शिवपुरी। भले ही शासन द्वारा खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए किसानों को तमाम योजनाएं चलाई जा रही हो, या फिर कृषि उपज मंडी में उपज विक्रय को आने वाले किसानों को कोई परेशान न हो। इसके लिए विश्राम गृह सहित पांच रुपए में उन्हें भरपेट भोजन मिल सके इसके लिए राम रोटी योजना के तहत कैंटीन खोली गई हैं। लेकिन इन सब योजनाओं का कृषि उपज मंडी पिपरसमा में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
गौरतलब यह है कि महीनों से विश्राम गृह में ताला लटके मिले वहीं कैंटीन दुकानदारी करते हुए 15 रूपए को दो समोसे एवं 30 रूपए की चार बेड़ई का विक्रय करते हुए दुकानदार मिला । कृषि उपज मंडी सचिव विश्वनाथ सिंह ने बताया है कि विश्राम गृह व कैंटीन क्या चल रहा है, मुझे ही पता नहीं है। मैं इन्हें दिखवाता हूं। इससे जाहिर है कि ये अपने कर्तव्य के प्रति कितने लापरवाह हैं कि इन्हें विभाग की इन महत्वपूर्ण योजनाओं का ही पता नहीं हैं। जबकि इनके लिए शासन द्वारा हर वर्ष बजट भी उपलब्ध कराया जाता है।
किसानों को विश्राम करने की जगह में डले थे ताले
मंडी में अपनी उपज बेचने आ रहे किसानों को खांसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। मंडी से दो किमी दूर बस स्टैंड स्थित भोजनालयों पर जाने को मजबूर हैं। क्योंकि मंडी शासन द्वारा बनाई गई कैंटीन पर 10 रूपए में एक समोसा और 15 रूपए दो समौसे उपलब्ध कराए जा रहे हैं इससे साफ जाहिर है कि शासन की योजना का लाभ किसानों को कितना मिल रहा है।
जबकि प्रत्येक कृषि उपज मंडी में किसानों के लिए कैंटीन भोजनालय स्थापित करने का उद्देश्य से किसानों को पांच रुपए में भोजन उपलब्ध कराना है। ताकि फसल बेचने आने वाले किसानों को फसल न बिकने की स्थिति में रात्री विश्राम करने के लिए मंडी में कृषक विश्रामगृह सहित पांच रुपए में भोजन उपलब्ध कराने वाली कैंटीन की सुविधा उपलब्ध कराकर रात रुकने में आने वाली दिक्कतों को दूर करना हैं, लेकिन धरातल पर यह सब नहीं दिख रही हैं।
सुबह 11 बजे तक मंडी कार्यालय में नहीं पहुंचे थे मंडी सचिव
कृषक नरेश चिलावद, गणेशीलाल शिवपुरी का कहना था कि हम अपनी परेशानी किसको बताने जाऐं क्योंकि समय पर मंडी सचिव भी नहीं आते हैं और न कैंन्टीन वाला सुनता हैं इसलिए घर से भोजन लेकर आते हैं और मंहगे दामों पर समोसा खरीद उससे रोटी खाकर पेट भरते हैं। इस संबंध मंडी सचिव मिलने के लिए कार्यालय में पहुंचे तो 11 बजे तक कार्यालय में कोई भी उपलब्ध नहीं था।