भोपाल। खबर कूनो नेशनल पार्क से जुड़ी है कि लगातार हो रही चीतो की मौत के कारण Kuno National Park प्रबंधन पर सवाल उठ रहे है और इन सवालो के हल पर जब विचार किया जा रहा है तो मप्र के लिए बुरी खबर निकल कर सामने से आ रही है कि मप्र से चीता स्टेट का तमगा हट सकता है। कूनो की हालत को देखते हुए जल्द ही वहां से छह से सात चीते मध्य प्रदेश या राजस्थान के किसी अभयारण्य में शिफ्ट किए जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की दखल और वन्यजीव विशेषज्ञों की राय के बाद इस दिशा में तैयारी शुरू हो गई है। दोनों ही राज्यों को उपयुक्त अभयारण्यों को तैयार करने के लिए कहा गया है। मध्य प्रदेश के गांधी सागर व नौरादेही अभयारण्य और राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर हिल्स व भैंसरोडगढ़ अभयारण्य को चुना गया है। जो राज्य पहले तैयारी पूरी कर लेगा, वहीं शिफ्टिंग की जाएगी। कूनो में दो और मादा चीता के जून में प्रसव की खबर है। ऐसे में चीतों शिफ्ट करना जरूरी है।
कूनो में कुछ ही माह में तीन चीतों सहित एक शावक की मौत से कूनो की क्षमता और उपयुक्तता को लेकर सवाल उठने लगे है। पिछले दिनों वन्यजीव विशेषज्ञों ने सुप्रीम कोर्ट को भी बताया है कि कूनो में अधिकतम 18 से 20 चीते ही रह सकते है। जबकि मौजूदा समय में वहां 17 व्यस्क व चार शावक चीता है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले दिनों चीता प्रोजेक्ट से जुड़ी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी है।
जिसमें चीतों की मौत के कारण और विशेषज्ञों की राय से भी अवगत कराया है। कोर्ट ने इस दौरान पूछा कि चीतों को रखने के लिए जब राजस्थान तैयार हो तो फिर क्यों नहीं शिफ्ट किया जाता है। हालांकि एनटीसीए ने कहा कि दोनों ही राज्यों के संपर्क में है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक मध्य प्रदेश इस तैयारी में है कि चीतों को दूसरे राज्य में शिफ्ट नहीं किया जाए। हालांकि चीतों को लेकर दक्षिण अफ्रीका से जो करार है, उसमें हर साल चीते आने हैं। ऐसे में प्रदेश का चीता स्टेट होने का तमगा ज्यादा दिन बरकरार नहीं रहेगा।
चीता लांघ रहे है पार्क की सीमा,कोई उपाय नही है
कूनो नेशनल पार्क से चीते आए दिन सीमा लांघ रहे हैं। इससे चीतों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ने लगी है। सोमवार शाम आशा की लोकेशन पार्क से दो किलोमीटर दूर पालपुर व मोरवन गांवों के बीच में मिली। यह जगह मोरावन गांव की बस्ती से महज चार किलोमीटर दूर है। प्रबंधन को चिंता इस बात की है कि चीतों को बाहर जाने से रोकने के लिए उनके पास कोई उपाय नहीं है, और न ही बार बार बाहर जा रहे पवन की तरह चीतों को बाड़े में लंबे समय तक बंद रखना कोई हल है।
अभी तक किसी चीते के आबादी क्षेत्र में किसी मानव से टकराव का मामला सामने नहीं आया है पर जिस तरह से और चीते जंगल में छोड़े जाने हैं, उसको लेकर प्रबंधन ने मंथन करना शुरू कर दिया है। कूनो में आशा चीता का अलावा गौरव, शौर्य, गामिनी, अग्नि, वायु को खुले जंगल में छोड़ा गया है। आशा और पवन कई बार कूनो से बाहर निकल चुके हैं। प्रोजेक्ट के तहत बाड़े में बंद चीतों को भी जंगल में छोड़ा जाना तय है। ऐसे में अधिकारी इस पर विचार जरूर कर रहे हैं, कि शिकार के लिए कूनो में पर्याप्त इंतजाम के बावजूद चीता बाहर की और रुख क्यों कर रहे हैं।
डीएफओ पीके वर्मा का कहना है कि अधिकारी चौबीस घंटे चीतों की गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। जंगली जानवर एक जगह नही रुक नहीं सकते हैं, इनको रोका भी नहीं जा सकता। आशा पहले भी इस क्षेत्र में आठ दिन तक रह चुकी है, उसने किसी तरह का नुकसान नहीं किया था और अपने आप ही पार्क में वापस लौट आई थी।
एक कारण यह भी निकल कर सामने आ रहे है कि कूनो नेशनल पार्क में अभी पद खाली बने हुए है। वन विभाग के कर्मचारी Kuno National Park में नौकरी करने से घबरा रहे है,किसी भी तरह वह कूनो में ट्रांसफर से बच रहे है।