SHIVPURI NEWS- 1180 प्रजातियां संकट की सूची में,किसान हितैषी पक्षी लुुप्त होने की कगार पर,खतरे में मानव जीवन

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शिवपुरी।
पृथ्वी पर मौजूद जंतुओं और पौधों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए तथा जैव विविधता के मुद्दों के बारे में लोगों में जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है। इसी तारतम्य में शक्तिशाली महिला संगठन एवं कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी द्वारा संयुक्त रूप से ग्राम गिरमौरा की आंगनवाड़ी केंद्र पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया।

मुख्य अतिथि कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एमके भार्गव ने कहा कि भारत में कुछ जीव-जंतुओं की प्रजातियों पर मंडराते खतरों की बात करें तो जैव विविधता पर दिसंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीबीडी) में पेश की गई छठी राष्ट्रीय रिपोर्ट से पता चला था कि अंतरराष्ट्रीय रेड लिस्ट' की गंभीर रूप से लुप्तप्रायः और संकटग्रस्त श्रेणियों में भारतीय जीव प्रजातियों की सूची वर्षों से बढ़ रही है।

प्रदूषण मुक्त सांसें पुस्तक में बताया गया है कि इस सूची में शामिल प्रजातियों की संख्या में वृद्धि जैव विविधता तथा वन्य आवासों पर गंभीर तनाव का संकेत है। वर्ष 2009 में पेश की गई चतुर्थ राष्ट्रीय रिपोर्ट में उस समय 'इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर' (आइयूसीएन) की विभिन्न श्रेणियों में गंभीर रूप से लुप्तप्रायः और संकटग्रस्त श्रेणियों में भारत की 413 जीव प्रजातियों के नाम थे।

वर्ष 2014 में पेश पांचवीं राष्ट्रीय रिपोर्ट में इन प्रजातियों की संख्या का आंकड़ा बढ़कर 646 और छठी राष्ट्रीय रिपोर्ट में 683 हो गया। देश में इस समय नौ सौ से भी अधिक दुर्लभ प्रजातियां खतरे में बताई जा रही हैं। यही नहीं, विश्व धरोहर को गंवाने वाले देशों की सूची में दुनियाभर में भारत का चीन के बाद सातवां स्थान है। भारत का समुद्री पारिस्थितिकीय तंत्र करीब 20444 जीव प्रजातियों के समुदाय की मेजबानी करता है, जिनमें से 1180 प्रजातियों को संकटग्रस्त तथा तत्काल संरक्षण के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

किसान हितैषी पक्षी लुुप्त होने लगे तो समझिए हम खतरे की ओर बढ़ रहे: प्रोग्राम में राहुल ओझा ने कहा कि आज अगर खेतों में कीटों को मारकर खाने वाले चिडिया, मोर, तीतर, बटेर, कौआ, बाज, गिद्ध जैसे किसानों के हितैषी माने जाने वाले पक्षी भी तेजी से लुप्त होने के कगार हैं तो हमें आसानी से समझ लेना चाहिए कि हम भयावह खतरे की और आगे बढ़ रहे हैं और हमें अब समय रहते सचेत हो जाना चाहिए।

हमें अब भली-भांति समझ लेना होगा कि पृथ्वी पर जैव विविधता को बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण यही है कि हम धरती की पर्यावरण संबंधित स्थिति के तालमेल को बनाए रखें। प्रोग्राम में समुदाय की आधा सैकड़ा ग्रामीण महिला सदस्यों को जागरूक किया गया।