SHIVPURI NEWS- निर्दोष प्रकाश के जेल जाने पर पिता खटिया पर, पुत्र एक्सीडेंट का शिकार- पत्नी भीख मांगकर भर रही है परिवार का पेट

Bhopal Samachar
संजीव जाट बदरवास।
अंतरराज्यीय ऑनलाइन ठगों की गाज इस निर्दोष आदिवासी परिवार पर गिर पड़ी है। ऐसी कि पुत्र दुर्घटनाग्रस्त होकर बिस्तर पर आ गया और पिता पहले से खटिया पर है। पत्नी की रो रोकर सूख चुकी आंखें पति का जिक्र आते ही फिर न जाने कहां से आंसुओं का सैलाब ले आती है। सभी टकटकी लगाए बैठे हैं कि उनका प्रकाश आ जाए। प्रकाश नहीं आए, तो कोई उसकी खबर ही आकर दे जाए, तो दिल को चैन मिले।

यह व्यथा दीवट निवासी प्रकाश पुत्र सगुन आदिवासी के परिवार की है। 14 मई को जब राजस्थान की बांसवाड़ा पुलिस उसे गिरफ्तार कर न ले गई थी, तब परिवार का हर सदस्य के हर सदस्य को झटका लगा था। कई आशंकाएं उनके दिल दिमाग में मंडराने लगी थीं। लेकिन आज उन्हें इस बात का सुकून है कि प्रकाश की बेगुनाही दुनिया के सामने है। इसके बावजूद प्रकाश का जेल से न छूट पाना उन्हें उन्हें दुःख पहुचाया रहा है।

दुखों का पहाड़ टूटा
शिवपुरी समाचार के रिपोर्टर ने शुक्रवार को इस परिवार से संपर्क किया तो पता लगा उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके घर का एक ही कमाने वाला था, जो किसी और के अपराध में जेल में है। प्रकाश की घर में सबको जरूरत है, क्योंकि उसके 75 वर्षीय बुजुर्ग पिता खटिया पकड़े हुए हैं और दवाइयों के सहारे चल रहे हैं। वह यही गुहार लगा रहा है कि मेरा बेटा प्रकाश कब जेल से छूटकर आएगा और उसे पुलिस क्यों ले गई ? उसका एक बेटा सुनील पिता के जेल जाने वाले दिन दुर्घटना में घायल होकर बिस्तर पर आ गया है। कहीं आने जाने में असमर्थ एक और बेटा उसका है, जबकि एक बेटी भी प्रकाश की है। ऐसे में घर का खर्च चलाने की जिम्मेदारी प्रकाश की पत्नी मिथिलेश पर आ गई है। वह इधर उधर काम करके किसी तरह गुजारा कर रही है।

हमने तो कुछ करो नहीं, फिर जेल क्यों ?
प्रकाश के बारे में चर्चा की तो मिथिलेश फूट-फूट कर रोने लगी। बोली, 'हमने तो कुछ कर नहीं, और फिर भी हम तो मजदूरी करने गए और एक माह तक मजदूरी करने के बाद जब अपने गांव दीवट लौटे तो पुलिस प्रकाश को पकड़ कर ले गई। आखिर कर मेरे पति का क्या दोष है? ना तो हमने रुपए निकाले, हमने तो खाता खुलवा हो तो इसके अलावा कछु नहीं करो। घर कैसे चला रही हैं, यह पूछने पर फिर मिथिलेश के आंसू निकल पड़े। वह बोली, आज हमारे घर में सुबह से शाम का आटा भी नहीं है। गांव वालों से मांग मांग कर परिवार के लोगों का पेट भर रहे हैं क्योंकि परिवार में कमाने वाला प्रकाश ही था ।

बांसवाड़ा जिले के साइबर जांच अधिकारी रमेश कटारा से बातचीत
सवाल-प्रकाश आदिवासी की बेगुनाही सामने आ गई है न।
जवाब मामले के सरगना कोई और है यह पता लगा है। हम उसकी गिरफ्तारी के नज़दीक पहुंच गए हैं।
सवाल-जब पता लग गया है कि असल खेल किसी और ने खेला है, तो प्रकाश को क्यों आरोपी बनाया है और क्यों उसे गिरफ्तार कर रखा है?
जवाब- अगर किसी की बाइक से टक्कर होती है तो बाइक का मालिक भी आरोपी बनता ही है। इस मामले में प्रकाश के खाते का इस्तेमाल इस धोखधड़ी में हुआ है। इसलिए उसे धारा 120 बी का आरोपी बनाया है ।
सवाल- यह सामने आ चुका है न कि प्रकाश को कुछ पता नहीं था?
जवाब- कानून में अज्ञानता की माफी नहीं है। इस मामले में प्रकाश खुद बैंक गया था एटीएम की प्राप्ति पर उसके हस्ताक्षर हैं। जिन्होंने उसका 'खाता खुलवाया, उन्होंने उसे हजार रुपए दिए थे। यह उसके खिलाफ मामला बनाने के लिए पर्याप्त है।

सवाल- मामले के मास्टरमाइंड कहाँ हैं? खाते खुलवाने वालों की क्या भूमिका है
जवाब- खाता खुलवाने वाले दिलीप कुशवाह और उसके साथी हैं। इसके मास्टर माइंड कहीं दूर बैठे हुए हैं। हमें एक महीना इस तफ्तीश में लगा है। हम उनके नजदीक पहुंच गए हैं।. उम्मीद है एक दो दिन में उनकी धरपकड़ कर लेंगे।

सवाल- आपने खाता खुलवाकर धोखेबाजों की मदद करने वालों को नहीं पकड़ा ?
जवाब- हमने आपके शिवपुरी में बरोदिया और पिरोठ में उन्हें पकड़ने के लिए दबिश दी थी। पता लगने पर भाग गए थे। उन्हें भी पकड़ लेंगे।

झारखंड के जामताड़ा से जुड़े ऑनलाइन फ्रॉड के तार

बदरवास शिवपुरी ग्राम पंचायत दोहा के दीवट में आदिवासियों के खातों का इस्तेमाल कर लाखों पर की ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह के तार झारखंड के जामताड़ा से जुड़ रहे हैं। राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की पुलिस गिरोह के निकट भी पहुंच गई है।

पिछले महीने की 14 तारीख को दीवट के प्रकाश पुत्र सगुन आदिवासी को गिरफ्तार करने के बाद से जांच कर रही बांसवाड़ा पुलिस कुछ कड़ियों की मदद से जामताड़ा तक पहुंची है। उसने सरगनाओं की पहचान कर ली है और उनकी धरपकड़ की कोशिश कर रही है। बांसवाड़ा की साइबर पुलिस इन आदिवासियों के खाते.

खुलवाने वाले आरोपियों इंदार थाना क्षेत्र के दिलीप कुशवाह निवासी पिरोठ, दिनेश कुशवाह और दिलीप कुशवाह निवासी बरोदिया के ठिकानों पर भी पहुंची थी, लेकिन उस समय वे भाग निकले थे।