शिवपुरी। समाज का क्या अर्थ है इसका उदाहरण शिवपुरी को बीते मंगलवार को देखने को मिला है। अगर समाज मदद के लिए तैयार है तो किसी व्यक्ति की गरीबी उसकी बेटी के हाथ पीले करने में सामने नही आऐगी। शिवपुरी में आदिवासी रामू की बेटी की शादी पूरे शहर में चर्चा का विषय रही। यह शादी सोशल मीडिया से चर्चा में आई और एक पोस्ट की गई सारा शहर मददगार बनकर खडा हो गया।
जिस परिवार को यह चिंता थी कि वह बेटी की हाथ पीले कैसे करेगा, उसके यहां मंगलवार की धूमधाम से शादी हुई। एक पोस्ट के बाद लोग जुड़ते चलते गए और मदद का कारवां बन गया।लालमाटी आदिवासी बस्ती में रहने वाले रामू आदिवासी के पास सिर छुपाने के लिए छत नहीं है। घर के नाम पर एक झोपड़ी है जो पुराने साड़ियों को लपेट कर बनाई गई है।
कुछ दिनों पहले यहां आरती जैन, रूबी राणा, राज बिंदल आदि कुछ समाजसेवी महिलाएं कपड़े बांटने के लिए पहुंची। तब पता चला कि रामू ने बेटी रेशमा की शादी तय कर दी है, लेकिन इंतजामों के लिए रुपये ही नहीं हैं। इसके बाद आरती जैन ने फेसबुक पर पोस्ट करके लोगों से मदद की अपील की। देखते ही देखते यह पोस्ट बहुप्रसारित हो गई और मदद के लिए कई हाथ एक साथ बढ़ आए।
किसी ने आदिवासी बेटी को तोहफे में वाशिंग मशीन दी तो किसी ने अलमारी भेंट की। कुछ लोगों ने खाने की व्यवस्था संभाली तो एक समाजसेवी भतइया बनकर भात लेकर आया। कई लोगों ने गुप्तदान भी किया। आरती जैन ने बताया कि नेता प्रतिपक्ष शशि शर्मा ने रेशमा को वाशिंग मशीन और नपा उपाध्यक्ष के बेटे राहुल व्यास ने अलमारी भेंट की।
गुप्तदान के रूप में एक डबल बेड आया। सोनिया ब्यूटी पार्लर ने रेशमा के लहंगे से लेकर मेकअप तक की जिम्मेदारी संभाली। फोटोग्राफी से लेकर मेहंदी तक की व्यवस्था निशुल्क हो गई। कई लोग रेशमा को साड़ियां, बर्तन और अन्य उपहार देकर गए।
लोगों ने संभाली व्यवस्थाओं की कमानः
आज के समय में जब रिश्तेदार भी मदद से पीछे हट जाते हैं तब रेशमा की शादी में व्यवस्थाओं की पूरी बागडोर इंटरनेट मीडिया से जुड़े लोगों ने संभाली। अवधेश शिवहरे ने 11 हजार रुपये भेंट किए जिससे भोजन की व्यवस्था की गई। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों ने 1100 रुपये और अन्य तरह से मदद की। जानकी सेना संगठन ने पानी की व्यवस्था संभाली।
अनुष्का टेंट की ओर से नि शुल्क टेंट लगाया गया। कोलारस के रवि सेन भात लेकर आए। आदिवासी समाज में लगुन, टीका और फिर बेला में लड़के वालों को नकद देना होता है और यह व्यवस्था भी समाजसेवियों ने कर दी। रेशमा के पिता रामू ने कहा कि आज लग रहा है कि शहर की बेटी की शादी है और मदद के लिए इतने हाथ आगे आए हैं कि मेरे पास आभार के शब्द नहीं हैं।