन फिलहाल सिंगल है लेकिन उसने भी अपना आशियाना तलाश कर लिया है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त माह में माधव नेशनल पार्क से गुड न्यूज मिल सकती है।
पार्क नर मादा बाघ बाघिन बलारपुर क्षेत्र में
पार्क से समाचार मिल रहे है कि बांधवगढ़ से लाई गई बाघिन और सतपुड़ा वाले बाघ को जब से खुले जंगल में रिलीज किया गया है जब वह दोनों साथ साथ है। यह बाघ का जोडा बलारपुर व झिरना मंदिर के बीच जंगल में साथ में घूम रहे है। जिसे पार्क अधिकारी अपने मोबाइल के ट्रेकिंग सिस्टम पर देख रहे हैं। यह जोड़ा जिस जगह रुका है, वहां पास में ही पानी है तथा पेड़ों की घनी छांव है। यह सुबह के समय थोड़ी दूर तक घूमने जाते हैं, लेकिन फिर वापस अपनी उसी जगह पर आकर रुक जाते हैं। जंगल में आजाद छोड़ने के बाद यह जोड़ा जब से साथ में हुआ है तो फिर यह दूर नहीं हुआ, जिसके चलते पार्क प्रबंधन को इनसे अगस्त में खुशखबरी की उम्मीद है।
पन्ना वाली बाघिन अभी है सिंगल
माधव नेशनल पार्क की दूसरी पन्ना वाली बाघिन ने सिंध किनारे पहाड़ी के नीचे एक खोह में अपना ठिकाना बना लिया है। वहां घने पेड़ों के बीच वो दिन के समय में गर्मी से बचने के लिए बैठी रहती है तथा सुबह-शाम बाहर निकलकर घूम आती है। चूंकि जिस जगह वो रुकी है, वहीं पर पानी भी है, इसलिए पानी पीने आने वाले वन्यजीवों को वो अपना शिकार बना लेती है।
टाइगर ने बनाई अपनी टेरिटरी
टाइगर ने अपनी लगभग टेरिटरी बना ली है। इस कारण टाइगरो पर नजर रखने के लिए कूनो से माधव नेशनल पार्क में लाए गए हाथियों की आवश्यकता नही है। इसलिए उन्हें वापस कूनो भेज दिया गया है। कूनो नेशनल पार्क मे भी हाथियों की आवश्यकता थी।
इनका कहना है।
कूनो नेशनल पार्क में भी हाथियों की जरूरत है, इसलिए उन्हें वापस कूनो भेज दिया। तीनों टाइगर नेशनल पार्क में तथा आशा भी जिले के जंगल में ही है। उम्मीद तो है कि अगस्त माह में कोई खुशखबरी मिल जाए, आगे देखते हैं क्या होता है। उत्तम कुमार शर्मा, सीसीएफ सिंह परियोजना शिवपुरी