शिवपुरी। खबर शिवपुरी के प्रसिद्ध सेंट चार्ल्स स्कूल से मिल रही है कि सेंट चार्ल्स स्कूल मे मान्यता नहीं है,यह स्कूल पिछले 30 साल से संचालित किया जा रहा है। मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा ने आज इस का निरीक्षण किया गया। इस निरिक्षण में मान्यता की पोल खुल गई। जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल की नए एडमिशनो पर रोक लगा दी है।
डॉ निवेदिता शर्मा ने 12 दिसंबर 2022 को भी निरीक्षण किया था जब इस स्कूल में जानवरों के हृदय और किडनी मिली थी। जब आयोग ने जिला प्रशासन से स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे,लेकिन आज दिनांक तक इस स्कूल पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नही हुई। इस बात से आयोग की सदस्य नाराज नजर आई।
मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा ने आज सेंट चार्ल्स स्कूल का निरीक्षण किया। इस निरिक्षण में स्कूल में कक्षा 1 से 8 वी क्लास तक की मान्यता नही थी। स्कूल प्रबंधन ने भी यह स्वीकार किया की 1998 तक मान्यता थी इसके बाद इस स्कूल की मान्यता रिन्यू नहीं कराई गई है। आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा ने कहा कि स्कूल को स्कूल होना चाहिए।
स्पेशीमेन में हृदय और किडनी मौजूद थी
आयोग सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा पिछले साल 12 दिसबंर को यहा निरीक्षण किया था और निरीक्षण में यहां पाया कि स्पेशीमेन में हृदय और किडनी मौजूद हैं । यह किस पशु की हैंए इसके बारे में स्कूल प्रशासन आयोग को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। स्कूल का कहना था कि इसे बच्चे लेकर आए हैं, जबकि उसकी कटाई देखकर पता लग रहा था कि कोई विशेषज्ञ ही इस तरह से किडनी और हृदय को शरीर से अलग कर सकता है।
वहीं, स्कूली शिक्षा के नियमानुसार सिलेबस में कहीं भी स्पेशीमेन के ऑरिजनल प्रदर्शन की बात नहीं कही गई है। उसमें साफ बताया गया है कि लेब में अध्ययन मॉडल और चार्ट के द्वारा ही कराया जाएगा। ऐसे में यहां किसी के अंगों का मिलना कई प्रश्न खड़े कर रहा है। फिर ऐसे मामलों में दंड का भी प्रावधान है। क्योंकि भारत के संविधान ने जानवरों को भी जीवन जीने की आजादी दी है।
अगर इनके जीवन को बाधित करने का कोई प्रयास करता है तो इसके लिए संविधान में कई तरह के दंड का विधान किया गया है,इस निरीक्षण के दौरान आयोग की सदस्य ने कार्रवाई की अनुशंसा की थी,लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। वही आज यह आपत्ति जनक सामान स्कूल से गायब मिला था।
क्या कहना है नियम
आयोग की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा ने बताया कि जिस राज्य में स्कूल संचालित होता है उस स्कूल की कक्षा 1 से आठ तक की मान्यता लेना होती है। लेकिन इस स्कूल में मान्यता नही मिली है। डीईओ ने लगाई नवीन प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लागई