शिवपुरी। शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में शिवपुरी से कभी भी उम्मीद भरी खबर मिल सकती है। पार्क के सूत्रों की मानें तो पार्क जंगल में खुले में जंगल में छोड़े गए नर और मादा टाइगर साथ साथ देखे जा रहे है और साथ में समय बिता रहे है। अनुमान है कि वर्षा के मौसम के बाद मादा बाघिन शावकों को जन्म दे सकती है।
पार्क में 26 साल बाद टाइगर की वापसी हुई है। टाइगर प्रोजेक्ट की सफलता बाघ के प्रजनन पर भी निर्भर करती है। शिवपुरी के पर्यटन बढाने के लिए टाइगर प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की गई थी,लेकिन पर्यटक नगरी में ऐसा कोई मुख्य आकर्षण नही था जिससे पर्यटक शिवपुरी की ओर खींचे चले आए। शिवपुरी की पर्यटन की उम्मीद अब बाघ प्रोजेक्ट पर भी टिकी है।
जानकारी मिल रही है कि इन दिनों खुले जंगल में साथ-साथ घूम रहे हैं। बाघ और बाघिन आपस मैं संपर्क में भी आ चुके हैं और साथ में लंबा समय व्यतीत कर चुके हैं। दूसरी बाघिन के साथ भी बाघ घूमता दिखा है। बाघों के लिए मार्च से जून तक का महीना मैटिंग के लिए उपयुक्त माना जाता है। आधिकारिक रूप से अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं, लेकिन इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि बारिश के मौसम के बाद एक बाघिन शावकों को जन्म देगी।
बाघिन का गर्भकाल 95 से 100 दिनों का होता है। बच्चे देने के कुछ समय पहले वह खुद को एकांत में कर लेती है और एक सुरक्षित क्षेत्र में रहना पसंद करती है । बाघिन की गतिविधियों में आए बदलावों के आधार पर ही अनुमान लगाया जाता है कि इसने गर्भधारण कर लिया है।
पुनर्स्थापन की सफलता के जरूरी है प्रजनन
पार्क के अधिकारियों के अनुसार बाघों की पुनर्स्थापना तभी सफल मानी जाती है, जब 20 मादा बाघ प्रजनन योग्य हो जाएं, इसलिए यह लंबी प्रक्रिया है। माधव राष्ट्रीय उद्यान में दो चरणों में पांच बाघ लाए जाने हैं, तीन लाए जा चुके हैं। पहले चरण में लाई गई बाघिन जब शावकों को जन्म देने लगेगी और शावक यहां के वातावरण में बढ़ने लगेंगे तो उसके बाद ही दूसरे चरण की शुरुआत होगी।