SHIVPURI NEWS- कांग्रेस के टिकट चाह में कल्याण वर्मा दुलारा ने शिक्षक पद का किया त्याग- इस्तीफा मंजूर

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शिवपुरी।
2023 के विधानसभा चुनावों में अब 5 माह शेष रह गए हैं । राजनीतिक गतिविधियां एकाएक तेज होना शुरू हो गई है। जिले के पोहरी विधानसभा क्षेत्र में इस बार बड़ा घमासान देखने मिल सकता है। जहां सिंधिया समर्थक लोक निर्माण राज्यमंत्री एवं पोहरी विधायक सुरेश राठखेड़ा की कमजोर परफ ॉर्मेंस उनके लिए अपने ही दल में संकट का सबब बन रहे है।

वहीं कांग्रेस भी उन्हें उनके ही क्षेत्र में घेरने की फुलप्रूफ तैयारी में है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी 22 मई को शिवपुरी आ रहे हैं और इस दौरान वह कई समाजों के प्रतिनिधियों से फेस टू फेस चर्चा करेंगे। जाहिर सी बात है कि अब सब कुछ इलेक्शन मोड में हो रहा है।

पोहरी विधानसभा क्षेत्र में यदि भाजपा मौजूदा विधायक सुरेश धाकड़ को टिकट देती है अथवा अन्य किसी धाकड़ नेता को चुनाव मैदान में उतारती है तो कांग्रेस भी इस बार धाकड़ समुदाय से ही प्रत्याशी सामने ला सकती है। जिसकी पूरी पूरी संभावना बन रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि पोहरी विधानसभा क्षेत्र में किरार समुदाय के मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। अन्य किसी जाति के प्रत्याशी के सामने रहने पर इनका एक तरफा झुकाव किरार समुदाय के प्रत्याशी के पक्ष में हो जाता है।

इसी सोशल इंजीनियरिंग को अमल में लाकर कॉग्रेस किरार प्रत्याशी का ट्रंप कार्ड खेल सकती है। ताकि धाकड़ मतों का विभाजन हो सके और अपने परंपरागत वोटर एवं मौजूदा विधायक के विरोध को हवा देकर अपनी स्थिति मजबूत बनाई जा सके। धाकड़ समुदाय से प्रद्युम्न बछोरा का नाम जहां कांग्रेस में चल रहा है वही कुशवाह सामुदाय के कैलाश कुशवाहा जो बसपा से कांग्रेस में ज्वाइन हुए हैं उनका नाम भी चर्चा में है, लेकिन इन दोनों के बीच कुछ ऐसा है जो तीसरे प्रत्याशी के विकल्पों पर भी नेतृत्व को भी विचार करने पर विवश कर रहा है।

मसलन प्रद्युम्न बछोरा के प्रत्याशी बनाए जाने पर धाकड़ मतों का ध्रुवीकरण भले ही हो जाए लेकिन बहुतायत वाले ब्राह्मण और यादव वोटरों उनसे किनारा कर सकते हैं क्योंकि बीते समय जनपद के चुनाव में इन दोनों समुदायों के साथ प्रद्युम्न वर्मा और उनके समर्थकों द्वारा मारपीट किए जाने के मामले चुनाव के समय आड़े आएंगे। ऐसे में अन्य धाकड़ प्रत्याशी के तौर पर शिक्षक की नौकरी में रहकर अपने परिवार जनों को जनपद और जिला पंचायत जैसे चुनावों में लगातार फतेह दिलाने में कामयाब रहे कल्याण वर्मा दुलारा भी टिकट की जुगत में हैं।

अखिल भारतीय किरार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे कल्याण वर्मा दुलारा टिकट के लिए किस हद तक कॉन्फिडेंट है इस तथ्य को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने इसी माह शिक्षक पद से ही त्यागपत्र दे डाला है, और उनका त्यागपत्र मंजूर भी कर लिया गया है। जाहिर सी बात है कि बिना किसी तैयारी के कोई अपनी नौकरी को इस तरह नहीं छोड़ सकता।

शिवपुरी में शासकीय सेवा से त्यागपत्र देकर चुनाव लडऩे वालों की फेहरिस्त लंबी है जिनमें स्वर्गीय पूरन सिंह बेडिय़ा कोलारस से न केवल चुनाव जीते बल्कि मंत्री भी रहे। पिछोर से महाराज सिंह भी शिक्षक पद त्याग कर चुनाव मैदान में उतरे यह बात अलग है कि वह चुनाव नहीं जीत पाए और नौकरी भी गवा बैठे। करेरा से बाबू रामनरेश भी प्रधानाध्यापक की नौकरी त्याग कर कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं। ऐसे में पोहरी के चुनाव मैदान घमासान रोचक होना तय है।