शिवपुरी। महाराजा ओरछा और उनके भाई से जुड़ी ऐतिहासिक कहानी हरदौल का नाटक मंचन बुंदेलखंड से आए कलाकारों द्वारा किया गया। जिसमें कलाकारों की ना केवल अभिव्यक्ति मह्त्वपूर्ण रही वरन उन्होंने अपनी वेशभूषा से मौजूदा श्रोताओं को प्रभावित भी किया।
दरअसल इन दिनों सिद्धेश्वर मेला ग्राउंड परिसर में मेला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सांस्कृतिक प्रति प्रस्तुतियों के लिए रंगमंच पर विविध प्रस्तुतियां देने का निर्णय नगर पालिका ने लिया है। जिसके तहत पहले दिन अंचल की वीर गाथा में शुमार हरदौल नाटिका का मंचन दतिया और बुंदेलखंड क्षेत्र से आए कलाकारों द्वारा किया गया।
नाटक के दौरान जहां मुख्य पात्र बने हरदौल के बड़े भाई और महाराजा के साथ उनके स्नेह और दुलार के संबंधों के साथ-साथ मां के समान भाभी से उनकी बेटे की तरह प्रस्तुतियां खासा आकर्षण का केंद्र रही। प्रोजेक्टर थीम पर प्रदर्शित किए गए इस नाट्य मंचन के दौरान जहां रिकॉर्डेड आवाज कलाकारों की रही, वही जीवंत अभिनय कलाकारों ने करके दिखाया। इसमें मौलवी पात्र बने कलाकार का अभिनय और आवाज जहां प्रभावी रही,वहीं महाराजा ओरछा और हरदौल के पात्र के साथ उनकी भाभी मां की चरित्र अभिनय ने इस नाटिका को जीवंत बना दिया।
खास बात यह रही कि पहले दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन के लिए लोगों को प्रॉपर सूचना ना मिलने से मोबाइल पर फोन कर और व्हाट्सएप संदेश भेज कर लोगों को बुलाया गया। जिससे जो सांस्कृतिक कार्यक्रम मेला रंगमंच पर रात्रि 9 बजे प्रारंभ होना था वह 10 बजे के बाद शुरू हो सका। लेकिन कलाकारों के सधे हुए अभिनय ने इस नाटक के प्रस्तुतीकरण को यादगार बना दिया। और अंत में जब हरदौल को जहर देने वाला दृश्य मंचित किया गया तो उसमें मां समान भाभी और पुत्र समान हरदौल के अभिनय और डायलॉग डिलीवरी को देख मौजूदा लोगों ने ताल भी बजाई और समय-समय पर उनकी आंखें भी नम हुई।
मेला रंग मंच पर जो भी आयोजन होते हैं वह जन समुदाय के सांस्कृतिक और मनोरंजनात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए होते हैं। ऐसे में यदि बेहतर प्रस्तुतियां कलाकारों की देखने मिल जाए तो लोगों का देर रात तक जागना भी सार्थक होता है। रात 12 बजकर 10 मिनट तक नाटिका की प्रस्तुति मंच से चलती रही और समापन अवसर पर कलाकारों को स्मृति प्रतीक और चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन गिरीश मिश्रा मामा और अवधेश सक्सेना ने संयुक्त रूप से किया।
समापन पर अतिथि बोले- लाजवाब प्रस्तुति, शहर वासियों ने इस नाटक को 40 साल बाद देखा नाटिका के शुभारंभ और समापन अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा ने कहा कि शहरवासियों का पौराणिक कथाओं के चित्रण के माध्यम से सांस्कृतिक मनोरंजन हो, इसी वजह से नाटिका प्रदर्शन की तैयारी कलाकारों ने की। अब पात्रों की अभिनय देखकर लगा ही नहीं कि हम शिवपुरी में बैठकर यह नाटिका देख रहे हैं।वरन किसी बड़े थिएटर में बुंदेलखंडी आवाज के साथ जब कलाकारों ने अपनी नृत्य क्षमता दिखाई तो यह सभी के लिए प्रभावी रहा।